JNU हिंसा: एक हफ्ते में एक भी गिरफ्तारी नहीं, जानें मामले में अब तक क्या-क्या हुआ
क्या है खबर?
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में बीते रविवार को नकाबपोश गुंडों के हमले को एक हफ्ता हो गया है।
एक हफ्ता बीतने के बावजूद सीधे गृह मंत्री अमित शाह के नीचे काम करने वाली दिल्ली पुलिस अभी तक एक भी नकाबपोश गुंडे को पकड़ने में नाकाम रही है।
हालांकि इस दौरान राजनीतिक बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोपों के जरिए असल सवालों को परिदृश्य से गायब करने का खेल खूब चला।
आइए इन्हीं सवालों और पूरी घटना पर क्रमसार एक नजर डालते हैं।
शुरूआत
5 जनवरी की शाम से शुरू हुआ विवाद
पूरे विवाद की शुरूआत 5 जनवरी की शाम को हुई जब 50-60 नकाबपोश गुंडों ने JNU कैंपस में घुसकर छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया।
जिस समय इन गुंडों ने हमला किया, छात्र और शिक्षक साबरमती हॉस्टल के पास एक सभा कर रहे थे।
उन्होंने यहां जमा छात्रों और शिक्षकों पर सबसे पहले पत्थर बरसाए।
इस हमले में क्षेत्रीय विकास अध्ययन केंद्र की प्रमुख सुचारिता सेन सिर पर पत्थर लगने की वजह से गंभीर रूप से घायल हो गईं।
हमला
हॉस्टल में घुसकर भी छात्रों को बनाया गया निशाना
गुंडों के हमले के इस हमले से बचने के लिए छात्र साबरमती हॉस्टल में जाकर छिप गए, लेकिन इन गुंडों ने उन्हें वहां भी नहीं बख्शा।
हॉस्टल में घुसकर इन गुंडों ने छात्रों को चुन-चुन कर निशाना बनाया।
कैंपस के अंदर उनका ये आतंक करीब दो घंटे तक चला और वो लोहे की रॉड, हॉकी और डंडों से छात्रों को पीटते रहे।
इस हमले में करीब 34 छात्र घायल हुए जिनमें JNU छात्र संघ प्रमुख आइशी घोष भी शामिल हैं।
हिंसा के दौरान
छात्रों ने किए आपातकालीन कॉल, पुलिस ने मीडिया और सामाजिक कार्यकर्ताओं को गेट पर रोका
हमले के दौरान छात्रों ने मदद के लिए पुलिस को आपातकालीन कॉल किए। इसके अलावा सामाजिक कार्यकर्ताओं और अपने जानने वाले अन्य लोगों को भी इसकी सूचना दी।
लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता और अन्य लोग मौके पर पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें गेट पर ही रोक लिया। पुलिस ने मीडिया को भी अंदर नहीं जाने दिया।
इस बीच वहां मौजूद स्ट्रीट लाइट्स भी बंद कर दी गईं और JNU आने वाले रास्तों को रोक दिया गया।
जानकारी
पुलिस के सामने की गई योगेंद्र यादव और मीडियाकर्मियों की पिटाई
गेट के बाहर कुछ लोगों ने स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव को गिराकर पीटा और मीडियाकर्मियों पर भी हमला किया गया। इस दौरान पुलिस वहीं मौजूद थी, लेकिन वो मूकदर्शक बन कर देखती रही।
सवाल
दिल्ली पुलिस के रवैये पर गंभीर सवाल
हमले के दौरान पुलिस के रवैये पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
सबसे अहम सवाल इस बात को लेकर उठता है कि छात्रों के बार-बार कॉल करने के बावजूद पुलिस कैंपस के अंदर नहीं गई बल्कि बाहर खड़ी होकर छात्रों को बचाने के लिए अंदर आने की कोशिश कर रहे लोगों और मीडिया को रोकती रही।
पुलिस के कार्यों से साफ प्रतीत हुआ कि वो नकाबपोश गुंडों को रोकने और उन्हें पकड़ने की बजाय उन्हें संरक्षण प्रदान कर रही है।
सवाल
अंदर गुंडे करते रहे तांडव, पुलिस गेट पर खड़ी रही
जिन दो घंटों में नकाबपोश गुंडों ने JNU कैंपस में तांडव मचाया, पुलिस ने उस दौरान कैंपस को बाहरी दुनिया से काटने का काम किया। ऐसा लगा कि पुलिस गुंडों को खुली छूट दे रही है।
कैंपस के अंदर न घुसने के आरोपों पर दिल्ली पुलिस का कहना है कि उसे JNU प्रशासन से कैंपस में घुसने की इजाजत नहीं मिली थी।
लेकिन उसी की FIR में शाम 5-6 बजे के आसपास कैंपस में बुलाने की बात कही गई है।
JNU प्रशासन
JNU प्रशासन पर भी गंभीर सवाल
हिंसा के दौरान JNU प्रशासन के रवैये पर भी गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
सबसे अहम सवाल ये कि कैंपस में नकाबपोश गुंडों के खुलेआम घूमने के बावजूद प्रशासन ने पुलिस को अंदर क्यों नहीं बुलाया।
दूसरा सवाल ये कि हमले के समय JNU के खुद के सुरक्षा गार्ड कहां थे।
कैंपस में सादे कपड़ों में दिल्ली पुलिस के 15-20 जवान भी तैनात रहते हैं, हमले के दौरान वो क्या कर रहे थे ये भी एक सवाल है।
आरोप-प्रत्यारोप
छात्र संगठनों ने एक-दूसरे पर लगाया आरोप
ये तो हुई हिंसा वाले दिन और उससे जुड़े सवालों की बात, अब जानते हैं कि इसका बाद एक हफ्ते में क्या हुआ।
घटना के अगले ही दिन मामले की जांच को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया।
इस बीच JNUSU और वामपंथी छात्र संगठनों ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) पर बाहर से लोग बुलाकर हिंसा करने का आरोप लगाया, वहीं ABVP ने यही आरोप वामपंथी संगठनों पर लगाया।
जानकारी
ABVP और प्रशासन ने हिंसा को सर्वर रूम मामले से जोड़ा
ABVP और JNU प्रशासन ने रविवार की हिंसा को बीते कुछ दिन से नए सेमेस्टर के लिए रजिस्ट्रेशन को लेकर चली आ रही लड़ाई से जोड़ा। उन्होंने रजिस्ट्रेशन का विरोध कर रहे वामपंथी छात्र संगठनों पर सर्वर रूम तोड़ने और हिंसा करने का आरोप लगाया।
जांच
पुलिस ने हिंसा में शामिल नौ छात्रों के नामों का किया खुलासा
अब बात करते हैं दिल्ली पुलिस की जांच की और इस पर भी हिंसा वाले दिन उसके रवैये की तरह गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
शुक्रवार को मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच SIT के प्रमुख जॉय टिरके ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हिंसा में शामिल रहे नौ छात्रों के नामों का खुलासा किया था।
उन्होंने आइशी घोष, चुनचुन कुमार, पंकज मिश्रा, वास्कर विजय मेच, सुचेता तालुकदार, प्रिया रंजन, विकास पटेल, योगेंद्र भारद्वाज और डोलन सामंता की तस्वीरें जारी कीं।
सवाल
क्या ABVP को बचाने की कोशिश कर रही है पुलिस?
इसके अलावा ये भी सामने आया है कि टिकरे ने आरोपी छात्रों की जो तस्वीरें जारी कीं, वो हूबहू वहीं तस्वीरें थीं जिन्हें ABVP के सदस्य पहले ही ट्वीट कर चुके हैं।
यहीं नहीं, ट्वीट्स में इन तस्वीरों पर जो कैप्शन लिखे हुए हैं, उन्हीं कैप्शन को टिकरे द्वारा जारी तस्वीरों में देखा जा सकता है।
इन खुलासों से प्रतीत होता है कि शायद दिल्ली पुलिस मामले में ABVP को बचाने की कोशिश कर रही है।
सवाल
आरोपी छात्रों में ABVP के सदस्य शामिल, फिर भी टिरके ने नहीं लिया ABVP का नाम
अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान SIT प्रमुख टिरके ने JNU में हुई हिंसा के लिए स्टूडेंट फ्रंट ऑफ इंडिया (SFI), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) छात्र संगठनों के सदस्यों को जिम्मेदार ठहराया था।
उन्होंने अपनी प्रेस कांन्फ्रेंस में कहीं भी ABVP का नाम नहीं लिया जबकि उसने जिन छात्रों के नामों का खुलासा किया उनसें से कुछ छात्र ABVP से ही संबंध रखते हैं।
मीडिया पड़ताल
मीडिया की पड़ताल में सामने आया हिंसा में ABVP का हाथ
क्राइम ब्रांच की SIT भले ही नकाबपोश गुंडों की पहचान करने में नाकाम रही हो, लेकिन कुछ मीडिया संगठन जरूर इसमें कामयाब रहे हैं।
'इंडिया टुडे' की जांच में ABVP से जुड़े छात्रों ने 5 जनवरी की शाम हिंसा करने की बात स्वीकार की है और वो ऐसा दावा करते हुए कैमरे में कैद हुए हैं।
वहीं 'ऑल्ट न्यूज' की पड़ताल में नकाबपोश गुंडों में शामिल एक छात्रा की पहचान ABVP की कोमल शर्मा के तौर पर की गई है।
प्रदर्शन
छात्रों और शिक्षकों ने की कुलपति को पद से हटाए जाने की मांग
बीते एक हफ्ते में कुलपति जगदीश कुमार पर उठ रहे सवाल और बड़े हुए। एक मीडिया रिपोर्ट में सामने आया कि जिस समय गुंडे कैंपस में आतंक मचा रहे थे, कुलपति ने पुलिस अधिकारियों को व्हाट्सऐप मैसेज कर गेट पर ही बने रहने का कहा था।
वहीं छात्रों को बचाने में उनकी असफलता के कारण JNUSU और JNU शिक्षक संघ ने गुरूवार को मंडी हाउस से मानव संशाधन मंत्रालय तक रैली निकाली और उन्हें हटाए जाने की मांग की।