
अहमदाबाद हादसा: दुर्घटनाग्रस्त विमान के 'ब्लैक बॉक्स' से किन सवालों के जवाब मिलेंगे?
क्या है खबर?
गुजरात के अहमदाबाद में उड़ान भरने के ठीक बाद दुर्घटनाग्रस्त हुए एयर इंडिया के AI-171 विमान (बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर) का 'ब्लैक बॉक्स' बरामद कर लिया गया है।
इसके अलावा, हादसे की जांच करने के लिए बोइंग कंपनी के विशेषज्ञ भी सोमवार को अहमदबाद पहुंच गए हैं। यह टीम कुछ दिनों तक भारत में रहकर बोइंग हादसे से जुड़े मामले की तफ्तीश करेगी।
इस बीच आइए जानते हैं कि 'ब्लैक बॉक्स' के किन-किन सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है।
हादसा
पहले जानते हैं कैसे हुआ था हादसा
12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया के विमान AI-171 उड़ान भरने के एक मिनट बाद ही हवाई अड्डे के पास स्थित इमारतों से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
इस हादसे में विमान में सवार 242 लोगों में से केवल एक यात्री जिंदा बचा। मृतकों में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी शामिल हैं।
वहीं, विमान जिस इमारत से टकराया, वहां भी 24 से अधिक लोगों की मौत हुई है। इनमें डॉक्टर्स शामिल हैं।
उपकरण
'ब्लैक बॉक्स' क्या होता है?
'ब्लैक बॉक्स' विमान के कॉकपिट में लगे वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) से बना एक सेट होता है।
इनमें पायलटों और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के बीच हुई संपूर्ण बातचीत रिकॉर्ड होती है। इसके साथ ही यह विमान की ऊंचाई, दिशा और वायुगति जैसे उड़ान डाटा मापदंडों को भी रिकॉर्ड करता है।
यह सारी जानकारी जांचकर्ताओं को यह पता लगाने के लिए आवश्यक होती है कि विमान कब, कैसे और क्यों दुर्घटनाग्रस्त हुआ।
सवाल
CVR डाटा से किन सवालों के जवाब मिल सकते हैं?
CVR डाटा के परीक्षण से सबसे पहले यह पता लगाया जा सकता है कि पायलट सुमीत सभरवाल ने संकटकालीन कॉल में वास्तव में क्या कहा था।
पिछले सप्ताह नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा था कि हादसे से कुछ सेकंड पहले पायलट ने अहमदाबाद एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से 'मेडे, मेडे' कहा था।
हालांकि, कुछ रिपोर्टों के अनुसार पायलट सभरवाल ने विमान में पावर और थ्रस्ट की कमी की ओर इशारा किया था। CVR में इसकी सच्चाई सामने आ सकती है।
समय
संकटकालीन संदेश कब भेजा गया था?
CVR डाटा से यह भी पता चलने की उम्मीद है कि पायलट ने ATC को आखिरकार संकटकालीन संदेश किस समय भेजा था।
सरकार ने पुष्टि की है कि विमान ने दोपहर 1.39 बजे उड़ान भरी थी और 36 सेकंड बाद यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
इसी तरह यह भी पता चल सकता है कि पायलट ने 'मेडे' संदेश किस मिलीसेकंड में भेजा था, जिससे यह पता चल जाएगा कि विमान में सवार यात्रियों को बचाने के लिए कितना समय मिला था।
अनदेखी
पायलटों की अनदेखी का भी हो सकेगा खुलासा
'मेडे' कॉल भेजने के सही समय का पता लगने के बाद जांचकर्ताओं को यह पता लगाने में भी मदद मिलेगी कि समस्या (जिसके कारण दुर्घटना हुई) कब सामने आई थी।
क्या यह उड़ान भरने से पहले मौजूद थी और क्या पायलटों ने इस पर ध्यान नहीं दिया या यह उड़ान भरने के बाद हुई, जो संभवतः सिस्टम विफलता के कारण हुई?
इन सब सवालों के जवाब मिलने पर दुर्घटना की वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
बातचीत
पायलट और ATC के बीच हुई बातचीत का भी हो सकेगा खुलासा
CVR और FDR की जांच में यह भी सामने आ सकेगा कि पायलट और प्रथम अधिकारी कुंदर ने एक-दूसरे से और ATC से क्या कहा था।
बेशक, ATC कर्मियों से पहले ही पूछताछ हो चुकी होगी, लेकिन उन्हें शायद यह याद न हो कि क्या कहा गया था या यहां तक कि उन्हें यह भी याद न हो कि बात किस लहजे में कही गई थी।
CVR यह सारी बातचीत, कॉकपिट समेत इंजन की आवाज को भी रिकॉर्ड करता है।