कई केंद्रीय एजेंसियों के पास स्थायी बॉस नहीं, कार्यकारी प्रमुखों के तहत कर रहीं काम
क्या है खबर?
देश की सात बड़ी केंद्रीय एजेंसियों के पास इस वक्त स्थायी बॉस नहीं हैं और ये कार्यकारी प्रमुखों के अधीन काम कर रही हैं।
इनमें से कई एजेंसियों के कार्यकारी प्रमुख एक साल से भी अधिक समय से इस पद पर बने हुए हैं।
सरकारी अधिकारी भी मान रहे हैं कि इन पदों पर नियुक्तियों में देर हुई है। हालांकि, वो साथ यह भी कहते हैं कि नियुक्ति की प्रक्रिया अभी चल रही है।
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बिना स्थायी बॉस के काम कर रही ये एजेंसियां
द प्रिंट के अनुसार, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB), ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट (BPR&D) केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC), दिल्ली पुलिस, सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स बिना स्थायी बॉस के काम कर रही हैं।
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NIA और CISF के पास मई से स्थायी बॉस नहीं
सुबोध कुमार जायसवाल के CBI प्रमुख बनने के बाद सुधीर कुमार सक्सेना मई से CISF के कार्यकारी महानिदेशक का कामकाज देख रहे हैं।
वहीं केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के महानिदेशक कुलदीप सिंह भी मई से NIA के कार्यकारी प्रमुख के पद पर तैनात हैं। यहां अभी तक स्थायी प्रमुख की नियुक्ति नहीं हुई है।
इसी तरह पिछले महीने संजय कोठारी के रिटायर होने के बाद सुरेश एन पटेल को केंद्रीय सतर्कता आयोग का कार्यकारी आयुक्त बनाया गया है।
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मंगलवार को रिटायर हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर
इनके अलावा सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स के महानिदेशक का पद भी खाली पड़ा है। इस पद पर तैनात मोहम्मद जावेद अख्तर की मई में कोरोना संक्रमण के कारण मौत हो गई थी।
वहीं मंगलवार को एसएन श्रीवास्तव की रिटायरमेंट के बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर का पद भी खाली हो गया है।
गृह मंत्रालय ने नई तैनाती या अगले आदेश तक विजिलेंस के स्पेशल कमिश्नर बालाजी श्रीवास्तव को दिल्ली पुलिस कमिश्नर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है।
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तीन महीने खाली रहा था CBI निदेशक का पद
फरवरी में आरके शुक्ला की रिटायरमेंट के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी CBI के प्रमुख पर भी तीन महीने तक कोई नियुक्ति नहीं हुई थी। मई के आखिरी हफ्ते में सुबोध कुमार जायसवाल को CBI प्रमुख बनाया गया था।
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एक साल से कार्यकारी प्रमुख के सहारे चल रही NCB
कई कार्यकारी प्रमुख ऐसे भी हैं, जो एक साल से अधिक समय से एजेंसियां का कार्यभार देख रहे हैं।
सीमा सुरक्षा बल (BSF) के महानिदेशक राकेश अस्थाना दिसंबर, 2019 से नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के कार्यकारी प्रमुख का कामकाज देख रहे हैं।
इसी तरह आंतरिक सुरक्षा के विशेष सचिव वीएसके कमुदी पिछले साल अगस्त से ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट (BPR&D) के आंतरिक प्रमुख का पद संभाल रहे हैं।
प्रक्रिया
नियुक्ति के लिए बनी हैं समितियां
CBI निदेशक की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और नेता विपक्ष की तीन सदस्यीय समिति करती है।
वहीं दूसरी नियुक्तियां प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली नियुक्ति समितियां करती हैं। इनमें गृह मंत्री भी शामिल होते हैं।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों की नियुक्ति में देरी हुई है, लेकिन इनकी प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने इस बारे में और जानकारी देने से मना कर दिया।
विशेषज्ञों की राय
क्या होते हैं स्थायी बॉस न होने के नुकसान?
एक रिटायर वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह पहली बार जब इतनी एजेंसियां कार्यकारी प्रमुखों के तहत काम कर रही हैं। कार्यकारी प्रमुखों का पद पर नैतिक अधिकार नहीं होता और उनके अधीन काम करने वाले अधिकारी भी उन्हें ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते। साथ ही ऐसे प्रमुख बड़े फैसले लेने से भी बचते हैं।
उन्होंने कहा कि स्थायी प्रमुख अनुशासनात्मक और प्रशासनिक स्थिरता लाता है, जो किसी भी एजेंसी के कामकाज और विकास के लिए जरूरी होती है।