राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने VB-जी राम जी विधेयक को दी मंजूरी, मनरेगा की जगह बना कानून
क्या है खबर?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन ग्रामीण (VB-जी राम जी) विधेयक को रविवार को अपनी सहमति दे दी है, जिससे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के स्थान पर एक नए वैधानिक ग्रामीण रोजगार ढांचे का मार्ग प्रशस्त हो गया है। बता दें कि VB-जी राम जी विधेयक को गत 19 दिसंबर को विपक्ष के विरोध के बीच लोकसभा और राज्यसभा में पारित किया गया था।
योजना
क्या है VB-जी राम जी योजना?
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय 2005 में मनरेगा योजना शुरू हुई थी, जो ग्रामीण क्षेत्रों में 100 दिनों के काम की गारंटी देती है। नए कानून में 100 दिनों की गारंटी को 125 दिन किया गया है। मनरेगा के लिए केंद्र अत्यधिक राशि देता था, जबकि नए कानून में राज्यों को भी भार उठाना होगा। उसे 10 से 40 प्रतिशत की राशि देनी पड़ सकती है। नए कानून में पूरे साल में 60 दिन (बोवाई-कटाई) तक रोजगार नहीं मिलेगा।
भुगतान
मजदूरों को हर हफ्ते मिलेंगे पैसे
मनरेगा में हर 15 दिन में मजदूरी का भुगतान होता था। नए कानून में मजदूरी का भुगतान साप्ताहिक आधार पर या काम पूरा होने के अधिकतम 15 दिनों के भीतर करना जरूरी होगा। अगर आवेदन के 15 दिनों के भीतर काम उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो बेरोजगारी भत्ता देने का भी प्रावधान रखा गया है। हालांकि, कानून मजदूरी की राशि का स्पष्ट जिक्र नहीं है। यानी मजदूरी की दर केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अलग-अलग तय कर सकती हैं।
फायदा
खेती के समय काम पर लगेगी रोक
इस कानून के अंतर्गत बुआई और कटाई के मौसम में 60 दिन का विशेष समय रखा गया है। इस दौरान मजदूरों को काम नहीं दिया जाएगा। दरअसल, किसानों की शिकायतें आती थीं कि मनरेगा में लगे होने की वजह से उन्हें खेती के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इससे किसानों को मजदूर मिल सकेंगे और फर्जी तरीके से मजदूरी को नहीं बढ़ाया जा सकेगा। राज्य सरकार इन 60 दिनों की अवधि को खुद नोटिफाई करेगी।
विरोध
विपक्ष ने किया था विधेयक का विरोध
बता दें कि इस विधेयक का लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष ने जमकर विरोध किया था। इसके बाद विधेयक को दोनों सदनों में ध्वनि मत से पारित कर दिया गया था। दोनों सदनों में विधेयक का विरोध कर रहे सदस्यों ने इसे वापस लेने की मांग करते हुए विधेयक की प्रतियां भी फाड़ दी थीं। इतना ही नहीं, विधेयक पारित होने के दौरान कई विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर संविधान सदन के बाहर धरना भी दिया था।