महाराष्ट्र: सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को देरी से दफ्तर पहुंचना पड़ेगा भारी, कटेंगी छुट्टियां और सैलरी
महाराष्ट्र में अब देरी से दफ्तर आना सरकारी अधिकारियों को भारी पड़ेगा और इसके लिए उनकी सैलरी तक कट सकती है। राज्य सरकार इसके लिए एक सर्कुलर लेकर आई है जिसमें देरी से दफ्तर आने वाले सरकारी कर्मचारियों को दंडित करने का प्रावधान किया गया है। सर्कुलर के अनुसार, देरी से दफ्तर आने पर पहले कर्मचारियों की छुट्टियां काटी जाएंगी और छुट्टियां खत्म होने पर उनके सैलरी से पैसे काटे जाएंगे।
इस तरह से कटेंगी छुट्टियां
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग को जारी किए गए सर्कुलर के अनुसार, महीने में तीन या इससे अधिक दिन देरी से दफ्तर आने पर एक दिन की कैजुअल लीव कट जाएगी। वहीं अगर कोई कर्मचारी या अधिकारी महीने में नौ या इससे अधिक दिन देरी से दफ्तार आता है तो उसकी रोजाना एक अर्न्ड लीव कटेगी। अगर किसी कर्मचारी की कैजुअल लीव खत्म हो गई हैं तो पेड लीव से उसकी छुट्टियां कटेंगी।
छुट्टियां खत्म होने पर सैलरी से कटेंगे पैसे
सर्कुलर के अनुसार, अगर किसी कर्मचारी की सभी तरह की छुट्टियां खत्म हो गई हैं और फिर भी वह देरी से दफ्तर आता है तो उसकी सैलरी काट ली जाएगी। इसके अलावा जो कर्मचारी दो से अधिक बार डेढ़ घंटे की देरी से दफ्तर आएंगे, उन्हें काम का समय खत्म होने के बाद इतने ही अतिरिक्त समय के लिए दफ्तर में रुकने पड़ेगा। ये सर्कुलर वरिष्ठ अधिकारियों समेत सभी सरकारी कर्मचारियों पर लागू होगा।
ये हैं महाराष्ट्र सरकार के दफ्तरों की टाइमिंग
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारियों को आमतौर पर सुबह 9:45 बजे दफ्तर पहुंचना होता है, हालांकि यातायात में आने वाली दिक्कतों को देखते हुए सरकार ने उन्हें एक घंटे का अतिरिक्त समय दे रखा है और अगर वे इस समय में दफ्तर पहुंचते हैं तो उन्हें लेट नहीं माना जाएगा। हालांकि 10:45 से 12:15 के बीच आने वाली कर्मचारियों को लेट माना जाएगा, वहीं इससे भी लेट होने वाले कर्मचारियों की आधे दि की सैलरी काट ली जाएगी।
जायज वजह से लेट होने पर किया जाएगा माफ
राज्य सरकार ने ये भी कहा है कि जो कर्मचारी समय से पीछे चल रही ट्रेनों या अन्य किसी जायज वजह के कारण देरी से दफ्तर पहुंचते हैं, उन्हें माफ कर दिया जाएगा। सरकार ने अपने सर्कुलर में सभी विभागों के अध्यक्षों को हर महीने अपने कर्मचारियों की अटेंडेंस की समीक्षा करने का निर्देश भी दिया है। इसके अलावा उन्हें साल में दो बार सरकार के पास रिपोर्ट जमा कराने को भी कहा गया है।