गुजरात: तीन भाई-बहनों ने 10 साल तक खुद को रखा कमरे में कैद, NGO ने बचाया
क्या है खबर?
कोरोना महामारी से बचाव के लिए लागू किए गए लॉकडाउन ने लोगों को सालों की कैद का अहसास कर दिया था, लेकिन कोई 10 साल से कमरे में कैद हो तो उसकी स्थिति का अंदाजा आसानी से नहीं लगाया जा सकता।
ऐसा ही कुछ हुआ है गुजरात के राजकोट के दो भाई और एक बहन के साथ। उन्होंने 10 साल पहले खुद को कमरे में बंद कर लिया था, जिन्हें रविवार को स्वयं सेवी संस्था (NGO) ने बाहर निकाला है।
प्रकरण
मां की मौत के बाद खुद को किया कमरे में कैद
NDTV के अनुसार, तीनो भाई-बहन के 80 वर्षीय पिता नवीन मेहता ने बताया कि करीब 10 साल पहले उनकी पत्नी की मौत हो गई थी। इसका उनके पुत्र अमरीश (42), मेघना (39) और छोटे बेटे को गहरा असर लगा।
उन्होंने बताया कि मां की मौत के बाद तीनों ने खुद को बिना रोशनदान वाले कमरे में कैद कर लिया। उन्हें बाहर निकालने के कई प्रयास भी किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। वह अपने बच्चों की इस हालत से हताश हैं।
शिक्षा
उच्च शिक्षा प्राप्त हैं तीनों भाई-बहन
मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि खुद को कमरे में बंद करने वाले तीनों भाई-बहन उच्च शिक्षा प्राप्त हैं।
उनके पिता के अनुसार अमरीश ने स्नातक और LLB कर रखी है और वह 10 साल पहले कोर्ट में प्रैक्टिश कर रहा था। इसी तहर मेघना ने मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर और छोटे बेटे ने अर्थशास्त्र से स्नातक की है।
ऐसे में तीनों का खुद को कमरे में बंद करना सबके लिए चौंकाने वाली बात है।
बचाव
दरवाजा तोड़कर तीनों को निकाला बाहर
बेघरों के कल्याण के लिए काम करने वाले NGO 'साथी सेवा ग्रुप' की अधिकारी जालपा पटेल ने बताया कि उन्हें शनिवार को इस संबंध में सूचना मिली थी। रविवार शाम को वह मेहता के घर पहुंच गए, लेकिन वह वहां पर नहीं थे। इस पर उन्होंने कमरे का दरवाजा तोड़ने का निर्णय किया और लोगों की मदद से उसे तोड़ दिया।
अंदर देखा तो कमरे में रोशनी नाम की चीज नहीं थी और तीनों अपने बिस्तरों पर पड़े थे।
हालात
पूरे कमरे में उठ रही थी मल की दुर्गन्ध
पटेल ने बताया कि कमरे से बासी खाने एवं मानव के मल की दुर्गंध आ रही थी तथा कमरे में चारों ओर अखबार बिखरे थे।
तीनों भाई-बहन की स्थिति बहुत खराब एवं अस्त-व्यस्त थी और उनके बाल एवं दाढी किसी भीख मांगने वाले की तरह बढ़े हुए थे। वे इतने कमजोर थे कि खड़े भी नहीं हो पा रहे थे।
उन्होंने कहा कि हो सकता है कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं हो, लेकिन उन्हें उपचार की तत्काल आवश्यकता थी।
मदद
NGO कर्मचारियों ने बाहर निकालकर कटवाए बाल
NGO सदस्यों ने तीनों को बाहर निकाला और उन्हें नहलाकर साफ कपड़े पहनाए। इसी तरह उनके बाल और दाढी भी कटवाई।
पटेल ने बताया कि NGO तीनों को ऐसे स्थान पर भेजने की योजना बना रहा है, जहां उन्हें बेहतर भोजन एवं उपचार मिल सके।
उनके पिता एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मी हैं और उन्हें 35,000 रुपये पेंशन मिलती है। इसके बाद भी तीनों बच्चों की हालत बहुत दयनीय थी। तीनों की काउंसलिंग भी कराई जाएगी।
जानकारी
पिता ने लगाया बच्चों पर जादू-टोना कराने का आरोप
तीनो बच्चों के पिता मेहता का आरोप है कि उनकी पत्नी की मौत के बाद उनके रिश्तेदारों ने बच्चों पर जादू-टोना करा दिया। इसके कारण ही उनकी यह स्थिति हुई है। हालांकि, उन्होंने इस संबंध में अभी तक पुलिस में कोई शिकायत नहीं दी है।