गुजरात: मुस्लिम युवकों को सार्वजनिक तौर पर पीटने के लिए 4 पुलिसकर्मियों को कारावास की सजा
गुजरात हाई कोर्ट ने गुरुवार को गुजरात पुलिस के 4 कर्मियों को कोर्ट की अवमानना का दोषी पाते हुए 14 दिनों के कारावास की सजा सुनाई। चारों पुलिसकर्मियों पर पिछले साल अक्टूबर में खेड़ा जिले के उंधेला में 3 मुस्लिम युवकों को सार्वजनिक रूप से पीटने का आरोप है। कोर्ट ने कहा कि पुलिकर्मियों के व्यवहार को कारण पीड़ितों को मानसिक प्रताड़ना हुई। आइए जानते हैं कि मामले में कोर्ट ने और क्या कहा?
कोर्ट ने कहा- पुलिकर्मियों का व्यवहार कोर्ट की अवमानना
गुजरात हाई कोर्ट की जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस गीता गोपी की पीठ ने कहा कि उसे दुख है कि वह ऐसा आदेश पारित कर रही है, जिनमें पुलिसकर्मियों को कारावास के लिए भेजा जा रहा है। पीठ ने कहा, "अगर इनको माफ किया गया तो आने वाले दिनों सभी पुलिसकर्मी ऐसे ही बीच चौराहे पर लोगों को सजा देने लगेंगे, जो कि कोर्ट की अवमानना है।" कोर्ट ने कारावास के खिलाफ पुलिसकर्मियों की याचिका भी खारिज कर दी।
क्या है मुस्लिम युवकों से मारपीट का मामला?
पिछले साल अक्टूबर में नवरात्रि के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों ने खेड़ा के उंधेला गांव में गरबा कार्यक्रम पर कथित तौर पर पथराव किया था, जिसमें कुछ लोग घायल हो गए थे। इसके बाद सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हुए, जिसमें पुलिसकर्मी पथराव करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए 3 मुस्लिम युवकों को खंभे से बांधकर उन्हें सार्वजनिक रूप से डंडों से पीट रहे थे। पीड़ितों ने मारपीट के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी।
आरोपी पुलिसकर्मियों ने की थी पीड़ितों को मुआवजा देने की पेशकश
मामले में 4 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी और हिरासत के दौरान पुलिस आचरण पर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए 4 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप तय किए थे। इसके बाद 11 अक्टूबर को आरोपी इंस्पेक्टर एवी परमार, सब-इंस्पेक्टर डीबी कुमावत, हेड कांस्टेबल केएल डाभी और कांस्टेबल राजू डाभी ने कोर्ट में पीड़ितों को मुआवजा देने की पेशकश की थी। उन्होंने कोर्ट में कहा कि उन्हें सजा देने से उनके पेशेवर रिकॉर्ड पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
पीड़ितों ने पुलिसकर्मियों से मुआवजा लेने से किया इनकार
16 अक्टूबर को पुलिसकर्मियों के अधिवक्ता प्रकाश जानी ने पीठ को बताया कि उनके मुवक्किल मुस्लिम युवकों और उनके वकील से मिले, लेकिन पीड़ितों ने मुआवजा स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। मामले में पिछले साल पुलिस अधीक्षक (SP) राजेश कुमार ने कोर्ट को बताया था कि ये तीनों मुस्लिम युवक कथित तौर पर गरबा कार्यक्रम को बाधित करने की साजिश का हिस्सा थे। उनका दावा था कि पुलिस ने शांति बनाए रखने के लिए बल प्रयोग किया।