मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुलाई उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक
पश्चिम एशिया (मध्य पूर्व) में बढ़ते तनाव को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक बुलाई और मौजूदा घटनाक्रम पर चर्चा की। बैठक में प्रधानमंत्री के साथ गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, वित्त मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार वाली समिति ने इजरायल पर ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल हमले के बाद बढ़ी हुई शत्रुता पर विचार-विमर्श किया। भारत ने सभी पक्षों से आग्रह किया है कि वे मुद्दों को कूटनीति और बातचीत के जरिए सुलझाएं।
युद्ध से पड़ेगा कई चीजों पर असर
बैठक के दौरान इस पर भी चर्चा की गई कि मध्य पूर्व में युद्ध से व्यापार, नौवहन और तेल, पेट्रोलियम और उसके उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखलाओं पर पड़ सकता है। बैठक में बताया गया कि ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के कारण भारत लाल सागर और अदन की खाड़ी के प्रमुख मार्गों पर व्यापक व्यापार व्यवधानों के लिए तैयार है। इस संघर्ष के कारण माल ढुलाई शुल्क में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
माल ढुलाई शुल्क में वृद्धि का क्या है कारण?
लेबनान में ईरान समर्थित हिज्बुल्लाह का यमन के हौथी विद्रोहियों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जो लाल सागर और अदन की खाड़ी के मार्गों से माल ले जाने वाले व्यापारिक जहाजों और पोतों पर होने वाले अधिकांश हमलों के लिए जिम्मेदार हैं। पिछले साल अक्टूबर में इजरायल और हमास युद्ध शुरू होने के बाद से ईरान समर्थित हूथी मिलिशिया ने इस क्षेत्र में वैश्विक व्यापार को बाधित किया था। सिर्फ भारत में इसने पेट्रोलियम निर्यात को प्रभावित किया है।
कैसे बढ़ा मध्य पूर्व में तनाव?
पिछले साल 7 अक्टूबर को फिलिस्तीन के सशस्र समूह हमास द्वारा इजरायल पर हमला करने के बाद से इजरायल लगातार गाजा पर बमबारी कर रहा है, जिसमें 40 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। लेबनान में ईरान समर्थित सशस्र समूह हिजबुल्लाह फिलिस्तीन के समर्थन में आ गया और उसने इजरायल पर हमला शुरू कर दिया। इससे इजरायल लेबनान पर लक्षित जमीन हमला कर रहा और हिजबुल्लाह के 7 कमांडर मारे हैं। अमेरिका इजरायल के समर्थन में उतरा है।