क्या भारत की रेबीज वैक्सीन नकली है और ऑस्ट्रेलिया ने इसको लेकर क्यों जताई है चिंता?
क्या है खबर?
भारत की रेबीज वैक्सीन को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य विभाग ने अपने नागरिकों को भारत से आई रेबीज वैक्सीन को लेकर चेतावनी जारी की है। ऑस्ट्रेलियाई स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि भारत में नवंबर 2023 से नकली रेबीज वैक्सीन बेची जा रही है। भारत में बनी 'अभयराब' वैक्सीन लगवा चुके लोग भी रेबीज से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो सकते हैं। इस चेतावनी ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी है।
चेतावनी
ऑस्ट्रेलिया ने क्या जारी की चेतावनी?
ऑस्ट्रेलियाई तकनीकी सलाहकार समूह (ATAGI) ने गत 22 दिसंबर को सार्वजनिक क्षेत्र की सरकारी कंपनी इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स (IIL) के एक प्रमुख प्रभाग ह्यूमन बायोलॉजिकल्स इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित 'अभयराब' वैक्सीन के नकली बैचों को लेकर अहम चेतावनी जारी की थी। ATAGI ने कहा था, "नकली वैक्सीन लगवाने वाले लोग रेबीज से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो सकते हैं और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए टीके की नई खुराक लेने की सलाह दी जाती है।"
उपलब्धता
ऑस्ट्रेलिया में उपलब्ध नहीं है अभयराब वैक्सीन
ATAGI ने कहा है, "हालांकि अभयराब ऑस्ट्रेलिया में उपलब्ध नहीं है, लेकिन जिन लोगों ने भारत में रहते हुए यह वैक्सीन लगवाई है, वे रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो सकते हैं।" बता दें कि रेबीज एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि इससे भारत में हर साल लगभग 18,000 से 20,000 लोगों की मौत होती है। हालांकि, इसके गंभीर लक्षण कम लोगों में ही सामने आते हैं।
चिंता
क्या अन्य देशों ने भी 'अभयराब' वैक्सीन पर जताई है चिंता?
'अभयराब' वैक्सीन को लेकर चिंता जताने वाला ऑस्ट्रेलिया अकेला देश नहीं है। नवंबर में, अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) ने कहा था कि भारत से आए एक यात्री में रेबीज का मामला सामने आया है और भारत में नकली अभयराब वैक्सीन के प्रचलन का हवाला दिया। CDC ने कहा था, "भारत में रेबीज के संभावित खतरे में आए यात्रियों को तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। घर लौटने पर यात्रियों को अपने डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए।"
ब्रिटेन
ब्रिटेन ने भी अक्टूबर में जारी की थी सलाह
ब्रिटेन के स्वास्थ्य प्राधिकरण ने भी अक्टूबर में अभयराब के संबंध में सलाह जारी की थी। अपनी चेतावनी में उसने कहा था, "ब्रिटेन के चारों देशों की सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियां उन यात्रियों की पहचान करने के लिए समीक्षा कर रही हैं जिन्होंने नवंबर 2023 के बाद भारत में किसी जानवर के काटने के बाद रेबीज वैक्सीन लगवाई थी। इससे यह निर्धारित किया जा सकेगा कि आगे रेबीज टीकाकरण की सिफारिश की जा सकती है या नहीं।"
प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर अभयराब की क्या प्रतिक्रिया रही है?
'अभयराब' बनाने वाली IIL ने ऑस्ट्रेलियाई स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा लगाए गए आरोपों और अपने नागरिकों को जारी गई सलाह पर कहा, "यह सलाह अत्यधिक सावधानीपूर्ण और अनुचित थी। अभयराब बैच संख्या KA24014 (निर्माण तिथि: मार्च 2024; समाप्ति तिथि: फरवरी 2027) से संबंधित नकली वैक्सीन की घटना का पता जनवरी 2025 की शुरुआत में ही चल गया था और नकली बैच अब बाजार में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में सभी बैच की दवाइयों को नकली बताना गलत है।"
स्पष्ट
कंपनी ने जारी किया स्पष्टीकरण
IIL ने कहा, "जनवरी 2025 में कंपनी ने एक विशिष्ट बैच (KA 24014) में पैकेजिंग संबंधी गड़बड़ी पाई थी। उसने तुरंत भारतीय नियामकों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सूचित करते हुए औपचारिक शिकायत दर्ज कराई और त्वरित कार्रवाई के लिए अधिकारियों का सहयोग किया था।" कंपनी ने कहा, "भारत में निर्मित वैक्सीन के प्रत्येक बैच का केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला द्वारा परीक्षण किया जाता है और मंजूरी के बाद ही उसे बाजार में बेचा जाता है।
पत्र
IIL ने ऑस्ट्रेलियाई स्वास्थ्य विभाग को लिखा पत्र
भारत में लगभग 40 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी रखने वाली IIL के उपाध्यक्ष और गुणवत्ता प्रबंधन प्रमुख सुनील तिवारी ने कहा, "सरकारी संस्थानों और अधिकृत वितरकों के माध्यम से की गई आपूर्ति सुरक्षित और मानक गुणवत्ता की बनी रहती है। इस पर सवाल नहीं उठाए जा सकते हैं।" उन्होंने कहा, "हमने ऑस्ट्रेलियाई तकनीकी सलाहकार समूह को भी पत्र लिखकर अपने परामर्श की समीक्षा करने और स्पष्टीकरण जारी करने का अनुरोध किया है।"
जानकारी
विदेशी चेतावनी का क्या होगा असर?
IIL उपाध्यक्ष तिवारी ने कहा, "ऑस्ट्रेलिया द्वारा जारी चेतावनियों से देश में वैक्सीन लगवाने में हिचकिचाहट पैदा हो सकती है। ऐसे में वैक्सीन होने के बाद भी लोग इसे लगवाने से बचेंगे और उनके रेबीज की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाएगा।"
बीमारी
क्यों घातक है रेबीज बीमारी?
WHO के अनुसार, रेबीज एक वायरल जूनोटिक रोग है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में धीरे-धीरे बढ़ने वाली और जानलेवा सूजन का कारण बनता है। यह रोग संक्रमित जानवर के काटने और खरोंच से मनुष्यों में फैलता है। रेबीज चमगादड़ समेत विभिन्न जंगली जानवरों में पाया जाता है। विकासशील देशों में अधिकांश लोगों को पालतू कुत्तों से रेबीज होता है। अनुमान है कि 150 से अधिक देशों में रेबीज के कारण प्रतिवर्ष 59,000 लोगों की मृत्यु होती है।