
दिल्ली पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को किया गिरफ्तार, कोर्ट ने किया रिहा
क्या है खबर?
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को शुक्रवार को दिल्ली पुलिस ने निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया।
साकेत कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा 24 साल पहले दायर किए गए एक मानहानि के मामले में प्रोबेशन बॉन्ड के तहत 1 लाख रुपये जमा न कराने के चलते बुधवार को पाटकर के खिलाफ गैर जमानती वारंट (NBW) जारी किया था।
हालांकि, गिरफ्तारी के बाद कोर्ट ने उन्हें रिहा भी कर दिया।
प्रकरण
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 25 नवंबर, 2000 को पाटकर द्वारा दिए गए एक बयान से जुड़ा है, जिसमें पाटकर ने उस समय गैर सरकार संगठन (NGO) नेशनल काउंसिल ऑफ सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष रहे सक्सेना को कायर बताते हुए उन पर हवाला लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाया था।
इसको लेकर सक्सेना ने उनके खिलाफ मानहानि का दावा किया था। इसमें पाटकर को दोषी पाया गया था और मई 2024 में उन्हें 5 महीने की जेल और जुर्माने की सजा मिली।
रिहाई
प्रोबेशन बॉन्ड पर मिली थी पाटकर को रिहाई
कोर्ट ने पाटकर की याचिका पर उन्हें प्रोबेशन बॉन्ड पर रिहा करने का आदेश दिया था, जिसमें उन्हें 25,000 रुपये का जुर्माना और 1 लाख रुपये का मुआवजा भरना था, लेकिन पाटकर इसे पूरा करने में विफल रही थी।
गत 8 अप्रैल को कोर्ट ने पाटकर को 23 अप्रैल तक शर्तों को पूरा करने का आदेश दिया था, लेकिन वह इसमें भी चूक गई। ऐसे में कोर्ट ने गत बुधवार को उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया था।
राहत
गिरफ्तारी के बाद कोर्ट ने किया रिहा
पुलिस ने पाटकर को गिरफ्तार करने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विपिन खरब के समक्ष पेश किया, जहां उनके वकील ने प्रोबेशन बॉन्ड की शर्तों को पूरा करने के लिए रिहा करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि प्रोबेशन का आदेश अभी भी प्रभावी है और वह आज ही प्रोबेशन बॉन्ड दाखिल कर देंगे।
इस पर कोर्ट ने उन्हें पहले प्रोबेशन बॉन्ड दाखिल करने और उसके बाद रिहा करने का आदेश दे दिया।