पुणे में गुइलेन बेरी सिंड्रोम के 73 मामले; कितनी खतरनाक है ये बीमार, क्या हैं लक्षण?
क्या है खबर?
महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। आज ही शहर में GBS के 6 नए मरीज सामने आए हैं, जिसके बाद कुल मरीजों का आंकड़ा 73 पर पहुंच गया है। इनमें से 14 को वेंटिलेटर पर रखा गया है।
ये सभी मामले बीते एक हफ्ते में सामने आए हैं। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने निगरानी बढ़ा दी है और अस्पताल भी सतर्क हैं।
आइए इस बीमारी के बारे में जानते हैं।
GBS
पुणे में किस तरह फैल रहा है GBS?
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि 47 पुरुष और 26 महिलाएं GBS से पीड़ित पाए गए हैं। इनमें से 14 वेंटिलेटर पर हैं। 24 जनवरी को एक 64 वर्षीय महिला की मौत भी हो गई है। ये GBS की वजह से मौत का पहला मामला है।
स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों की जल्दी पहचान के लिए रैपिड रिस्पांस टीम (RRT) का गठन किया है। कुछ मरीजों के ब्लड और अन्य सैंपल ICMR और राष्ट्रीय वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट को भेजे गए हैं।
बीमारी
क्या होता है GBS?
GBS एक दुर्लभ और गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसमें शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र अपने ही तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाने लगता है।
यह आमतौर पर किसी इंफेक्शन या वायरस से संक्रमित होने के बाद होता है। इसके कारण हाथ-पैर अचानक कमजोर पड़ जाते हैं और शरीर के ऊपरी और निचले अंगों, गर्दन, चेहरे और आंखें कमजोरी या सुन्न हो जाती है।
आमतौर पर लक्षण 4 हफ्ते में बढ़ जाते हैं।
लक्षण
संक्रमित मरीजों में क्या लक्षण देखे जाते हैं?
आमतौर पर बीमारी के शुरुआती लक्षणों में शरीर के निचले हिस्से जैसे पैर में झुनझुनी या सुन्न होने जैसे लक्षण देखे जाते हैं। इसके बाद ये धीरे-धीरे अन्य अंगों में फैलती जाती है।
इसके अलावा मरीजों में मांसपेशियों में अचानक कमजोरी, चलने-फिरने में परेशानी, रीढ़ की हड्डी में कमजोरी, चेहरे की मांसपेशियों में खिंचावट, सांस लेने में परेशानी, कम दिखाई देना और गंभीर मामलों में बोलने और निगलने में भी परेशानी होने लगती है।
खतरा
कितना खतरनाक है GBS?
GBS से संक्रमित मरीजों में ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ या घट सकता है, शरीर का कोई हिस्सा काम करना बंद कर सकता है और पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है।
अगर ये सभी लक्षण अचानक से होते हैं तो मरीज की जान पर बन सकती है।
गंभीर मामलों में मरीज को ICU में भर्ती करना पड़ता है। यह बीमारी संक्रामक नहीं है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती है।
कारण
कैसे फैलती है?
अभी तक इसके फैलने का सटीक कारण पता नहीं है। विशेषज्ञ 'कैम्पिलोबैक्टर' बैक्टीरिया को इसकी वजह मानते हैं, जो दूषित भोजन या पानी के माध्यम से फैलता है।
कई मामलों में वैक्सीन लगवाने के बाद यह बीमारी फैल जाती है, क्योंकि शरीर में एंटीबॉडी अदल-बदल हो जाती हैं।
कई बार बैक्टीरिया संक्रमण और बड़ी सर्जरी के बाद भी यह बीमारी हो सकती है। आमतौर पर इसके लक्षण संक्रमित होने के कुछ दिनों बाद दिखाई देते हैं।
बचाव
कैसे करें बचाव?
बीमारी से बचने के सटीक उपाय अभी पता नहीं है। हालांकि, आम साफ-सफाई जैसी गतिविधियों को अपनाकर आप सुरक्षित रह सकते हैं।
पीने से पहले पानी उबालें।
सब्जियों और फलों को अच्छी तरह से धोकर खाएं।
नॉन-वेज खाने को अच्छे से पकाकर ही खाएं।
कच्चे या अधपके भोजन, खासकर अंडे और समुद्री खाना खाने से बचें।
खाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोएं।