हाथरस पीड़िता के गैंगरेप की पुष्टि न करने वाली फॉरेंसिक रिपोर्ट पर विशेषज्ञों ने उठाए सवाल
हाथरस पीड़िता की फॉरेंसिक रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई है। आगरा से आई फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की अंतिम रिपोर्ट में सैंपल में स्पर्म नहीं पाए गए हैं और इंटरकोर्स के भी कोई संकेत नहीं मिले हैं। हालांकि विशेषज्ञों ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि पीड़िता के सैंपलों को 11 दिन बाद जांच के लिए भेजे गए थे और इतने दिन बाद स्पर्म मिलना बेहद मुश्किल है।
22 सितंबर को लिया गया सैंपल, 25 सितंबर को पहुंचा लैब
14 सितंबर को कथित गैंगरेप का शिकार हुई 19 वर्षीय दलित ने 22 सितंबर को होश में आने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अस्पताल में दिए गए अपने बयान में गैंगरेप की बात कही थी, जिसके बाद मजिस्ट्रेट के सामने उसका बयान दर्ज किया गया और पुलिस ने FIR में रेप की धारा जोड़ दी। पीड़िता के बयान के बाद उसके सैंपल को FSL जांच के लिए आगरा भेजा गया था जो 25 सितंबर को वहां पहुंचा।
इसी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने कही रेप न होने की बात
इसी रिपोर्ट में पीड़िता के सैंपल में स्पर्म नहीं पाया गया है और इंटरकोर्स के सबूत नहीं मिले हैं। इसी के आधार पर उत्तर प्रदेश पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) प्रशांत कुमार ने पीड़िता का रेप न होने की बात कही थी। गुरूवार को अपनी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था कि कुछ लोगों ने जातिगत तनाव बढ़ाने के लिए मामले को तोड़ा-मरोड़ा और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अलीगढ़ के CMO बोले- रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं
हालांकि अब कई विशेषज्ञों ने इस FSL रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। AMU के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के चीफ मेडिकल ऑफिसर (CMO) डॉ अजीम मलिक ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "सैंपल महिला के कथित रेप के 11 दिन बाद इकट्ठा किए गए थे, जबकि सरकार की गाइडलाइंस साफ कहती हैं कि घटना के 96 घंटे के अंदर ही रेप के फॉरेंसिक सबूत मिल सकते हैं। ये रिपोर्ट इस घटना में रेप की पुष्टि नहीं कर सकती।"
अन्य विशेषज्ञों ने भी उठाए FSL रिपोर्ट पर सवाल
अस्पताल की रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ हमजा मलिक ने भी FSL रिपोर्ट को गैर-भरोसेमंद बताया है। उन्होंने कहा, "FSL टीम को 11 दिन बाद रेप के सबूत कैसे मिलेंगे? स्पर्म दो-तीन दिन बाद जिंदा नहीं रहते। उन्होंने बालों, कपड़ों, नाखूनों और योनि-गुदा छिद्र से सैंपल लिए थे और पेशाब, शौच और मासिक धर्म के कारण इनमें वीर्य मिलना मुश्किल है।" अन्य विशेषज्ञों ने भी देरी से सैंपल लिए जाने पर जोर देते हुए मिलती-जुलती राय व्यक्त की है।
शुरूआती मेडिको-लीगर रिपोर्ट में भी कही गई थी बल प्रयोग की बात
यही नहीं, 22 सितंबर को AMU के अस्पताल के एक डॉक्टर द्वारा की गई पीड़िता की मेडिको-लीगल जांच के नतीजे भी FSL रिपोर्ट के विपरीत हैं। इसमें डॉक्टर ने शुरूआती जांच के आधार पर बल के प्रयोग के सबूत होने की अनंतिम राय दी थी। इस रिपोर्ट में महिला के बयान के आधार पर योनि में पेनीट्रेशन की बात भी कही गई थी। हालांकि इसमें इंटरकोर्स पर अंतिम स्थिति FSL रिपोर्ट आने पर साफ होने की बात कही गई थी।