मथुरा: रेप और हत्या के आरोपी को 57 दिन के अंदर सुनाई गई फांसी की सजा
उत्तर प्रदेश के मथुरा की एक अदालत ने शुक्रवार को 10 वर्षीय बच्ची के रेप और हत्या के मामले में एक शख्स को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने चार्जशीट दाखिल होने के 26 दिन और घटना के 57 दिन के अंदर आरोपी शख्स को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है। शख्स 13 अक्टूबर को बच्ची को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया था और रेप के बाद उसकी हत्या कर दी थी।
अदालत ने दोषी पर जुर्माना भी लगाया
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि दोषी को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 के तहत फांसी की सजा दी जाती है और उसे फंदे पर तब तक लटकाया जाए जब तक की उसकी मौत न हो जाए। अदालत ने आरोपी को धारा 376 के तहत दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 20,000 रुपये के जुर्माने की सजा भी सुनाई। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अंतिम आदेश के बाद ही फांसी की सजा पर अमल किया जाएगा।
क्या है पूरा मामला?
सरकारी वकील ने बताया कि 30 वर्षीय दोषी शख्स घर के बाहर खेल रही बच्ची को भंडारे में खाना खिलाने के बहाने अपने साथ ले गया था और इसके बाद उसने उसका रेप किया। रेप के बाद उसने बच्ची की हत्या कर दी और शव को एक पॉलीटेक्निक कॉलेज के पास जंगल में फेंक दिया। पुलिस ने पीड़िता की मां की शिकायत पर शख्स के खिलाफ केस दर्ज किया था और बच्ची के शव को जंगल से बरामद किया था।
घटना के एक महीने बाद दाखिल कर दी गई थी चार्जशीट
मथुरा पुलिस ने घटना के महज एक महीने बाद 14 नवंबर को आरोपी शख्स के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी थी। मामले की सुनवाई यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) कानून के तहत मथुरा के अपर सत्र और विशेष न्यायाधीश विपिन कुमार की अदालत में हुई थी। कोर्ट ने मुकदमे में सुबूतों और गवाहों के बयानों के आधार पर आरोपी शख्स को POCSO कानून के तहत दोषी मानते हुए सजा सुनाई।
10 गवाहों के बयान हुए दर्ज
बतौर रिपोर्ट्स, पुलिस ने मामले की सुनवाई के लिए कुल 20 गवाह बनाए थे जिनमें से 10 गवाहों ने कोर्ट के सामने अपने बयान दर्ज कराए। इन गवाहों में पुलिसकर्मी, पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ और बच्ची के परिजन शामिल थे। 24 नवंबर तक इन सभी गवाहों के बयान दर्ज होने के बाद 25 नवंबर को मामले की सुनवाई पूरी हो गई थी। 5 दिसंबर को अदालत में DNA रिपोर्ट दाखिल की गई थी।