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पायलट के थकान जोखिम से निपटने के लिए DGCA ने दिशानिर्देश जारी किया, क्या होगा फायदा?
DGCA ने थकान जोखिम से निपटने के लिए दिशानिर्देश जारी किए (पिक्सल)

पायलट के थकान जोखिम से निपटने के लिए DGCA ने दिशानिर्देश जारी किया, क्या होगा फायदा?

लेखन गजेंद्र
Sep 04, 2025
01:14 pm

क्या है खबर?

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने पायलटों के थकान जोखिम से निपटने के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें चालक दल की सुरक्षा-प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए नीतियों को अनिवार्य किया गया है। दिशानिर्देश में बताया गया कि पायलट और चालक दल के सदस्यों को कितना काम करना चाहिए और कितना आराम मिलना चाहिए, जिससे वे थके नहीं। नए दिशानिर्देश मौजूदा उड़ान ड्यूटी समयसीमा (FDTL) मानदंडों का पूरक होगा और थकान के प्रबंधन के लिए डेटा-संचालित, वैज्ञानिक दृष्टिकोण लागू करेगा।

दिशानिर्देश

दिशानिर्देश में क्या है?

DGCA के मुताबिक, अनुसूचित हवाई परिवहन परिचालनों में चालक दल के सदस्यों के लिए थकान जोखिम प्रबंधन प्रणाली (FRMS) कार्यान्वयन शीर्षक से तैयार मसौदा दिशानिर्देश में अनुमोदन प्रक्रियाओं, कार्यान्वयन आवश्यकताओं और निगरानी तंत्रों को बताया गया है। इसमें अनिवार्य है कि संचालक स्पष्ट FRMS नीति लागू करें, जिसका उत्तरदायित्व प्रबंधक द्वारा हो। FRMS में वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर अधिकतम उड़ान समय, ड्यूटी अवधि, सीमाएं, न्यूनतम विश्राम और सुरक्षा परिणामों पर नजर रखने के लिए प्रदर्शन निगरानी प्रणाली होनी चाहिए।

फायदा

क्या होगा फायदा?

एयरलाइनों को एक थकान सुरक्षा कार्रवाई समूह (FSAG) स्थापित करना होगा, जो सीधे उड़ान संचालन उपाध्यक्ष के प्रति जवाबदेह होगा। FSAG हर महीने बैठक करेगा और रिकॉर्ड रखेगा। दस कार्यदिवसों के भीतर कार्यवृत्त प्रसारित करना होगा। केवल प्रभावी FSAG वाले ऑपरेटर ही FRMS अनुमोदन के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे। साथ ही एयरलाइनों को अनुपालन में थोड़ी ढील भी मिलेगी। DGCA ने एयरलाइनों और पायलट संघों सहित हितधारकों से 15 सितंबर तक मसौदे पर टिप्पणियां मांगी हैं।

नियम

क्यों लाया गया नया नियम?

इस साल अहमदाबाद में एयर इंडिया की AI-171 उड़ान के दुर्घटनाग्रस्त होने और 272 लोगों की मृत्यु के बाद पायलटों की ड्यूटी को लेकर भी सवाल उठे थे। हालांकि, किसी रिपोर्ट में यह साबित नहीं हुआ कि पायलट थकान में या बीमार थे, लेकिन हादसे बाद अचानक कई पायलट छुट्टी पर चले गए थे। बता दें, भारत विश्व के सबसे तेजी से बढ़ते नागरिक विमानन बाजारों में एक है। भारत को अगले 15-20 वर्षों में 30,000 पायलटों की आवश्यकता होगी।