कोरोना पर भारी CAA हटाने की मांग, 'जनता कर्फ्यू' में भी जारी रहेगा शाहीन बाग धरना
एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना वायरस की महामारी के आगे बेबस नजर आ रही है। वहीं दूसरी ओर राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) को हटाने की मांग को लेकर धरने पर बैठी महिलाओं को इसकी कोई फिक्र नजर नहीं आ रही है। यही कारण है कि महिलाओं ने प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से रविवार को देश में 'जनता कर्फ्यू' लगाने की अपील को मानने से इनकार कर दिया।
"मरना पसंद करूंगी, लेकिन हटूंगी नहीं"
'शाहीन बाग की दादी' के नाम से मशहूर आसमा खातून ने IANS से कहा, "हम यहां से तब तक नहीं हिलेंगे, जब तक CAA का काला कानून वापस नहीं लिया जाता। मैं शाहीन बाग में मरना पसंद करूंगी, लेकिन हटूंगी नहीं।" शाहीन बाग की दूसरी दादी बिलकिस बानो ने कहा, "अगर प्रधानमंत्री को हमारी सेहत की इतनी ही चिंता है तो आज ही इस काले कानून को रद्द कर दें। इसके बाद हम सभी जनता कर्फ्यू में शामिल हो जाएंगे।"
महिलाओं ने बताई अपनी परेशानी
धरना स्थल पर मौजूद नूरजहां ने कहा, "हमारे लिए एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई जैसे हालात हैं। कोरोना जैसी बीमारी का खतरा बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर यदि CAA और NRC वापस नहीं लिया गया तो भी हर हाल में मरना तय है। ऐसे में हमारे सामने केवल संघर्ष करने का ही विकल्प बचा है।" उन्होंने आगे कहा यदि सरकार चाहती है कि यह धरना बंद हो तो तुरंत नागरिकता संशोधन कानून को वापस लिया जाना चाहिए।
वार्ताकारों ने की प्रदर्शनकारियों से बात
बता दें कि शुक्रवार शाम 5 बजे सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नियुक्त वार्ताकार संजय हेगड़े व साधना रामचंद्रन प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे थे। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें वहां की स्थिति की रिपोर्ट तैयार करने के लिए भेजने की बात कही थी।
धरना स्थल पर कोरोना से बचने के लिए बरती जा रही है ऐहतियात
देश में बढ़ते कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए प्रदर्शनकारियों ने ऐहतियात बरतना भी शुरू कर दिया है। इसके लिए अब कोई भी महिला चार घंटे से अधिक धरना स्थल पर नहीं रुकेगी। इसके अलावा 50 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं और 10 साल से कम उम्र के बच्चों को भी धरना स्थल पर नहीं आने दिया जाएगा। धरना स्थल पर माइक का उपयोग किए बिना ही मौन विरोध करने का निर्णय किया गया है।
प्रदर्शनकारियों ने रविवार के लिए की यह तैयारी
धरना स्थल पर मौजूद रिजवाना ने बताया कि रविवार को धरने के लिए अलग-अलग टेंट लगाए जाएंगे और प्रत्येक टेंट के नीचे मात्र महिलाएं ही बैठेंगी और उनके बीच एक मीटर से ज्यादा दूरी बनाए रखेंगी। उन्होंने कहा कि महिलाएं हर सावधानी बरत रही हैं और वे हर समय बुर्के में ढकी रहती हैं। नियमित रूप से हाथ धोना उनकी जीवनशैली का हिस्सा है। वो दिन में पांच बार नमाज अदा करते हैं और हर बार हाथ धोते हैं।
प्रदर्शनकारियों ने किए सुरक्षा के पूरे इंतजाम
प्रदर्शनकारी रितु कुशिक ने बताया कि धरने में अब महिला गदि्दयों पर नहीं बैठ रही हैं। उनके लिए चारपाई लगाई गई है और प्रत्येक चारपाई में तीन मीटर का अंतर रखा गया है। तासीर अहमद ने बताया कि कोरोना से बचाव के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। उनके पास पर्याप्त मास्क और सैनेटाइजर हैं। प्रदर्शन स्थल पर नियमित रूप से सफाई की जा रही है और उसे सैनेटाइज कर किटाणु रहित किया जा रहा है।
तीन महीने से शाहीन बाग पर चल रहा है विरोध-प्रदर्शन
CAA को लेकर दिल्ली के शाहीन बाग में गत 15 दिसंबर से विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है। नोएड को जोड़ने वाले मार्ग के बंद होने से लोगों को परेशानी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने धरना खत्म कराने के लिए वार्ताकार भी नियुक्त कर रखे है, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। अथक प्रयासों के बाद भी सरकार धरना हटवाने में सफल नहीं हो सकी। ऐसे में कोरोना संक्रमण के दौर में यह धरना मुसीबत बनता जा रहा है।