पंजाब: गुरुद्वारे में हुई थी समलैंगिक शादी, अब ग्रंथी पर अकाल तख्त ने की कार्रवाई
पंजाब में बठिंडा के गुरुद्वारे में समलैंगिक विवाह कराने पर अकाल तख्त ने कार्रवाई करते हुए ग्रंथी और अन्य को धार्मिक सेवाएं करने से अयोग्य ठहरा दिया। सुप्रीम कोर्ट के समलैंगिक विवाह को लेकर मंगलवार को आए फैसले से पहले सोमवार को अमृतसर में पंच सिंह साहिबान (5 सिख धर्मगुरु) की बैठक हुई थी। बैठक में अकाल तख्त ने फैसला लिया कि गुरुद्वारे के 2 ग्रंथियों, रागी और तबला वादक को 5 साल के लिए काली सूची में रखा जाएगा।
5 साल तक किसी धार्मिक सेवा में नहीं लेंगे भाग
अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि सिख सिद्धांतों के तहत समलैंगिक विवाह के लिए कोई जगह नहीं है। गुरुद्वारे के प्रमुख ग्रंथी हरदेव सिंह, ग्रंथी अजायब सिंह, रागी सिकंदर सिंह और तबला वादक सतनाम सिंह को 'सिख राहत मर्यादा' (आचार संहिता) का उल्लंघन करने पर धार्मिक कार्यों से अयोग्य घोषित किया गया। उन्हें किसी गुरुद्वारे या धार्मिक आयोजनों में कोई धार्मिक सेवा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। गुरुद्वारा प्रबंधन को भी भंग कर दिया गया है।
क्या है मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 18 सितंबर को बठिंडा जिले के गुरुद्वारा कलगीधर साहिब में दो महिलाओं ने आपस में शादी कर ली थी। शादी के लिए गुरुद्वारा प्रबंधन समिति पर अनुमति देने और प्रमुख ग्रंथी और ग्रंथी समेत अन्य लोगों पर शामिल होने का आरोप है। बता दें, अकाल तख्त ने 2005 में समलैंगिक विवाह के खिलाफ 'हुकमनामा' (धार्मिक आदेश) जारी कर सिख समुदाय से आग्रह किया था कि वे किसी भी गुरुद्वारे में ऐसी शादियों की अनुमति न दें।