'कोवैक्सिन' को WHO की मंजूरी में क्यों हुई देरी और अब भारतीयों को क्या होगा फायदा?
क्या है खबर?
दिवाली की पूर्व संध्या पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से भारत के लिए बड़ी राहत की खबर आई है।
WHO ने लंबे इंतजार के बाद आखिरकार हैदराबाद की भारत बायोटेक कंपनी द्वारा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार की गई वैक्सीन 'कोवैक्सिन' को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है।
ऐसे में यहां जानते हैं कि WHO ने इसे मंजूरी देने में लंबा समय क्यों लिया और अब भारतीयों को क्या फायदा होगा।
मंजूरी
WHO ने TAG की सिफारिश के बाद दी मंजूरी
बता दें कि WHO के तकनीकी सलाहकार समूह (TAG) ने वैक्सीन को मंजूरी देने के निर्णय पर बुधवार को बैठक की थी।
इसमें तय किया गया कि कोवैक्सीन कोरोना से सुरक्षा के लिए WHO के मानकों को पूरा करती है। इसके लाभ जोखिम से ज्यादा हैं और इसका उपयोग दुनिया भर में किया जा सकता है। इसके बाद उसने मंजूरी की सिफारिश कर दी थी।
इस सिफारिश के आधार पर WHO ने शाम को वैक्सीन को मंजूरी जारी कर दी।
प्रक्रिया
WHO से वैक्सीन को मंजूरी देने के लिए क्या है प्रक्रिया?
न्यूज 18 के अनुसार, WHO से किसी भी वैक्सीन को मंजूरी दिए जाने के चार चरण होते हैं। इसमें वैक्सीन निर्माता द्वारा मंजूरी के लिए आवदेन, WHO और निर्माता के बीच एक प्री-सबमिशन बैठक, WHO द्वारा मूल्यांकन के लिए फाइल की स्वीकृति, मूल्यांकन की स्थिति पर निर्णय और अंतिम अनुमोदन निर्णय शामिल होते हैं।
इस प्रक्रिया के चरण दर चरण पूरा होने के बाद ही WHO मंजूरी देता है। इसमें चौथे चरण में सबसे अधिक समय लगता है।
देरी
'कोवैक्सीन' को मंजूरी मिलने में क्यों लगा इतना समय?
भारत बायोटेक ने मई में WHO को एक आपातकालीन उपयोग सूची (EUL) के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था। 23 जून को WHO ने भारत बायोटेक के साथ प्री-सबमिशन बैठक की थी।
इसमें WHO ने कंपनी से क्लिनिकल ट्रायल के तीसरे चरण का पूरा डाटा जमा कराने को कहा था।
इसके बाद कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि जुलाई में डाटा जमा करने के बाद फाइल पूरी जो जाएगी और फिर उसके बाद मंजूरी पर समीक्षा होगी।
डाटा
कंपनी ने 19 जुलाई को जमा कराया था पूरा डाटा
रिपोर्टों के अनुसार, भारत बायोटेक ने EUL के लिए आवश्यक पूरा डाटा 19 जुलाई को WHO को भेज दिया था।
हालांकि, इस प्रक्रिया में देरी उस समय हुई जब कोवैक्सिन को 'अपर्याप्त जानकारी' के आधार पर अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन से अनुमोदन देने से इनकार कर दिया।
उस दौरान कंपनी के अमेरिकी साझेदार ओक्यूजेन कहा था कि कंपनी कोवैक्सिन के लिए पूर्ण अनुमोदन का पीछा करेगी। इसके बाद आखिरकार मंजूरी मिल गई।
फायदा
WHO की मंजूरी से भारतीय नागरिकों को क्या होगा फायदा?
कोवैक्सिन को WHO की मंजूरी मिलने से भारतीयों को विदेश यात्रा में राहत मिलेगी और वैक्सीन के निर्यात का रास्ता भी सुगम होगा।
हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने भारत सहित कई देशों से वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके लोगों की यात्रा से प्रतिबंध हटाया है। इसी तरह अन्य देश भी प्रतिबंध हटा रहे हैं।
ऐसे में अब कोवैक्सिन को मंजूरी मिलने से इसे लगवाने वाले लोगों को अनिवार्य क्वारंटाइन सहित अन्य प्रतिबंधों से राहत मिल जाएगी।
मंजूरी
कई देश पहले ही दे चुके हैं कोवैक्सिन को मंजूरी
बता दें कि गुयाना, ईरान, मॉरीशस, मैक्सिको, नेपाल, पराग्वे, फिलीपींस, जिम्बाब्वे, एस्टोनिया जैसे कई देश पहले ही कोवैक्सिन को मंजूरी दे चुके हैं।
इसके अलावा ओमान और ऑस्ट्रेलिया ने भी पिछले सप्ताह वैक्सीन को मंजूरी दे दी थी। ऐसे में अब मंजूरी मिलने से अन्य देश भी इस वैक्सीन के साथ आने वाले भारतीयों के लिए अपने दरवाजे खोल देंगे।
इसी तरह भारत बायोटेक अब अपनी वैक्सीन का दुनिया के सभी देशों में निर्यात कर सकेगी।
जानकारी
कोवैक्स में भी हो सकेगा 'कोवैक्सिन' का इस्तेमाल
WHO की मंजूरी मिलने से अब कोवैक्सिन का इस्तेमाल दुनियाभर में वैक्सीन की समान आपूर्ति के लिए बनाए गए वैश्विक वैक्सीन गठबंधन कोवैक्स (Covax) के लिए भी किया जा सकेगा। इसके जरिए गरीब और विकासशील देशों में कोवैक्सिन पहुंचाई जा सकेगी।