#Exclusive: BPCL में विलय के बाद लगभग 600 BORL कर्मचारियों का डिमोशन, सालों की मेहनत बर्बाद
क्या है खबर?
भारतीय ओमान रिफाइनरी लिमिटेड (BORL) का आज से आधिकारिक तौर पर भारतीय पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) में विलय हो गया है। लेकिन ये विलय BORL के कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर लेकर नहीं आया है।
खबर है कि BPCL में विलय होने के बाद BORL में काम करने वाले कर्मचारियों की पोस्ट घटा दी गई है और इससे 550 से अधिक कर्मचारियों की सालों की मेहनत बर्बाद होती दिख रही है।
ये पूरा मामला क्या है, आइए आपको बताते हैं।
पृष्ठभूमि
क्या है BORL का BPCL में विलय का मामला?
BORL को 1994 में एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के तौर पर स्थापित किया गया था और मध्य प्रदेश के बीना में इसकी रिफाइनरी है। इस रिफाइनरी में कच्चे तेल से पेट्रोलियम उत्पाद बनाने का कार्य होता है।
2020 तक BORL में BPCL की 63.4 प्रतिशत और ओमान की सरकारी तेल कंपनी OQ की 36.6 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।
पिछले साल BPCL ने OQ की हिस्सेदारी को भी खरीद लिया और अब BORL का इसमें पूर्ण विलय हो गया है।
कर्मचारियों पर असर
विलय के बाद घटी BORL के सभी कर्मचारियों की पोस्ट
सूत्रों ने न्यूजबाइट्स को बताया कि BPCL में विलय के बाद BORL के कर्मचारियों की सैलरी (CTC) पर तो कोई खास फर्क नहीं पड़ा है, लेकिन CEO से लेकर ट्रेनी तक की पोस्ट घटा दी गई है।
जिन कर्मचारियों को BORL में चार-पांच साल का काम करने का अनुभव है, उन्हें BPCL में एंट्री लेवल का पद दिया गया है और इससे उनकी पिछले पांच साल की पूरी मेहनत बर्बाद हो गई है।
अन्य पोस्ट
डिप्टी मैनेजर को भी BPCL में दी गई एंट्री लेवल की पोस्ट
एक सूत्र ने हमें बताया कि BORL में सहायक मैनेजर और मैनेजर के बीच डिप्टी मैनेजर की पोस्ट हुआ करती थी, इसलिए जब विलय का फैसला हुआ तो डिप्टी मैनेजर के पद पर काम कर रहे कर्मचारियों को लगा कि उन्हें एक पोस्ट घटाकर भी सहायक मैनेजकर बनाया जाएगा।
हालांकि अब उन्हें भी एंट्री लेवल की पोस्ट दी गई है, जिससे वे BPCL में काम करने वाले समान अनुभव के अपने साथियों से छह-सात साल पिछड़ गए हैं।
अनुभव
कम अनुभव वाले BPCL कर्मचारी बने अधिक अनुभव वाले कर्मचारियों के बॉस
सूत्रों के अनुसार, पांच साल के अनुभव वाले BPCL कर्मचारी 10-15 साल के अनुभव वाले BORL कर्मचारियों के बॉस बन गए हैं।
प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें वही पद दिए जाएं जो उन्हें BORL में मिले हुए थे।
सूत्रों ने बताया कि विलय से पहले प्रशासन की ओर से वादा किया गया था कि कर्मचारियों को उनके काम के क्षेत्र, कॉलेज, डिग्री और अनुभव को देखते हुए पोस्ट दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया है।
आरोप
कर्मचारियों का प्रशासन पर उन्हें अंधेरे में रखने का आरोप
BORL के कर्मचारियों ने प्रशासन पर उन्हें अंधेरे में रखने का आरोप भी लगाया है। उन्हें डिमोशन की कोई जानकारी नहीं दी गई और BPCL का ऑफिशियल मेल आईडी खोलने पर उन्हें अपने डिमोशन का पता चला।
सूत्रों के अनुसार, प्रशासन अब भी उन्हें अंधेरे में रख रहा है और कह रहा है कि कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है।
BORL के कर्मचारियों ने 30 जून को निदेशक (रिफाइनरी) और निदेशक (HR) को अपनी मांगों का एक ज्ञापन भी सौंपा।
कामकाज
विरोध-प्रदर्शन से रिफाइनरी का कामकाज न प्रभावित हो, इसका ख्याल रख रहे कर्मचारी
पूरे घटनाक्रम से नाराज BORL के कर्मचारियों ने अपने विरोध-प्रदर्शन का असर रिफाइनरी के कामकाज पर नहीं पड़ने दिया है। 30 जून को उन्होंने पूरे दिन प्रदर्शन किया, लेकिन वो अपनी-अपनी शिफ्ट पूरी करने के बाद ही प्रदर्शन से जुड़े।
एक सूत्र ने कहा कि जब कर्मचारी रिफाइनरी के कामकाज का इतना ख्याल रख रहे हैं तो प्रशासन को भी उनकी मांगों की सुनवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि डिमोशन होने पर उन्हें फिर से जीरो से शुरू करना पड़ेगा।
कंपनी का पक्ष
किसी भी कर्मचारी के भविष्य से नहीं हुआ खिलवाड़- BPCL
BPCL के चीफ मैनेजर (कर्मचारी संबंध) शिरीष चांदेकर ने हमें बताया कि किसी भी कर्मचारी के भविष्य से खिलवाड़ नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा, "सभी को पहले के समान वेतन मिल रहा है। उन्हें अन्य आर्थिक लाभ भी दिए जाएंगे। पोस्ट BPCL ने अपने नियमों के अनुसार दी है। कंपनियों के विलय के समय ऐसी समस्या आती है और कर्मचारियों को लगता है कि उनके साथ गलत हुआ है, लेकिन बाद में उन्हें स्थिति समझ आ जाती है।"