चीनी जहाज ने हिंद महासागर में किया प्रवेश, श्रीलंका ने भारत को दिए संकेत
क्या है खबर?
चीन का अनुसंधान जहाज 'शि-यान 6' हिंद महासागर में प्रवेश कर चुका है। श्रीलंका सरकार ने मिश्रित संकेत भेजकर इसकी जानकारी साझा की है।
खबर है कि ये जहाज वर्तमान में हिंद महासागर के बीचों-बीच 90 डिग्री पूर्वी देशांतर की रिज पर है और श्रीलंका की ओर बढ़ रहा है।
बता दें कि 'शि-यान 6' जहाज विज्ञान और शिक्षा के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए चीन की 13वीं पंचवर्षीय योजना की एक प्रमुख परियोजना है।
रिपोर्ट
2019 के बाद हिंद महासागर में बढ़ी चीन की दखल
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट्स के अनुसार, श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने अक्टूबर में कोलंबो बंदरगाह पर इस चीनी अनुसंधान पोत को खड़ा करने की अनुमति दी है।
2019 के बाद से हिंद महासागर क्षेत्र में चीन लगभग 48 वैज्ञानिक अनुसंधान जहाजों को तैनात कर चुका है। इन सभी जहाजों की तैनाती बंगाल की खाड़ी से लेकर अरब सागर और फारस की खाड़ी तक की गई है।
भारत और अमेरिका ने इसे लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है।
जहाज
14 सिंतबर को सिंगापुर में देखा गया चीनी जहाज
चीनी जहाज ने 23 सितंबर को मलक्का जलडमरूमध्य के माध्यम से हिंद महासागर में प्रवेश किया। 10 सितंबर को होमपोर्ट गुआंगज़ौ छोड़ने के बाद 14 सितंबर को चीनी जहाज सिंगापुर में देखा गया था।
इससे पहले भारत ने श्रीलंका को अपनी सुरक्षा और रणनीतिक चिंताओं को दूर करने के लिए स्पष्ट रूप से आगाह किया था।
दूसरी ओर अमेरिका भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की दखल को लेकर अपनी चिंता व्यक्त कर चुका है।
सोमवार
श्रीलंकाई विदेश मंत्री ने अनुमति देने से किया था इनकार
इससे पहले सोमवार को भारत की चिंताओं को लेकर श्रीलंका के विदेश मंत्री अल साबरी ने कहा था कि चीनी अनुसंधान जहाज को अक्टूबर में उनके बंदरगाह पर रुकने की अनुमति नहीं दी है और इसे लेकर अभी बातचीत चल रही है।
उन्होंने कहा था कि चीनी जहाज को श्रीलंका की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का पालन करना होगा और जब तक चीजें SOP के हिसाब से चलेंगी तो कोई समस्या नहीं होगी।
सिंघे
चीनी जहाजों की तैनाती पर क्या बोले राष्ट्रपति विक्रमसिंघे?
हाल में अमेरिकी थिंक टैंक को दिए एक साक्षात्कार में श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने चीनी जहाजों की तैनाती को लेकर स्पष्टीकरण दिया था।
उन्होंने कहा था कि श्रीलंका में कोई चीनी जासूसी जहाज नहीं है और अगर जहाज श्रीलंका द्वारा निर्धारित SOP का पालन करता है तो उसे बंदरगाह में रुकने की अनुमति देने में कोई समस्या नहीं है।
बताया जा रहा है कि चीनी जहाज अक्टूबर से नंवबर के बीच श्रीलंका के साथ संयुक्त सैन्य वैज्ञानिक अनुसंधान करेगा।
कोलंबो
अक्टूबर में बीजिंग जाएंगे श्रीलंकाई राष्ट्रपति
रिपोर्ट के अनुसार, चीनी जहाज को कोलंबो में खड़ा करने की अनुमति देने का फैसला 'वन बेल्ट वन रोड परियोजना' की 10वीं वर्षगांठ पर अक्टूबर में राष्ट्रपति विक्रमसिंघे की बीजिंग यात्रा को देखते हुए लिया गया है।
इससे पहले विक्रसिंघे सरकार ने आर्थिक संकट को देखते हुए चीन से बुनियादी परियानाओं के निर्माण के लिए काफी ऋण लिया था, जिसका कर्ज न चुकाए जाने पर उसने हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल के लिए चीन को लीज पर दे दिया था।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
भारत के सुरक्षा खतरों के बीच हाल में निगरानी क्षमताओं वाले चीनी नौसेना के एक युद्धपोत को कोलंबो बंदरगाह पर खड़ा किया गया है।
इससे पहले अगस्त, 2022 में भारत की आपत्तियों के बावजूद श्रीलंकाई सरकार ने चीनी अनुसंधान जहाज 'युआन वांग-5' को हंबनटोटा बंदरगाह पर रुकने की अनुमति दी थी।
भारत सरकार को आशंका है कि चीनी जहाजों का उपयोग भारतीय रक्षा क्षेत्रों में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जा रहा है।