भारत और न्यूजीलैंड के लिए मुक्त व्यापार समझौता किस तरह से लाभकारी होगा?
क्या है खबर?
भारत और न्यूजीलैंड के बीच सोमवार को मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर मुहर लग गई। दोनों देशों ने समझौते पर सहमत होने के बाद इसकी घोषणा की है। यह दोनों देशों के लिए काफी एक बड़ा कदम माना जा रहा है, क्योंकि अब तक दोनों एक-दूसरे को कमजोर साझेदार के रूप में देखते रहे हैं। इस समझौते का उद्देश्य संरक्षणवाद और वैश्विक वाणिज्यिक प्राथमिकताओं को संबोधित करना है। आइए जानते हैं यह समझौता दोनों देशों के लिए कैसे लाभकारी है।
घोषणा
प्रधानमंत्री मोदी और लक्सन की बातचीत के बाद हुई घोषणा
यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन के बीच सोमवार को हुई बातचीत के बाद की गई है। दोनों ने टेलीफोन पर बातचीत की थी। लक्सन ने एक्स पर लिखा, 'मैंने अभी-अभी न्यूजीलैंड-भारत FTA खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी से बात की है। यह FTA भारत को हमारे 95 प्रतिशत निर्यात पर टैरिफ कम या खत्म करता है। ट्रेड बढ़ने का मतलब है ज्यादा कीवी नौकरियां, वेतन और मेहनतकशों के लिए ज्यादा मौके।'
अहमियत
क्यों महत्वपूर्ण है यह समझाैता?
हाल के महीनों में अमेरिकी टैरिफ में बढ़ोतरी के बाद भारतीय निर्यातकों पर दबाव बढ़ गया। भारत ने प्रत्यक्ष प्रतिस्पर्धा के बजाय उन अर्थव्यवस्थाओं के साथ साझेदारी स्थापित करने की कोशिश की है जो पूरक शक्तियां प्रदान करती हैं। न्यूजीलैंड के साथ हुआ यह समझौता भारत द्वारा हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (UAE), ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम (UK) और ओमान के साथ किए गए व्यापार समझौतों पर आधारित है। यूरोपीय संघ, चिली और कनाडा के साथ बातचीत जारी है।
मायने
न्यूजीलैंड के लिए क्या है इस समझौते के मायने?
न्यूजीलैंड के लिए यह समझौता उसे एक ऐसी अर्थव्यवस्था तक पहुंच प्रदान करता है जिसका मूल्य 2030 तक लगभग 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 63,000 अरब रुपये) होने का अनुमान है और जो 70 करोड़ से अधिक लोगों के मध्यम वर्ग की मेजबानी कर सकती है। वर्तमान में न्यूजीलैंड के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है, लेकिन वहां के वाणिज्यिक विभाग के अधिकारी खाद्य, कृषि, सेवाओं और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में विकास की काफी संभावनाएं देखते हैं।
हस्ताक्षर
इस FTA पर कब होंगे हस्ताक्षर?
भारत और न्यूजीलैंड के बीच FTA पर 9 महीने तक बातचीत हुई, जिसकी शुरुआत इस साल 16 से 20 मार्च तक लक्सन के भारत दौरे से हुई थी। अधिकारियों के अनुसार, समझौते पर औपचारिक हस्ताक्षर किए जाने से पहले बातचीत के बाद तैयार किए गए मसौदे की कानूनी रूप से जांच की जाएगी। भारत की मुख्य वार्ताकार पेटल ढिल्लों के अनुसार, इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद 2026 की पहली तिमाही में औपचारिक हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।
लाभ
समझौते से दोनों देशों को क्या होगा लाभ?
इस FTA समझौते से भारत को न्यूजीलैंड में किए जाने वाले सभी निर्यातों पर शून्य शुल्क की सुविधा प्राप्त होगी। इस तत्काल शुल्क उन्मूलन से विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय निर्माताओं और निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होगी। बदले में न्यूजीलैंड को भारत की लगभग 70 प्रतिशत टैरिफ लाइनों के लिए भारतीय बाजार तक आसार पहुंच मिलेगी। इसी तरह न्यूजीलैंड के निर्यात उत्पाद भी पूरी तरह शुल्क-मुक्त हो जाएंगे। इससे उनके निर्यात में भी अपेक्षित बढ़ोतरी होगी।
उत्पाद
न्यूजीलैंड को वन और मत्स्य उत्पादों पर भी मिलेगा लाभ
FTA से न्यूजीलैंड को भारत में होने वाले वन उत्पादों के निर्यात में लाभ मिलेगा। वन उत्पादों के 95 प्रतिशत निर्यात पहले दिन से शुल्क मुक्त होंगे और शेष 7 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से शुल्क मुक्त होंगे। भेड़ के मांस, ऊन, कोयले और कई अन्य प्रमुख उत्पादों पर तत्काल शुल्क समाप्त हो जाएगा। मत्स्य पालन के लिए, न्यूजीलैंड के मछली और समुद्री भोजन निर्यात पर शुल्क भी 7 साल की अवधि में चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिए जाएंगे।
लाभ
भारतीय निर्यातकों को भी होगा सीधा लाभ
न्यूजीलैंड के बाजार में व्यापक शुल्क उन्मूलन से भारतीय निर्यातकों को भी लाभ मिलेगा। जिन प्रमुख क्षेत्रों को लाभ मिलने की उम्मीद है उनमें वस्त्र, परिधान, इंजीनियरिंग उत्पाद, चमड़ा और जूते, समुद्री उत्पाद और विभिन्न प्रकार के निर्मित सामान शामिल हैं। टैरिफ खत्म होने के बाद न्यूजीलैंड में प्रवेश करने वाले भारतीय सामानों की कीमतें अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएंगी। इससे बिजली के सामान, मशीनरी, कपड़े और वस्त्र सस्ते होंगे और आयातित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला मिलेगी।
अन्य
इन क्षेत्रों के लिए भी फायदेमंद होगा FTA
यह FTA समझौता कृषि और डेयरी क्षेत्र के लिए भी फायदेमंद होगा। न्यूजीलैंड के कीवी फल और मानुका शहद पर टैरिफ खत्म होने से उनकी भारत में पहुंच आसान होगी। उसके बाद चेरी, एवोकाडो, ब्लूबेरी और पर्सिमोन सहित अन्य बागवानी निर्यात पर लगे टैरिफ को धीरे-धीरे समाप्त किया जाएगा। हालांकि, भारत ने दूध, क्रीम, मट्ठा, दही और पनीर जैसे डेयरी उत्पादों के आयात को टैरिफ उदारीकरण से बाहर रखा है। इससे किसानों की आय पर कोई असर नहीं होगा।
व्यापार
भारत-न्यूजीलैंड व्यापार की वर्तमान स्थिति क्या है?
मजबूत राजनीतिक गति के बावजूद, भारत और न्यूजीलैंड के बीच द्विपक्षीय व्यापार अपेक्षाकृत कम है। वस्तुओं और सेवाओं में दोतरफा व्यापार 2024 में लगभग 2.4 अरब डॉलर (लगभगर 21,600 करोड़ रुपये) था, जबकि जून 2025 में यह 2.13 अरब डॉलर (लगभगर 19,170 करोड़ रुपये) का था। प्रमुख निर्यातों में यात्रा सेवाएं, औद्योगिक उत्पाद, वानिकी और वानिकी उत्पाद, बागवानी, डेयरी उत्पाद और ऊन शामिल हैं। वर्तमान में भारत, न्यूजीलैंड का 12वां सबसे बड़ा निर्यात बाजार है।