सबसे अधिक असमानता वाले देशों में भारत, कुल आय का 22% केवल 1% आबादी के पास
विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 में भारत को न केवल एक गरीब देश बताया गया है, बल्कि इसे सबसे अधिक असमानता वाले देशों में भी शामिल किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत की मात्र एक प्रतिशत आबादी के पास देश की 22 प्रतिशत आय है। इसमें भारत में लैंगिंक असमानता भी अधिक बताई गई है और राष्ट्रीय आय में महिलाओं की मात्र 18 प्रतिशत हिस्सेदारी है जो एशिया के औसत (21 प्रतिशत) से काफी कम है।
शीर्ष 10 प्रतिशत आबादी के पास देश की 57 प्रतिशत आय
विश्व असमानता लैब के सह-निदेशक लुकस चांसेल द्वारा लिखी गई इस रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारत की शीर्ष 10 प्रतिशत आबादी के पास राष्ट्रीय आय का 57 प्रतिशत हिस्सा था, वहीं एक प्रतिशत आबादी के पास 22 प्रतिशत राष्ट्रीय आय थी। इसके विपरीत नीचे की 50 प्रतिशत आबादी का राष्ट्रीय आय में मात्र 13 प्रतिशत हिस्सा रहा। रिपोर्ट में लिखा है, 'भारत में काफी गरीबी और असमानता है और यहां एक समृद्ध अभिजात वर्ग है।"
भारत में वयस्क आबादी की औसत आय 2 लाख से अधिक
गरीबी के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की वयस्क आबादी की औसत राष्ट्रीय आय 2,04,200 रुपये है। रिपोर्ट के अनुसार, यहां निचली 50 प्रतिशत आबादी की सालाना औसत आय 53,610 रुपये है, वहीं शीर्ष 10 प्रतिशत आबादी की औसत आय इससे लगभग 20 गुना अधिक 11,66,520 रुपये है। देश में औसत घरेलू संपत्ति 9,83,010 रुपये है और निचली 50 प्रतिशत आबादी के पास लगभग न के बराबर संपत्ति है।
अन्य देशों की क्या स्थिति?
अन्य देशों की बात करें तो BRICS समूह में शामिल दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में भारत से अधिक असमानता है। दक्षिण अफ्रीका में शीर्ष 10 प्रतिशत और निचली 50 प्रतिशत आबादी की आय में 63 प्रतिशत अंतर है, वहीं ब्राजील में ये अंतर 29 प्रतिशत है। चीन और रूस में ये अंतर 14 प्रतिशत है। वैश्विक स्तर पर 10 प्रतिशत आबादी के 52 प्रतिशत आय है, वहीं निचली 50 प्रतिशत आबादी के पास मात्र 8.5 प्रतिशत आय है।
आय से असमानता के बारे में ठीक से पता नहीं चलता- रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि औसत राष्ट्रीय आय से असमानता के स्तर के बारे में ठीक से पता नहीं चलता है। जहां अमेरिका जैसे कुछ अमीर देशों में असमानता बहुत अधिक है, वहीं स्वीडन जैसे अमीर देशों में काफी हद तक समानता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विनियमन और उदारीकरण के कई कार्यक्रमों के बाद 1980 के दशक से ही आय और संपत्ति में असमानता बढ़ रही है।