कर्नाटक सरकार की फैक्ट चेकिंग यूनिट पर एडिटर्स गिल्ड ने जताई चिंता, जानें क्या कहा
क्या है खबर?
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कर्नाटक सरकार के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी न्यूज की जांच के लिए फैक्ट चेकिंग यूनिट की स्थापना करने के फैसले पर चिंता व्यक्त की है।
संस्था ने कहा कि सोशल मीडिया पर मौजूद सामग्री की जांच ऐसे स्वतंत्र निकायों द्वारा की जानी चाहिए, जो सरकार के दायरे में नहीं हैं, वरना यह कदम सिर्फ असहमति की आवाज को दबाने के साधन बन जाएंगे।
बयान
प्रेस की स्वतंत्रता के साथ न हो छेड़छाड़- एडिटर्स गिल्ड
एडिटर्स गिल्ड ने अपने बयान में कहा, "किसी भी निगरानी ढांचे को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए, जिसमें पहले सूचना देना और अपील करने का अधिकार शामिल होना चाहिए।"
बयान में कहा गया है कि ऐसी फैक्ट चेकिंग यूनिट पत्रकारों और मीडिया संस्थानों समेत सभी हितधारकों के साथ उचित परामर्श और भागीदारी के जरिए स्थापित की जानी चाहिए, ताकि प्रेस की स्वतंत्रता के साथ कोई छेड़छाड़ न हो।
बयान
कर्नाटक सरकार ने क्या कहा?
कर्नाटक के सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री प्रियंक खड़गे ने हाल ही में कहा था कि सरकार की फैक्ट चेकिंग यूनिट द्वारा फर्जी बताए गए पोस्ट और रिपोर्ट को संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा था कि आवश्यकता होने पर राज्य सरकार भारतीय दंड संहिता (IPC) के संबंधित प्रावधानों के तहत फर्जी खबर साझा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ दंडात्मक कदम भी उठा सकती है।
कारण
क्यों बनाई गई है फैक्ट चेकिंग यूनिट?
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार ने फर्जी खबरों पर नकेल कसने के लिए फैक्ट चेकिंग यूनिट की स्थापना का निर्णय लिया है।
इस यूनिट का उद्देश्य फर्जी खबरें फैलाने वाले सिंडिकेट का पता लगाना, ऐसी खबरों के प्रसार को रोकना और इसमें शामिल लोगों को सजा देने की दिशा में काम करना है।
बता दें कि इस यूनिट में अन्य विभागों के प्रतिनिधियों के अलावा एक पर्यवेक्षी समिति, तथ्य-खोज दल और विश्लेषण दल भी शामिल होगा।
चुनौती
न्यूजबाइट्स प्लस
एडिटर्स गिल्ड ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर रखी है, जिसमें सूचना और प्रौद्योगिकी (IT) नियम, 2023 में संशोधन को चुनौती दी गई है।
इन नियमों में केंद्र सरकार को एक फैक्ट चेकिंग यूनिट स्थापित करने की अनुमति मिली हुई है। इनमें सरकार को किसी भी सामग्री को फर्जी के तौर पर निर्धारित करने के साथ-साथ उसे हटाने का आदेश देने की भी अधिकार दिया गया है।
गिल्ड ने इन्हें लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया है।