'एक देश एक चुनाव' को केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी, इस हफ्ते संसद में पेश होगा
'एक देश एक चुनाव' के प्रस्ताव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट की बैठक में गुरुवार को मंजूरी दे दी गई है। अब सरकार की ओर से इस प्रस्ताव को संसद में रखा जाएगा। संभावना है कि इसे 20 दिसंबर से पहले इसी हफ्ते संसद के शीतकालीन सत्र में ही पेश किया जाएगा। बता दें कि संसद का मौजूदा शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को ही समाप्त हो रहा है।
आम सहमति के लिए होगा JPC का गठन
एक देश एक चुनाव को केंद्र सरकार जल्द से जल्द संसद में पेश कर चर्चा कराना चाहती है। इससे पहले वह सभी राजनीतिक दलों की पूर्ण सहमति चाहती है, जिसके लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन किया जाएगा। JPC में पूर्ण रूप से सहमति मिलने के बाद इसे राज्यों की विधानसभाओं से भी पास कराना होगा, जिसके लिए 50 प्रतिशत राज्यों का समर्थन चाहिए होगा। अडाणी और मणिपुर मामले पर हंगामे के बीच सरकार इसे पेश कर सकती है।
राज्यों में प्रस्ताव पास कराने की क्या है तैयारी?
एक देश एक चुनाव के लिए संविधान में संशोधन होना है, उसमें अनुच्छेद 327 में संशोधन कर 'एक देश एक चुनाव' को शामिल किया जाएगा, ऐसे में बिल को राज्यों से पास करवाना भी बहुत आवश्यक है। केंद्र सरकार इसके लिए सभी राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों को बुद्धिजीवियों, विशेषज्ञों और नागरिक समाज के सदस्यों के साथ अपने विचार साझा करने के लिए कहेगी। आम जनता से भी सुझाव मांगे जाएंगे। विधेयक से फायदे-नुकसान पर चर्चा होगी।
क्या है एक देश एक चुनाव?
'एक देश एक चुनाव' के अंतर्गत विधानसभा-लोकसभा चुनाव एक साथ होंगे। इसके तहत चुनाव 2 चरणों में करवाए जा सकते हैं। अगर राज्य सरकार बीच में गिरती है तो दूसरी बार में अन्य राज्यों के साथ उस राज्य के दोबारा चुनाव हो सकेंगे। देश में 2029 में एक साथ चुनाव हो सकते हैं। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में समिति ने 18,626 पन्नों की रिपोर्ट 191 दिन में तैयार कर मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा था।
समिति ने क्या की है सिफारिश?
समिति ने रिपोर्ट में जो सुझाव दिए हैं, उसमें लोकसभा और विधानसभा चुनाव को पहले चरण में एक साथ कराने की बात कही गई है। दोनों चुनाव एक साथ संपन्न होने के 100 दिन के अंदर स्थानीय निकाय और पंचायती चुनाव कराने की सिफारिश की गई है। समिति ने रिपोर्ट में कहा कि एक साथ चुनाव होने से देश में चुनाव को लेकर होने वाले खर्च और अन्य चीजों में कमी आएगी।