कोरोना वैक्सीन: भारतीय कंपनी वॉकहार्ट ने सरकार को दिया सालाना दो अरब खुराकें बनाने का प्रस्ताव
क्या है खबर?
मुंबई की कंपनी वॉकहार्ट ने केंद्र सरकार के सामने प्रस्ताव पेश कर कहा है कि वह एक साल में कोरोना वायरस वैक्सीन की दो अरब खुराकें बना सकती है। कंपनी ने कहा है कि वह फरवरी, 2022 में 50 करोड़ खुराक की क्षमता के साथ उत्पादन शुरू कर सकती है।
अपने प्रस्ताव में कंपनी ने सरकार से ऐसी कंपनियों की पहचान करने में मदद मांगी है जिनकी वैक्सीन वह बना सकती है।
प्रस्ताव
वॉकहार्ट ने कहा- ज्यादातर वैक्सीनों का कर सकते हैं उत्पादन
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस महीने की शुरूआत में पेश किए गए अपने प्रस्ताव में वॉकहार्ट ने सरकार से कहा कि वह अभी उपलब्ध ज्यादातर कोरोना वैक्सीनों का उत्पादन कर सकती है और वैक्सीन बनाने के लिए जरूरी तकनीक प्राप्त करने की प्रकिया में है।
कंपनी ने कहा है कि उसके पास mRNA, प्रोटीन आधारित और वायरल वेक्टर आधारित तीनों तरह की वैक्सीन बनाने की उत्पादन और रिसर्च क्षमता है।
बयान
छह-नौ महीने में 50 करोड़ खुराकें बनाने की क्षमता विकसित करेगी वॉकहार्ट
एक सूत्र ने अखबार को बताया कि वॉकहार्ट किसी भी कोरोना वैक्सीन की सालाना 50 करोड़ खुराकें बनाने की क्षमता जल्द से जल्द स्थापित करने की योजना बना रही है। ये क्षमता विकसित करने में छह से नौ महीने लग सकते हैं।
सूत्र ने कहा कि वॉकहार्ट की कई कंपनियों से बातचीत चल रही है और आने वाले कुछ हफ्तों में एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी के साथ समझौता होने की संभावना है।
सरकार
कंपनी के प्रस्ताव पर विचार कर रही सरकार
रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार वॉकहार्ट के प्रस्ताव पर विचार कर रही है और अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।
हाल ही में रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख एल मंडाविया ने मामले पर कहा था, "वॉकहार्ट ने पिछले हफ्ते हमसे कहा था कि वह किसी भी कंपनी (कोरोना वैक्सीन निर्माता) से समझौता करने को तैयार है। हम भी इस पर काम कर रहे हैं। हम उनका किसी एक कंपनी से समझौता करा देंगे।"
कमी
वैक्सीन की कमी से जूझ रहा है भारत
वॉकहार्ट की तरफ से ये प्रस्ताव ऐसे समय पर पेश किया गया है जब भारत वैक्सीन की कमी से जूझ रहा है। इसके कारण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और भारत बायोटेक जैसी बड़ी कंपनियों को अन्य वैक्सीन बनाने की अपनी फैक्ट्रियों को कोरोना वैक्सीन बनाने में लगाना पड़ा है।
इस लिहाज से समझा जा सकता है कि वॉकहार्ट का प्रस्ताव कितना महत्वपूर्ण है। हालांकि वह भारत बायोटेक की कोवैक्सिन नहीं बनाएंगी क्योंकि इसके लिए बायोसेफ्टी लेवन-3 की लैब चाहिए।
समझौता
भारत से बाहर UK के साथ है वॉकहार्ट का समझौता
बता दें कि भारत के बाहर अभी वॉकहार्ट का यूनाइटेड किंगडम (UK) की सरकार के साथ समझौता है और वह उसके लिए वैक्सीनों को भरने और बंद करने का काम कर रही है।
अभी तक वह उत्तरी वेल्स में स्थित अपने प्लांट का इस्तेमाल एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को शीशियों में डालने और उन्हें पैक करने के लिए कर रही है।
समझौते के अनुसार, UK की सरकार अन्य वैक्सीनों को पैक करने के लिए भी उसका इस्तेमाल कर सकती है।