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मध्य प्रदेश में बच्चों को चढ़ा दिया HIV संक्रमित खून, डॉक्टर निलंबित; क्या है मामला?
मध्य प्रदेश के जिला अस्पताल में थैलेसीमिया बच्चों को HIV संक्रमण हुआ

मध्य प्रदेश में बच्चों को चढ़ा दिया HIV संक्रमित खून, डॉक्टर निलंबित; क्या है मामला?

लेखन गजेंद्र
Dec 19, 2025
10:43 am

क्या है खबर?

मध्य प्रदेश के सतना जिले में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की लापरवाही से थैलेसीमिया से पीड़ित 6 बच्चे HIV संक्रमण की चपेट में आ गए। घटना यहां के जिला अस्पताल में 4 महीने पहले घटी थी, जिसका खुलासा अब हुआ है। मामले में अस्पताल के ब्लड बैंक प्रभारी और 2 लैब तकनीशियनों को निलंबित कर दिया है और सतना जिला अस्पताल के पूर्व सिविल सर्जन को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। क्या है पूरा मामला? आइए जानते हैं।

घटना

क्या है मामला?

जिला अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को हर महीने 2-3 बार रक्त चढ़ाया जाता है, जिसके लिए अस्पताल का ब्लड बैंक स्वैच्छिक रक्तदान आयोजित करता है। इसी बीच मार्च में थैलेसीमिया पीड़ित 15 वर्षीय बच्चे का HIV टेस्ट पॉजिटिव आया। दो और बच्चों की जांच हुई तो वे भी संक्रमित पाए गए। फिर अप्रैल में भी 3 बच्चों के संक्रमित होने का पता चला। हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने 6 महीने तक खबर दबाए रखी, जो 15 दिसंबर को सामने आई।

जांच

अब शुरू हुई जांच

मामला उजागर होने के बाद मध्य प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है और सरकार को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। विरोध को देखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने डॉ. योगेश भरसात (आयुष्मान भारत के CEO) की अध्यक्षता में सात सदस्यीय जांच समिति गठित की है। हालांकि, उनकी रिपोर्ट के बाद ही ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. देवेंद्र पटेल, लैब तकनीशियन राम भाई त्रिपाठी और नंदलाल पांडे को निलंबित किया गया है। अभी जांच जारी है।

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चूक

कहां हुई चूक?

ब्लड बैंक में जब किसी कोई व्यक्ति रक्तदान करता है तो उससे एक फॉर्म भरवाया जाता है, जिसमें उसकी तमाम जानकारियां लिखी होती हैं। इसके बाद व्यक्ति का रक्त लेकर उसकी HIV, सिफलिस, हेपेटाइटिस समेत कई प्रकार की जांच की जाती है, जिसमें कई प्रक्रिया होती है। अगर मरीज को कोई बीमारी होती है तो उसे ब्लड बैंक की ओर से सूचित किया जाता है। सतना मामले में रक्त की स्क्रीनिंग में ही चूकी की बात सामने आ रही है।

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जानकारी

थैलेसीमिया क्या बीमारी है?

थैलेसीमिया वंशानुगत रक्त विकार है, जिसमें शरीर में कम हीमोग्लोबिन बनता है। मरीज गंभीर एनीमिया, थकान और कमजोरी से गुजरता है। वह जीवनभर रक्त आधान पर निर्भर होता है। अगर माता-पिता थैलेसीमिया वाहक हैं, तो बच्चा पीड़ित होगा। इसलिए शादी से पहले जांच जरूरी है।

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