साख चूड़ियां और सिंदूर नहीं लगाने का मतलब पत्नी को शादी मंजूर नहीं- गुवाहाटी हाईकोर्ट
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने सोमवार को तलाक के मामले में एक अजीब फैसला सुनाया है। पति की ओर से दायर की गई तलाक की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदु रीति रिवाज के अनुसार शादी के बाद महिला यदि साख चूड़ियां पहनने और सिंदूर लगाने से इनकार करती है तो इसका मतलब है कि उसे विवाह स्वीकार नहीं है। इस टिप्पणी के साथ अदालत ने पति की तलाक की याचिका को मंजूर कर लिया।
वैवाहिक जीवन में बने रहने के लिए मजबूर करना होगा पति का उत्पीड़न
मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस सौमित्र सैकिया की डबल बेंच ने कहा कि पत्नी के साखा चूड़ियां (शंख-सीप से बनी चूड़ियां) पहनने और सिंदूर लगाने से इनकार करने के बार पति को पत्नी के साथ वैवाहिक जीवन में बने रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। ऐसा करना पति का उत्पीड़न करना माना जा सकता है। ऐसे में उसे इस उत्पीड़न से बचाने के लिए तलाक तलाक लेने की स्वतंत्रा मिल सकती है।
फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका
इससे पहले फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि मामले में पत्नी द्वारा पति के खिलाफ क्रूरता साबित नहीं हो रही है। इसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी।
पति ने कही अलग रहने का दबाव बनाने की बात
पति ने आरोप लगाया कि फरवरी 2012 में उसकी शादी हुई थी। शादी के एक महीने बाद ही उसकी पत्नी उसके ऊपर परिवार से अलग रहने का दबाव बनाने लगी। उसने कहा कि वह जॉइंट फैमिली में नहीं रहना चाहती। पति ने आरोप लगाया कि उसने परिवार से अलग होने से इनकार किया तो दोनों के बीच झगड़े होने लगे। रिश्तेदारों के साथ भी उसने रिश्ते बिगाड़ लिए और बच्चे न होने के लिए भी उसे दोषी ठहराने लग गई।
पति और ससुरालवालों के खिलाफ दर्ज कराया मामला
पति ने कोर्ट में कहा कि उसकी पत्नी ने विवादों के बीच साल 2013 में उसका घर छोड़ दिया था। उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498A के तहत क्रूरता का मामला दर्ज करा दिया। पति और रिश्तेदारों को बाद उस मामले में बरी कर दिया गया था। पति ने क्रूरता का हवाला देते हुए पत्नी से तलाक लेने की अलग याचिका दायर की। हालांकि, फैमिली कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया था।