दिल्ली में सबसे तेजी से हो रहा भू-धंसाव, उच्च जोखिम वाली श्रेणी हैं 2,264 इमारतें- अध्ययन
क्या है खबर?
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को लेकर हुए एक अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। दिल्ली में सबसे तेज गति से भू-धंसाव हो रहा है। यहां 196.27 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में लगातार जमीन धंसती जा रही है। इसके कारण यहां की 2,264 संरचनाएं या इमारतें उच्च जोखिम वाली श्रेणी में आती हैं, जिससे 17 लाख से अधिक लोग प्रभावित हो सकते हैं। बहु-विषयक विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित अध्ययन में इस भूं-धंसाव का पूरा खुलासा किया गया है।
दर
कुछ क्षेत्रों में भू-धंसाव की वार्षिक दर 51.0 मिलीमीटर
'धंसते भारतीय महानगरों में भवन क्षति जोखिम' शीर्षक वाले इस अध्ययन के अनुसार, दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में वार्षिक भू-धंसाव की दर 51.0 मिलीमीटर तक है। अध्ययन के अनुसार, अगले 30 वर्षों में दिल्ली में सबसे अधिक 3,169, चेन्नई में 958 और मुंबई में 255 इमारतों को नुकसान का बहुत बड़ा खतरा होगा। इसके अलावा, 50 वर्षों में दिल्ली में 11,457, मुंबई 3,477, बेंगलुरु में 112, चेन्नई में 8,284 और कोलकाता में 199 इमारतों को खतरा होने की आशंका है।
विश्लेषण
भारतीय शहरों का तुलनात्मक विश्लेषण
अध्ययन में 5 प्रमुख भारतीय शहरों का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि दिल्ली का भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र (196.27 वर्ग किलोमीटर) मुंबई (262.36 वर्ग किलोमीटर) और कोलकाता (222.91 वर्ग किलोमीटर) के बाद तीसरे स्थान पर है। दिल्ली-NCR क्षेत्र में कई हॉटस्पॉट चिन्हित किए गए हैं, जिनमें भिवाड़ी (28.5 मिलीमीटर/वर्ष), फरीदाबाद (38.2 मिलीमीटर/वर्ष) और गाजियाबाद (20.7 मिलीमीटर/वर्ष) की दर से धंसते जा रहे हैं। इसके उलट, द्वारका में 15.1 मिमी प्रति वर्ष की दर से जमीन ऊपर उठ रही है।
कारण
क्या बताया गया है भू-धंसाव का कारण?
दिल्ली में भू-धंसाव का मुख्य कारण व्यापक भूजल दोहन है। अध्ययन में बताया गया है कि मानसून में उतार-चढ़ाव और व्यापक जलवायु परिवर्तन इस समस्या को और बढ़ा रहे हैं। दिल्ली में व्यापक भूजल निकासी के कारण जलोढ़ जमाव का संघनन होने से भी भू-धंसाव हो रहा है। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण लगातार बढ़ रही चरम मौसम की घटनाएं सीधे तौर पर कमजोर बुनियादी ढांचे पर दबाव डालती हैं।
कदम
उठाने होंगे ऐहतियाती कदम
अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली समेत प्रमुख शहरों में लगातार हो रहे भू-धंसाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यह कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकता है। ऐसे में सरकारों को इसकी ओर ध्यान देते हुए प्रभावित क्षेत्रों के लिए विस्तृत योजना तैयार करनी होगी। इसी प्रकार प्रभावित क्षेत्रों में नई संरचनाओं के निर्माण को भी रोकना होगा। जलवायु परिवर्तन के कारण यह भू-धंसाव आने वाले समय में और भी तेजी से हो सकता है।