पांचवां राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण: वयस्कों और बच्चों में बढ़ रहा है मोटापा
क्या है खबर?
आधुनिक जीवन शैली में शारीरिक गतिविधि की कमी और बिगड़ने खान-पान के कारण बच्चों और वयस्कों में मोटापे की शिकायत बढ़ती जा रही है।
नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
इसमें सामने सामने आया है कि देश के 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि के साथ पांच साल से कम उम्र के बच्चों में भी मोटापा बढ़ता हुआ देखा गया है।
इजाफा
अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या में हुआ 1.3 प्रतिशत का इजाफा
NDTV के अनुसार, चौथे NFHS में देश में अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या का प्रतिशत 2.1 प्रतिशत था, जो पांचवें NFHS में 1.3 प्रतिशत के इजाफे के साथ 3.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
सर्वे में सामने आया है कि सिर्फ बच्चों ही नहीं बल्कि महिलाओं और पुरुषों में भी तेजी से मोटापा बढ़ा है। अधिक वजन वाली महिलाओं का प्रतिशत 20.6 से बढ़कर 24 प्रतिशत और पुरुषों में यह 18.9 से बढ़कर 22.9 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
राज्य
इन राज्यों के बच्चों में बढ़ा मोटापे का प्रतिशत
NFHS-5 के अनुसार, महाराष्ट्र, गुजरात, मिजोरम, त्रिपुरा, लक्षद्वीप, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और लद्दाख सहित कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मोटापे के प्रतिशत में वृद्धि दर्ज की है।
आंकड़ों से पता चलता है कि केवल गोवा, तमिलनाडु, दादर और नगर हवेली तथा दमन और दीव ने ही पांच साल से कम उम्र के अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या में गिरावट दर्ज की है।
वयस्क
महिलाओं की तुलना में पुरुषों में बढ़ा अधिक मोटापा
NFHS-5 के अनुसार, देश के 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने महिलाओं के में मोटापे में वृद्धि दर्ज की है, वहीं 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पुरुषों के मोटापे में वृद्धि दर्ज की है।
सर्वे में बॉडी मास इंडेक्स 25.0 किग्रा/मी 2 से अधिक या उसके बराबर वाले पुरुषों और महिलाओं को ही मोटापे की श्रेणी में शामिल किया गया था। इसी तरह बच्चों के मोटापे को वजन-ऊंचाई के आधार पर मापा गया था।
कारण
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार क्या है मोटापे का कारण?
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा ने कहा कि पिछले 15 सालों में भारतीय महिलाओं, पुरुषों और बच्चों में मोटापा बढ़ने की प्रवृत्ति के पीछे बढ़ती आय, खराब आहार की आदतें और अनियमित जीवन शैली है। NFHS-5 में भी इसका उल्लेख किया गया है।
उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों में लोगों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है। सभी जानते हैं कि आय में बढ़ोत्तरी का मोटापे से सीध संबंध है।
बयान
गरीबों की तुलना में धनवानों में अधिक मिला है मोटापा- मुत्तरेजा
मुत्तरेजा ने कहा, "गरीब परिवारों की महिलाओं में मोटापे का प्रतिशत जहां छह प्रतिशत रहा है, वहीं धनवान परिवारों की महिलाओं में यह 36 प्रतिशत पर है।"
उन्होंने कहा, "हालांकि, मोटापे के लिए बढ़ती आय को ही दोष देना उचित नहीं है। इसके लिए अलाभकारी भोजन (जंक फूड) भी जिम्मेदार है। इन खाद पदार्थों में शुगर या वसा के कारण कैलोरी में अधिक होती है और फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और खनिज तत्व कम होते हैं।"
जानकारी
अन्य कारणों से भी बढ़ता है मोटापा- मुत्तरेजा
मुत्तरेजा ने कहा कि अधिकतर लोग गतिहीन जीवन जीते हैं और सुबह के घूमने के साथ कोई शारीरिक व्यायाम नहीं करते हैं। दुख की बात है कि माता-पिता बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण संबंधी पहलुओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
बयान
हर देश कुपोषण के दोहरे बोझ की स्थिति में कर रहा प्रवेश- डॉ दास
सेव द चिल्ड्रेन इंडिया की प्रमुख डॉ अंतर्यामी दास ने कहा कि हर देश कुपोषण के दोहरे बोझ की स्थिति में प्रवेश कर रहा है। इन देशों में आबादी के स्तर पर कुपोषण (बौनापन/कम वजन) और अतिपोषण (अधिक वजन/मोटापा) का सह-अस्तित्व है।
सबसे खराब हालात पश्चिमी और औद्योगिक देशों में है, लेकिन धीरे-धीरे विकासशील देशों में भी यह स्थिति बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को मोटापे से बचाने के कदम उठाने होंगे।