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    वायु प्रदूषण के खिलाफ सरकारी योजना के 5 साल बाद भी अधिकांश शहरों में गंभीर स्थिति
    भारत के अधिकांश शहरों में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति है

    वायु प्रदूषण के खिलाफ सरकारी योजना के 5 साल बाद भी अधिकांश शहरों में गंभीर स्थिति

    लेखन महिमा
    Jan 11, 2024
    01:26 pm

    क्या है खबर?

    एक विश्लेषण के अनुसार, नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) के लॉन्च के 5 वर्षों बाद भी अधिकांश भारतीय शहरों की वायु गुणवत्ता राष्ट्रीय मानकों से अधिक खराब है।

    सतत परिवेशीय वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (CAAQMS) के 5 साल के आंकड़ों के विश्लेषण में यह सामने आया है।

    हालांकि, पिछले 5 वर्षों में कई शहरों में PM10 और PM2.5 के स्तर में सुधार हुआ है, लेकिन ये अभी भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित मानकों से अधिक हैं।

    सुधार 

    कैसे किया गया विश्लेषण?

    न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण की निगरानी के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की मदद से देश के 90 शहरों में स्थापित CAAQMS और अन्य शहरों के मैन्युअल निगरानी स्टेशनों के 5 साल के आंकड़ों के आधार पर ये विश्लेषण किया गया है।

    नई दिल्ली स्थित क्लाइमेट ट्रेंड्स और रेस्पिरर लिविंग साइंसेज ने यह विश्लेषण किया है।

    49 शहरों के PM2.5 आंकड़े और 46 शहरों के PM10 आंकड़े उपलब्ध रहे।

    प्रदूषित शहर 

    दिल्ली और पटना सबसे अधिक प्रदूषित शहर 

    विश्लेषण के अनुसार, पिछले 5 सालों में 27 शहरों में PM2.5 और 24 शहरों में PM10 के स्तर में सुधार हुआ।

    हालांकि प्रदूषण के मामले में दिल्ली एक बार फिर से शीर्ष पर है। यहां 2023 में PM2.5 का उच्चतम स्तर 102 μg/m3 दर्ज किया गया, जो 2022 की तुलना में 2.5 प्रतिशत ज्यादा है।

    इसके बाद पटना का स्थान है, जहां 2023 में PM10 का स्तर सबसे खराब और 2019 से भी बदतर रहा।

    गिरावट 

    मुंबई और उज्जैन में बढ़ा PM2.5  का स्तर

    विश्लेषण में सामने आया कि 2019 के बाद से PM2.5 का स्तर नवी मुंबई में 46 प्रतिशत, उज्जैन में 46 प्रतिशत और मुंबई में 38 प्रतिशत बढ़ा है।

    इसी तरह PM10 का स्तर दुर्गापुर में 53 प्रतिशत, ठाणे में 46 प्रतिशत और मुंबई में 36 प्रतिशत बढ़ा है।

    2023 में गुवाहाटी और राउरकेला को छोड़कर PM2.5 और PM10 के उच्चतम स्तर वाले 20 शहरों में से क्रमशः 18 और 14 शहर सिंधु-गंगा के मैदानों इलाकों के हैं।

    सुधार 

    किन शहरों में PM2.5 और PM10 का स्तर कम हुआ?

    विश्लेषण के अनुसार, NCAP के लॉन्च के बाद से देश के कई शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के वाराणसी के PM2.5 का स्तर 72 प्रतिशत और PM10 का स्तर 69 प्रतिशत कम हुआ है।

    इसके अलावा कानपुर, मेरठ और लखनऊ के साथ-साथ राजस्थान के जोधपुर में भी PM2.5 और PM10 के स्तर में उल्लेखनीय कमी आई है।

    ओडिशा के तालचेर और कर्नाटक ने कालाबुरागी में भी सुधार दर्ज किया गया है।

    सबसे कम

    सिलचर में सबसे कम रहा PM2.5 और PM10 का स्तर

    2023 में असम के सिलचर में PM2.5 का सबसे कम 9.6 µg/m³ स्तर दर्ज किया गया, लेकिन यह भी WHO की 5 µg/m³ की निर्धारित सुरक्षित सीमा से लगभग दोगुना है।

    सिलचर में ही 29.2 µg/m³ के साथ PM10 का भी सबसे कम स्तर रहा।

    दिल्ली में PM2.5 के स्तर में 5.9 प्रतिशत की मामूली गिरावट देखी गई, जबकि बेंगलुरु में 2 प्रतिशत, हैदराबाद में 7 प्रतिशत, कोलकाता में 16.9 प्रतिशत और लखनऊ में 41.2 प्रतिशत कमी आई है।

    चिंताजनक 

    PM2.5 और PM10 के स्तर में सुधार, लेकिन स्थिति चिंताजनक- विशेषज्ञ

    क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने विश्लेषण में सामने आए आंकड़ों पर कहा, "शीर्ष प्रदूषित शहरों में PM2.5 और PM10 के स्तर में उल्लेखनीय कमी आई है, लेकिन अभी भी काफी चुनौतियां हैं और कुछ शहरों इलाकों में इसके स्तर में वृद्धि हुई है।"

    उन्होंने कहा, "वायु गुणवत्ता की निगरानी बढ़ेगी तो तस्वीरें और साफ होंगी। इन शहरों को NCAP के अगले चरण से जोड़ा जाना चाहिए और स्वच्छ वायु गुणवत्ता के प्रयासों को जारी रखा जाना चाहिए।"

    NCAP

    क्या है NCAP?

    वायु प्रदूुषण नियंत्रित करने के लिए 2019 में देश में NCAP शुरू किया गया था। इसका लक्ष्य 2024 तक PM2.5 कणों में 2017 की तुलना में 20-30 प्रतिशत की कमी लाना है।

    शुरुआत में इस योजना में उन 102 शहरों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो PM2.5 के राष्‍ट्रीय मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं।

    इसके अलावा 2025-26 तक 131 शहरों में प्रदूषण के स्तर को 2017 की तुलना में 40 फीसदी कम करने का लक्ष्य भी है।

     प्रदूषण कण 

    न्यूजबाइट्स प्लस

    PM2.5 या PM10, हवा में मौजूद सूक्ष्म कण होते हैं। कई अध्ययनों में PM और विभिन्न गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बीच संबंध पाया गया है।

    वायु प्रदूषण के यह कण सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), श्वसन संक्रमण और हृदय रोगों जैसी बीमारियों को पैदा कर सकते हैं या उन्हें और बिगाड़ सकते हैं।

    कोई भी अंग इन कणों के प्रभाव से अछूता नहीं रहता। PM2.5 इतना छोटा होता है कि खून में मिल जाता है।

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