कर्नाटक: बच्चों को दो-दो लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देकर खोले जाएं स्कूल- विशेषज्ञ समिति
क्या है खबर?
कर्नाटक सरकार की विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि बच्चों को दो-दो लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देकर राज्य में स्कूल खोले जा सकते हैं।
कोरोना की तीसरी लहर के मुकाबले के लिए जरूरी कदम सुझाने के लिए बनाई गई विशेषज्ञ समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में यह सुझाव दिया है।
समिति ने कहा है कि पहले बड़े बच्चों को बुलाकर स्कूल खोले जा सकते हैं और अगर जगह कम पड़े तो अलग-अलग चरणों में कक्षाएं लगाई जा सकती हैं।
बयान
अभिभावकों में भरोसा पैदा करने के लिए ऐसा किया जाना जरूरी- विशेषज्ञ
TOI ने समिति सदस्य के हवाले से लिखा है, "हमने स्कूल जाने वाले हर बच्चे के लिए राज्य की तरफ से दो लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कराने का सुझाव दिया है। यह जीवन बीमा नहीं है। कई देशों में ऐसा किया जा चुका है। इस तरीके से हम अभिभावकों में अपने बच्चों को स्कूल भेजने का विश्वास पैदा कर सकते हैं।"
समिति ने अपनी रिपोर्ट में राज्य के सभी स्कूलों को दोबारा खोलने का सुझाव दिया है।
कर्नाटक
स्कूल न खुले तो हो सकता है कोरोना से ज्यादा नुकसान- रिपोर्ट
समिति ने कहा कि दुनियाभर में यह कहीं भी साबित नहीं हुआ है कि स्कूल संक्रमण का केंद्र बन सकते हैं। स्कूलों को दोबारा खोलने के लिए तुरंत वैज्ञानिक दिशानिर्देशों की जरूरत है क्योंकि अगर जल्द स्कूल नहीं खोले गए तो यह कोरोना से भी अधिक खतरनाक हो सकता है।
विशेषज्ञों ने कहा है कि अधिकतर जिलों में दो हफ्तों तक पॉजीटिविटी रेट 5 प्रतिशत से कम रहने पर तमाम सावधानियों के साथ स्कूल खोले जा सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय
स्कूल न खुलने से हो सकती हैं ये परेशानियां
इस समिति ने स्कूल बंद होने के कारण ऑनलाइन तरीके से चल रही पढ़ाई के बारे में कहा कि यह उम्मीदों पर खरा नहीं उतरी है। साथ ही इससे भेदभाव भी बढ़ा है।
समिति ने कहा कि जल्दी दोबारा स्कूल खोलने की जरूरत बताते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो बच्चों में कुपोषण, बाल श्रम, बाल विवाह, बाल तस्करी आदि के मामले बढ़ सकते हैं, जो बच्चों की स्थिति को बदतर बना देंगे।
सुझाव
स्कूल खुलने में देरी होने पर बच्चों को मिले पोषण वाला खाना- समिति
समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में सरकार को स्कूलों में अतिरिक्त स्टाफ और मेडिकल नर्सों की भर्ती के साथ-साथ बुजुर्ग कर्मचारियो को घर से काम कराने का सुझाव दिया है।
साथ ही कहा गया है कि अगर स्कूल खुलने में देरी होती है तो बच्चों को भरपूर पोषण वाला खाना दिया जाना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जो बच्चे लंबे समय से बीमारियों से जूझ रहे हैं, वो डॉक्टरों की सलाह पर स्कूल आ सकते हैं।
आशंका
3.4 लाख बच्चों को संक्रमित कर सकती है तीसरी लहर
इस विशेषज्ञ समिति ने आशंका जताई है कि कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर-नवंबर में दस्तक देगी और यह कर्नाटक के 3.4 लाख बच्चों को अपनी चपेट में ले सकती है। इसके पीक पर पहुंचने के दौरान कर्नाटक के अस्पतालों में बच्चों के लिए कुल 27,205 और देखभाल केंद्रों में 54,409 बिस्तरों की जरूरत होगी।
वहीं सरकार ने कहा है कि वो अंतिम रिपोर्ट मिलने के 45 दिनों के भीतर अपनी तैयारियां पूरी कर लेगी।