बेंगलुरू: दूसरी लहर में बढ़ी पोस्ट-कोविड मौतें, 40 प्रतिशत भर्ती होने के 10 दिन बाद
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के कारण हुई मौतों में से अधिकांश मौतें अस्पताल में भर्ती होने के 10 दिन बाद हुईं। विशेषज्ञों ने इसे पोस्ट-कोविड मौतों में इजाफे का संकेत बताया है और कहा है कि कई लोगों को ठीक होने के बाद दोबारा ICU में भर्ती होना पड़ा। विशेषज्ञों ने दूसरी लहर के कारण अस्पताल में भर्ती रहने के समय में वृद्धि की बात भी कही है।
लगभग 40 प्रतिशत मौतें भर्ती होने के 10 दिन बाद
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरू में 28 मई से 3 जून के बीच कोरोना संक्रमण से 1,855 मौतें हुईं जिनमें से लगभग 40 प्रतिशत यानि 734 मौतें अस्पताल में भर्ती होने के 10 दिन बाद हुईं। ये पहली लहर के बिल्कुल विपरीत है जिसमें लगभग 60 प्रतिशत मौतें अस्पताल में भर्ती होने के एक से तीन दिन के अंदर हुई थीं। इससे संकेत मिलता है कि कई लोगों की पोस्ट-कोविड समस्याओं के कारण मौत हुई।
पोस्ट-कोविड समस्याओं की वजह से हो रही मौतें- विशेषज्ञ
विक्टोरिया अस्पताल की इमरजेंसी यूनिट में काम करने वाले डॉ शिव कुमार ने कहा, "कई मौतें पोस्ट-कोविड समस्याओं की वजह से हुई हैं। वे लोग जो संक्रमित हैं और ठीक हो रहे हैं, वे मर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "अगर इन मौतों की एक उचित स्टडी की जाती है तो आप पाएंगे कि इनमें से कई को कोविड था, उनका इलाज किया गया, वे घर चले गए और फिर कुछ समस्या होने पर दोबारा अस्पताल आना पड़ा।"
अस्पताल में ठीक होने वाले लगभग 10 प्रतिशत मरीजों में पोस्ट-कोविड समस्याएं
डॉ शिव कुमार के अनुसार, अस्पताल से ठीक हो कर जाने वाले लगभग 10 प्रतिशत मरीजों में किसी न किसी तरह की पोस्ट-कोविड समस्या होती है। उन्होंने कहा, "लगभग 5 प्रतिशत मरीज ICU में वापस भर्ती हुए और लगभग 1-2 प्रतिशत मर गए।" एक निजी मेडिकल कॉलेज के सहायक प्रोफेसर ने कहा, "कई मामलों में ऐसे मरीजों की मौत हुई जिनका 10 दिन से इलाज चल रहा था और उन्हें छुट्टी दी जाने वाली थी।"
मामले कम होने के बावजूद कम नहीं हो रहीं मौतें
बेंगलुरू में दैनिक मामलों की संख्या कम होने के बावजूद मौतें अधिक बनी हुई हैं और 3 जून को शहर में 3,533 नए मामले सामने आए, जबकि 347 लोगों की मौत हुई। कोविड-19 पर कर्नाटक सरकार की टेक्निकल सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ एमके सुदर्शन ने कहा, "रिपोर्टिंग में देरी के कारण इतनी बड़ी संख्या में मौतें दिखाई जा रही हैं। इसके अलावा इस लहर में मरीज अस्पताल में देरी से आए हैं और अधिक समय तक रहे हैं।"
मामलों और मौतों में 14-21 दिन का अंतर- विशेषज्ञ
राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के कुलपति डॉ एस सच्चिदानंद ने कहा, "हम कुल मामलों और मौतों की तुलना नहीं कर सकते। वे अलग-अलग टाइमलाइन में हो रही हैं। जो मौतें अभी हो रही हैं, वे 15-21 दिन पहले संक्रमित हुए लोगों में हैं। उस समय पॉजिटिव मामले ज्यादा थे। मृत्यु दर 14-21 दिन पहले मामलों की दर के समानांतर है।" इस बीच श्मशानों पर बोझ भी कम हुआ है और अभी इकाई में शव आ रहे हैं।