लखीमपुर खीरी: कैसे राकेश टिकैत ने सरकार और किसानों के बीच समझौते में निभाई अहम भूमिका?
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को हुई हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत के बाद तनाव का महौल बना हुआ है। घटना के विरोध में किसानों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। हालांकि, भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत ने किसानों और सरकार के बीच एक समझौता करने के लिए अधिकारियों के साथ बातचीत का नेतृत्व किया और इसमें उन्हें सफलता भी मिली है।
लखीपुर खीरी में हुई थी हिंसा
लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में अपने पैतृक गांव में रविवार को आयोजित कार्यक्रम में जा रहे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का किसान विरोध कर रहे थे। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। मिश्रा के बेटे आशीष उपमुख्यमंत्री का स्वागत करने के लिए जा रहे थे। इस दौरान किसानों ने उनकी कार के सामने प्रदर्शन शुरू कर दिया। आरोप है कि आशीष ने किसानों पर कार चढ़ा दी। जिससे दो किसानों की मौत हो गई।
घटना के बाद भड़की हिंसा में हुई छह की मौत
मंत्री मिश्रा के बेटे आशीष उर्फ मोनू मिश्रा द्वारा किसानों पर कार चढ़ाने और दो किसानों की मौत होने के बाद किसान भड़क गए और उन्होंने हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया। उस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मिश्रा के बेटे की कार सहित दो अन्य वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद मौके पर तनाव की स्थिति बन गई। हिंसा में दो प्रदर्शनकारी और चार भाजपा कार्यकर्ताओं की और मौत हो गई। इससे मृतकों की संख्या आठ पर पहुंच गई।
टिकैत ने उत्तर प्रदेश सरकार से कही विपक्षी नेताओं को रोकने की बात
इस घटना के बाद राकेश टिकैत को मध्यस्थता के लिए बुलाया गया था, क्योंकि उन्हें उत्तर प्रदेश में विरोध का चेहरा माना जाता है। वह कथित तौर पर सोमवार दोपहर 01:30 बजे लखीमपुर खीरी पहुंचे और दोनों पक्षों के बीच बातचीत करीब 12 घंटे बाद समाप्त हो गई। द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यह टिकैत ही थे जिन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से विपक्षी नेताओं को लखीमपुर पहुंचने से रोकने के लिए कहा था ताकि तनाव बढ़ने से रोका जा सके।
'तीन चरणों' में हुई वार्ता
मौके पर मौजूद एक एक अधिकारी ने बताया कि टिकैत ने सरकार के खिलाफ किसी तरह की आलोचना नहीं की थी। उस दौरान घटना स्थल के पास स्थित एक भवन में ही तीन चरणों में वार्ता हुई थी। लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी अरविंद चौरसिया और पुलिस अधीक्षक विजय ढुल ने टिकैत के नेतृत्व वाले किसानों के प्रतिनिधिमंडल से तीन बार चर्चा की थी। प्रतिनिधिमंडल में टिकैत के दो भरोसेमंद नेता और चार स्थानीय सिख किसान शामिल थे।
किसानों ने क्या रखी थी मांगें?
किसान प्रतिनिधिमंडल ने अधिकारियों के सामने चार मांगें रखी थीं। इनमें कथित रूप से किसानों को कार से कुचलने वाले केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष उर्फ मोनू मिश्रा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने और त्वरित कार्रवाई करने की मांग प्रमुख थी। इसके अलावा मृतकों के परिजनों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने और उनके परिवार के एक सदस्य को सरकार नौकरी देने तथा घायलों को भी मुआवजा देने की मांग की थी।
अधिकारियों ने बातचीत के दौरान झड़प की आशंका जताई
अधिकारियों ने किसानों से मुआवजे की मांग कम करने और सरकारी नौकरी खत्म करने को कहा था। हालांकि, चर्चा में ऐसे कई मौके आए थे जब टकराव की स्थिति बनी थी। अधिकारियों को डर था कि छोटी सी घटना टकराव का कारण बन सकती है।
मृतकों के परिजनों को 45 लाख के मुआवजे पर हुआ समझौता
सोमवार दोपहर करीब 1 बजे अधिकारियों ने किसानों के प्रतिनिधिमंडल से अंतिम वार्ता की। इसमें आशीष मिश्रा के खिलाफ दर्ज FIR की कॉपी पेश की गई। इसके बाद किसान आगे की वार्ता के तैयार हो गए। इसमें मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने पर चर्चा हुई। इसके बाद मृतकों के परिजनों को 45 लाख रुपये का मुआवजा और एक सदस्य को नौकरी तथा घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने पर समझौता हो गया।