अरावली में अब नए खनन की अनुमति नहीं, केंद्र सरकार ने दिया आदेश
क्या है खबर?
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने अरावली रेंज में नए खनन पर पूरी तरह से रोक लगाने का आदेश दिया है। यह प्रतिबंध दिल्ली से गुजरात तक लागू होगा और इसका मकसद इस पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इलाके की रक्षा करना है। मंत्रालय ने कहा कि यह कदम पहाड़ की श्रृंखला को प्राकृतिक रूप में संरक्षित रखने और अवैध खनन गतिविधियों को रोकने के लिए जरूरी है।
योजना
तैयार होगी विज्ञान-आधारित प्रबंधन योजना
सरकार ने भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (ICFRE) को निर्देश दिया है कि वह पर्वतीय श्रृंखला में ऐसे अतिरिक्त क्षेत्रों और जोन की पहचान करे, जहां खनन पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। ये अतिरिक्त इकोलॉजिकल, जियोलॉजिकल और लैंडस्केप-लेवल मानदंडों के आधार पर चिन्हित किए जाएंगे। ICFRE पूरे अरावली क्षेत्र के लिए सतत खनन हेतु एक व्यापक, विज्ञान-आधारित प्रबंधन योजना (MPSM) तैयार करेगा। इस योजना का मसौदा हितधारकों से परामर्श के लिए सार्वजनिक रूप से रखा जाएगा।
मामला
क्या है मामला?
दरअसल, 20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया कि 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली भूमि को ही "पहाड़ी" माना जाएगा। जानकारों का कहना है कि नई परिभाषा से लगभग 90 प्रतिशत अरावली क्षेत्र 'अरावली' के दायरे से बाहर हो जाएगा। अरावली क्षेत्र खनिज संसाधनों से समृद्ध है। नई परिभाषा लागू हुई, तो खनन गतिविधियां बेलगाम हो जाएगी। 100 मीटर से ऊंची पहाड़ियों को भी कम दिखाकर खनन होगा। ऐसे में इस फैसले का विरोध होने लगा।