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विकास दुबे एनकाउंटर मामले में पुलिस की कहानी पर उठ रहे ये अहम सवाल

विकास दुबे एनकाउंटर मामले में पुलिस की कहानी पर उठ रहे ये अहम सवाल

Jul 10, 2020
02:20 pm

क्या है खबर?

आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे आज सुबह उज्जैन से कानपुर वापस लाते वक्त मुठभेड़ में मारा गया। पुलिस के अनुसार, उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्ट फोर्स (STF) की जिस गाड़ी में वह सवार था, वह रास्ते में फिसलकर पलट गई, जिसके बाद उसने एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीन कर भागने की कोशिश की। पुलिस की जबावी फायरिंग में वह मारा गया। हालांकि मुठभेड़ पर कई सवाल भी उठ रहे हैं। आइए इन पर एक नजर डालते हैं।

पहला सवाल

मुठभेड़ से पहले पत्रकारों के काफिले को रोका गया

विकास दुबे के मुठभेड़ पर सबसे बड़ा सवाल मुठभेड़ से 15-20 मिनट पहले पत्रकारों और रिपोर्टर्स को रोकने के कारण उठ रहा है। दरअसल, उज्जैन से ही विभिन्न चैनलों और अखबारों के रिपोर्टर्स की टीम विकास को वापस कानपुर ला रही STF टीम के काफिले के साथ चल रही थी। लेकिन कानपुर के सचेंडी में मुठभेड़ से 15-20 मिनट पहले और मुठभेड़ वाली जगह से दो किलोमीटर की दूरी पर रिपोर्टर्स के काफिले और अन्य वाहनों को रोक दिया गया।

ट्विटर पोस्ट

मुठभेड़ से पहले मीडिया को क्यों रोका गया?

दूसरा सवाल

मुठभेड़ से कुछ मिनट पहले दूसरी गाड़ी में था विकास

विकास के मुठभेड़ को लेकर दूसरा सवाल उसकी गाड़ी बदलने को लेकर हो रहा है। मुठभेड़ से कुछ मिनट पहले विकास को STF के काफिले की एक टाटा सफारी गाड़ी में देखा गया था, वहीं जो गाड़ी पलटी वह महिंदा TUV थी। सवाल यह है कि विकास की गाड़ी को कब और क्यों बदला गया और अगर गाड़ी को बदला गया था तो पुलिस ने इसकी जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की है।

ट्विटर पोस्ट

क्यों बदली गई विकास की गाड़ी?

तीसरा और चौथा सवाल

कल आत्मसमर्पण किया तो आज भागने की कोशिश क्यों कर रहा था विकास?

तीसरा सवाल ये कि जब कल विकास दुबे ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में आत्मसमर्पण किया था तो आज उसने पुलिस से हथियार छीनकर भागने की कोशिश क्यों की? हालांकि, आधिकारिक तौर पर मध्य प्रदेश पुलिस ने कहा है कि उन्होंने विकास का पकड़ा, लेकिन पूरे घटनाक्रम से साफ है कि उसने आत्मसमर्पण किया था। एक सवाल ये भी है कि जब इतना कुख्यात अपराधी होने के बावजूद STF की टीम उसे बिना हथकड़ी लगाए क्यों ला रही थी।

पांचवां सवाल

इसी अंदाज में मारा गया था विकास का सहयोगी

गुरुवार को विकास का सहयोगी प्रभात मिश्रा भी कुछ इसी तरीके की मुठभेड़ में मारा गया था। हरियाणा के फरीदाबाद से गिरफ्तारी के बाद उसे कानपुर लाया जा रहा था और रास्ते में जब पुलिसकर्मी गाड़ी का पंचर टायर बदल रहे थे, तब उसने भागने की कोशिश की। पुलिस की फायरिंग में वह मारा गया। विकास और उसके सहयोगी की मुठभेड़ की कहानी में इतनी समानता महज इत्तेफाक नजर नहीं आता और इस पर भी सवाल उठ रहे हैं।

अन्य सवाल

इन सवालों का भी पुलिस को देना होगा जबाव

चश्मदीदों के बयानों के कारण भी पूरी मुठभेड़ पर कुछ सवाल उठ रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने गोलियां की आवाज जरूर सुनी थी, लेकिन कोई दुर्घटना होते नहीं देखी। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उन्हें वहां से जाने को कहा था। एक सवाल यह भी है कि जिस जगह कार पलटी वहां कोई बैरिकेडिंग वगैरा नहीं है तो गाड़ी आखिर कैसे पलटी। सुनसान होने के कारण ये फर्जी मुठभेड़ के लिए बिल्कुल सही जगह नजर आती है।