मुंबई: शापूरजी पालोनजी समूह के चेयरमैन पालोनजी मिस्त्री का 93 साल की उम्र में निधन
देश के बड़े उद्योगपतियों में शुमार और शापूरजी पालोनजी समूह के प्रमुख पालोनजी मिस्त्री का 93 साल की उम्र में निधन हो गया है। गुजरात के पारसी परिवार पैदा हुए मिस्त्री का निधन सोमवार रात को मुंबई में हुआ। उन्होंने 2003 में एक आईरिश महिला से शादी करके वहां की नागरिकता ले ली थी। पालोनजी मिस्त्री अपने पीछे दो बेटे और दो बेटी छोड़ कर गए हैं। आइए मिस्त्री से जुड़ी कुछ अहम बातें जानते हैं।
50 देशों में फैला हुआ है शापूरजी पालोनजी समूह का कारोबार
शापूरजी पालोनजी समूह भारत की सबसे बड़ी व्यावसायिक कंपनियों में से एक है। कंपनी का कारोबार कंस्ट्रक्शन, इंजीनियरिंग, रियल एस्टेट, जल और उर्जा समेत कई अन्य फील्ड में फैला हुआ है। शापूरजी पालोनजी समूह की शुरुआत 1865 में हुई थी। समूह का कारोबार भारत समेत करीब 50 देशों में फैला हुआ है। पालोनजी मिस्त्री को उद्योग जगत में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए साल 2016 में पद्म भूषण सम्मान से भी नवाजा गया था।
13 बिलियन डॉलर की संपत्ती के मालिक थे पालोनजी मिस्त्री
फोर्ब्स पत्रिका के ताजा आंकड़ों के अनुसार, मिस्त्री के पास करीब 13 बिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति थी और वह अमीरों की लिस्ट में 125वें नंबर पर थे। मिस्त्री ने अपने कार्यकाल में मुंबई में कई आलीशान इमारतों का निर्माण किया था। इनमें भारतीय रिर्जव बैंक (RBI) की इमारत, सिटी बैंक का मुख्यालय और सेल स्टील प्लांट आदि शामिल हैं। पालोनजी ने साल 2004 में कंपनी की कमान अपने बड़े बेटे शापोरजी मिस्त्री को सौप दी थी।
टाटा समूह से कानूनी विवाद के बाद अपदस्थ किए गए थे पालोनजी के छोटे बेटे
मिस्त्री के छोटे बेटे साइरस मिस्त्री साल 2012 से 2016 के बीच टाटा संस के अध्यक्ष रहे थे। बाद में एक विवाद के कारण उन्हें पद से हटा दिया गया। टाटा संस और साइरस मिस्त्री का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में टाटा संस के फैसले को सही माना था। बता दें कि यह विवाद भारत के कॉरर्पोरेट विवादों में सबसे करीब से देखे जाने वाले विवादों में से एक है।
मिस्त्री परिवार के पास है टाटा समूह की बड़ी हिस्सेदारी
हालांकि अभी भी मिस्त्री परिवार टाटा समूह में अच्छी खासी हिस्सेदारी रखता है। टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में मिस्त्री परिवार करीब 18 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। इसी वजह से साइरस टाटा संस के अध्यक्ष भी बने थे।