मुंबई: कोरोना, ब्लैक फंगस और दूसरी बीमारियों को मात देकर 85 दिन बाद घर लौटा शख्स
मुंबई में एक शख्स 70 दिनों तक वेंटिेलेटर पर और कुल 85 दिन अस्पताल में रहने के बाद ठीक होकर अपने घर पहुंचा है। पवई के एचएल हीरनंदानी अस्पताल से जब एंबुलेंस 54 वर्षीय भारत पांचाल को लेकर बाहर निकली तो उनके परिवार ने राहत की सांस ली। विखरोली में दवाओं की दुकान चलाने वाले भारत को कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक लेने के बाद 8 अप्रैल को बुखार हुई थी। उसके बाद से वो लगातार अस्पताल में भर्ती थे।
एक हफ्ते के भीतर बिगड़ गई सेहत
TOI के अनुसार, भारत पांचाल का इलाज करने वाले उनके भाई और डॉ हरीश पांचाल ने बताया कि बुखार होने के बाद से ही उनके भाई के खिलाफ मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ा। उन्हें चार दिनों के भीतर ही फेफड़ो से जुड़ी परेशानियों ने घेर लिया। एक हफ्ते के भीतर उनकी तबियत और बिगड़ गई और उन्हें मैकेनिकल वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ा। उनका CT स्कोर 25 में से 21 तक पहुंच गया था।
ब्लैग फंगस से भी जूझे थे भारत
वेंटिलेटर पर रहने के 70 दिनों के दौरान भारत के किडनी समेत कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था और ब्लैक फंगस भी हो गया। हीरनंदानी अस्पताल से जुड़ीं डॉ अर्पिता द्विवेदी ने कहा कि भारत को वो सारी परेशानियां थीं, जो एक मरीज को हो सकती हैं। इस मामले से पता चलता है कि कोरोना से ठीक होने के बाद आने वालीं मुश्किलों को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
इलाज में इस्तेमाल किया गया हर मौजूद तरीका
भारत के इलाज के लिए डॉक्टरों ने प्लाज्मा थैरेपी से लेकर रेमडेसिवीर और एंटीबैक्टीरियल से लेकर एंटीफंगल दवाएं तक इस्तेमाल कीं। इन सबका असर होने में बहुत लंबा समय लगा। अस्पताल में जहां भारत अलग-अलग गंभीर बीमारियों से जूझ रहा था, वहीं बाहर उनका परिवार संघर्षों का सामना कर रहा था। एक समय तो ऐसा भी आया था, जब ICU में भर्ती भारत ने अपने परिवार से बात करना भी बंद कर दिया था।
ठीक होने के बाद भी परेशानियों ने नहीं छोड़ा पीछा
डॉ हरीश पांचाल ने बताया कि कोरोना से ठीक होने के बाद जब भारत को सामान्य ICU में भर्ती किया तो उनकी सेहत में सुधार होना शुरू हुआ। यहां वो अपने परिवार के लोगों से मिल सकते थे और इसका काफी असर पड़ा। डॉक्टरों के प्रयासों ने उनकी उम्मीदों को जिंदा रखा। इसी बीच जब भारत ठीक होने के रास्ते पर आगे बढ़ रहे थे, तभी उनके फेफड़ों से खून निकलना शुरू हो गया।
मामूली ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ मिली छुट्टी
डॉ हरीश ने कहा, "फेफड़ों की नई परेशानी के बाद हमें लगा था कि हम भारत को नहीं बचा पाएंगे, लेकिन डॉक्टरों ने इस बीमारी का भी इलाज कर दिया।" अब उन्हें मामूली ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
150 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे हैं लोग
शहर के दूसरे अस्पतालों में ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां मरीजों को लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ा है। KEM अस्पताल के डॉ हेमंत देशमुख ने बताया कि उनके पास आठ ऐसे मरीज हैं, जिन्हें 90-150 दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा था। हाल ही में वर्ली के एक 73 वर्षीय मरीज को 112 दिन अस्पताल में इलाज के बाद छुट्टी मिली थी। डॉक्टरों का कहना कि फेफड़ों और दूसरे अंगों की रिकवरी में लंबा समय लगता है।