हिमाचल प्रदेश में वायुसेना विमान हादसे के 56 साल बाद 4 शव बरामद हुए
हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे में आज से 56 साल पहले 102 लोगों को लेकर जा रहा भारतीय वायुसेना का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें कई लोगों की मौत हुई थी। इसी हादसे से जुड़े 4 शव अब बरामद हुए हैं, जो दशकों से बर्फीले इलाके में दबे थे। बरामद 4 शवों में 3 की पहचान हो गई है। इनमें मलखान सिंह (पायनियर), सिपाही नारायण सिंह (चिकित्सा कोर) और इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) के थॉमस चारण शामिल हैं।
कैसे हुई शवों की पहचान?
खबरों के मुताबिक, मलखान की पहचान उनकी जेब से मिले वाउचर से हुई, जबकि सिपाही नारायण को उनके पास से मिली वेतन पुस्तिका से पहचाना गया। थॉमस के शव की पुष्टि भी उनके पास मिली वेतन पुस्तिका से हुई है। चौथे मृतक की पहचान नहीं हो सकी है, लेकिन सेना को उनके परिवार का विवरण मिल गया है और उन्हें घटना की जानकारी दी गई है। सेना 10 अक्टूबर तक तलाशी अभियान चलाएगी।
अब तक बरामद हो चुके हैं 9 शव
हादसे के बाद अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के पर्वतारोहियों ने सबसे पहले 2003 में मलबे की खोज की थी। इसके बाद भारतीय सेना, विशेष तौर पर डोगरा स्काउट्स ने 2005, 2006, 2013 और 2019 में खोज अभियान चलाए। साल 2019 तक केवल 5 शव बरामद हुए थे, जो अब 9 हैं। इन 4 शवों को तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू के प्रतिनिधियों के सहयोग से डोगरा के नेतृत्व में सेना के खोज-बचाव मिशन बड़े चंद्रभागा पर्वत अभियान ने खोजा है।
कैसे हुआ था हादसा?
भारतीय वायुसेना का ट्विन-इंजन टर्बोप्रॉप परिवहन AN-12 विमान चंडीगढ़-लेह के लिए उड़ान भरने के बाद 7 फरवरी, 1968 को अचानक लापता हो गया। विमान में उस समय 102 लोग सवार थे। लेह में खराब मौसम के कारण विमान लौटा था, लेकिन लाहौल की चंद्रभागा और रोहतांग रेंज के पास संपर्क टूट गया। इसके बाद से विमान और सभी सैनिक लापता थे। यह भारतीय वायुसेना की सबसे दुखद घटनाओं में से एक है। घटना के समय विमान नियमित उड़ान पर था।
काफी ऊंचे स्थान पर है घटनास्थल
लाहौल स्पीति के पुलिस अधिकारी का कहना है कि जहां हादसा हुआ, वह काफी कठिन और ऊंचाई पर है। ऐसे में वहां मलबे और शव का खोज अभियान चला पाना मुश्किल रहा है। सेना के पर्वतारोहण दल की कोशिश से इतनी सफलता मिली है।