जम्मू-कश्मीर: लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने अमेरिका निर्मित M4 कार्बाइन राइफलों से किया था हमला, तस्वीरें जारी
जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में 2 सैन्य वाहनों पर घात लगाकर आतंकी हमला करने की जिम्मेदारी प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (PAFF) शाखा ने ली है। इंडिया टुडे के मुताबिक, संगठन ने सोशल मीडिया पर हमले वाली जगह की तस्वीरें भी जारी कीं, जिसमें अत्याधुनिक अमेरिका निर्मित M4 कार्बाइन राइफलों का इस्तेमाल दिखाया गया है। M4 कार्बाइन 1980 के दशक के दौरान अमेरिका में विकसित एक हल्की, गैस-संचालित, मैग्जीन-संचालित कार्बाइन है।
80 से अधिक देश इस्तेमाल करते हैं यह हथियार
रिपोर्ट के मुताबिक, M4 कार्बाइन का इस्तेमाल अमेरिकी सशस्त्र बल की प्राथमिक पैदल सेना करती है। साथ ही इसे 80 से अधिक अन्य देशों द्वारा भी उपयोग में लाया जाता है। M4 को नजदीकी युद्ध के लिए खासतौर पर डिजाइन किया गया है। यह लक्ष्य साधने में बहुत ही कुशल है। साथ ही यह तमाम तरह की युद्ध स्थितियों के लिए सटीक, विश्वसनीय और उपयुक्त है। यह हथियार सैन्य और कानून प्रवर्तन कर्मियों के लिए अच्छा विकल्प माना जाता है।
जैश-ए-मोहम्मद का नया नाम तो नहीं PAFF?
रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 के बाद से मारे गए जैश-ए-मोहम्मद के अधिकतर आतंकियों के पास से M4 कार्बाइन और स्टील की गोलियां बरामद हो चुकी हैं। संभावना जताई जा रही है कि PAFF जैश-ए-मोहम्मद का नया मोर्चा भी हो सकता है, जिसे अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI द्वारा स्थापित किया गया। PAFF ने हाल के महीनों में जम्मू-कश्मीर में हर बड़े आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली है। इसमें उच्च प्रशिक्षित आतंकवादी शामिल हैं।
राजौरी हमले में शहीद हुए 5 जवान
भारतीय सेना के अनुसार, 20 दिसंबर की रात से राजौरी के थानामंडी के जनरल एरिया डीकेजी (ढेरा की गली) में एक ऑपरेशन चलाया जा रहा था। 21 दिसंबर को लगभग 3 बजे सेना के 2 वाहन सैनिकों को लेकर ऑपरेशन के लिए आगे बढ़ रहे थे, तभी आतंकियों ने अचानक हमला कर दिया। सैनिकों द्वारा तुरंत जवाबी कार्रवाई की गई। हमले में सैनिकों को घातक हमलों का सामना करना पड़ा, जिसमें 5 जवान शहीद हुए और 2 घायल हुए हैं।