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बेंगलुरु: बहुराष्ट्रीय कंपनी की महिला अधिकारी 6 महीने तक रहीं डिजिटल अरेस्ट, 32 करोड़ रुपये गंवाए
बेंगलुरु में महिला ने डिजिटल अरेस्ट के बाद 32 करोड़ रुपये गंवाए

बेंगलुरु: बहुराष्ट्रीय कंपनी की महिला अधिकारी 6 महीने तक रहीं डिजिटल अरेस्ट, 32 करोड़ रुपये गंवाए

लेखन गजेंद्र
Nov 17, 2025
01:35 pm

क्या है खबर?

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में डिजिटल गिरफ्तार कर धोखाधड़ी का सबसे बड़ा मामला सामने आया है, जहां एक 57 वर्षीय महिला ने 32 करोड़ रुपये गंवा दिए। महिला एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं, जिनको 6 महीने तक बंधक बनाया गया था। साइबर अपराधियों ने खुद को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का अधिकारी बताया था। महिला पर वीडियो कॉल से नजर रखी गई थी। अस्पताल में भी अपराधी उनको धमका रहे थे।

अपराध

सितंबर 2024 से अपराधियों की गिरफ्त में थी महिला

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, महिला को 15 सितंबर, 2024 को एक व्यक्ति का फोन आया, जिसमें उसने खुद को मुंबई स्थित DHL लॉजिस्टिक्स से बताया। उसने कहा कि महिला के नाम से आए एक पार्सल में 3 क्रेडिट कार्ड, 4 पासपोर्ट और प्रतिबंधित ड्रग्स है, जिसकी बुकिंग उसके दस्तावेजों से हुई है। व्यक्ति ने महिला को साइबर क्राइम सेल में शिकायत करने की सलाह दी। हालांकि, तुरंत बाद महिला के पास फर्जी CBI अधिकारी का फोन आ गया।

शिकायत

महिला ने बताया- फर्जी अधिकारी ने उससे क्या कहा?

महिला ने पुलिस को शिकायत में बताया कि फर्जी अधिकारी ने उसके कहा कि चाहे वह वहां हो या न हो, लेकिन उनकी पहचान का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वह इसके लिए जिम्मेदार हैं और सबूत उनके खिलाफ है। अपराधियों ने महिला को स्थानीय पुलिस या वकीलों से संपर्क न करने को कहा और बताया कि इससे उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि वह परिवार से भी बात साझा न करें क्योंकि उनकी नजर बनी हुई है।

नाटक

फर्जी अधिकारियों ने 1 दिसंबर को क्लीयरेंस सर्टिफिकेट भी दिया

महिला ने बताया कि उसे 2 स्काइप अकाउंट बनाने और वीडियो कॉल पर रहने को कहा गया। मोहित हांडा नाम के व्यक्ति ने 23 सितंबर को RBI की वित्तीय खुफिया इकाई के समक्ष अपनी संपत्ति घोषित करने को कहा। महिला ने 187 लेन-देन से अपनी बचत के 31.84 करोड़ रुपये नवंबर तक ट्रांसफर किए। महिला को आश्वासन दिया गया कि फरवरी 2025 तक सत्यापन के बाद राशि वापस होगी। 1 दिसंबर, 2024 को उसे नकली क्लीयरेंस सर्टिफिकेट मिला था।

धमकियां

अस्पताल में भी मिलती रही धमकियां

महिला ने बताया कि वह दिसंबर में बीमार पड़ गईं और अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इसके बाद भी उन्हें स्काइप पर अपडेट रहने को कहा गया और धमकियां दी गई। उनको आश्वासन दिया कि 25 फरवरी, 2025 तक पैसे वापस कर दिए जाएंगे। इस आधार पर उनसे 'प्रोसेसिंग शुल्क' की मांग की गई। उन्होंने बताया कि 26 मार्च के बाद वे गायब हो गए, जिससे महिला सदमे में चली गईं। उन्होंने अब शिकायत दर्ज कराई है।

जानकारी

बेंगलुरु पुलिस ने कहा- फोन काटना होता बेहतर

बेंगलुरु पुलिस ने महिला की शिकायत पर कहा कि अगर महिला ने उसी समय फोन काट दिया होता तो वह सुरक्षित होती। फिलहाल, मामला 3 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि का होने के कारण अपराध जांच विभाग (CID) को सौंपा गया है।