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मनमोहन सिंह को कई बार सोना पड़ा था भूखा, बेटी दमन सिंह का खुलासा
मनमोहन सिंह को कई बार सोना पड़ा था भूखा

मनमोहन सिंह को कई बार सोना पड़ा था भूखा, बेटी दमन सिंह का खुलासा

Dec 28, 2024
10:38 am

क्या है खबर?

देश के पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार सुबह 11:45 बने निगम बोध घाट पर होगा। इससे पहले अंतिम दर्शनाें के लिए उनका पार्थिव देह कांग्रेस मुख्यालय पर रखा गया। इस बीच सिंह के संघर्षों की भी चर्चा हो रही है। उनकी बेटी दमन सिंह के अनुसार, सिंह को 1950 के दशक में छात्रवृत्ति पर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन करते समय पैसों की कमी के कारण कई बार भूखा भी सोना पड़ता था।

खुलासा

बेटी ने किताब में किया था संघर्षों का खुलासा

बेटी दमन सिंह ने अपने माता-पिता की कहानी बताने के लिए 2014 में हार्पर कॉलिन्स द्वारा प्रकाशित 'स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरशरण' नामक पुस्तक लिखी थी। उसमें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अपने पिता संघर्षों पर उन्होंने लिखा था, 'उस समम पैसा की कमी ही मेरे पिता की एकमात्र और सबसे बड़ी वास्तविक समस्या थी। कई बार पैसाें की कमी के कारण ऐसा भी होता था कि उन्हें भोजन छोड़ना पड़ता था या कैडबरी की चॉकलेट खाकर ही गुजारा करना पड़ता था।'

छात्रवृत्ति

सिंह ने छात्रवृत्ति पर हासिल की थी अर्थशास्त्र ऑनर्स की डिग्री 

दरअसल, सिंह ने 1950 के दशक में पंजाब विश्वविद्यालय की छात्रवृत्ति पर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र ऑनर्स की प्रथम श्रेणी से डिग्री हासिल की थी। उस दौरान की आर्थिक तंगी पर बेटी दमन ने लिखा था, 'कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में उनके ट्यूशन और रहने का खर्च लगभग 600 पाउंड (60,000 रुपये) प्रति वर्ष था, जबकि पंजाब विश्वविद्यालय की छात्रवृत्ति से उन्हें लगभग 160 पाउंड (16,000 रुपये) मिलते थे। यह उन्हें काफी परेशान करता था। ऐसे में वह काफी संघर्ष करते थे।'

खुद्दारी

सिंह ने जीवन में कभी नहीं लिया था उधार

बेटी दमन ने लिखा था, 'पढ़ाई के दौरान सिंह बेहद कम खर्चिले थे। वह कभी बाहर खाना नहीं खाते थे। घर में पैसे कम पड़ने या समय पर नहीं आने पर वह संकट में पड़ जाते थे। ऐसी स्थित में वह खाना छोड़ देते थे। उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी में कभी पैसे उधार नहीं लिए, लेकिन यह वह समय था जब वह ऐसा करने के सबसे करीब पहुंच गए थे और अपने दोस्त मदन लाल सूदन की ओर मुड़े थे।'