पिछले तीन साल में ट्रेन और रेलवे स्टेशनों पर हुई 674 लोगों की हत्या
ट्रेन के सफर को सबसे सुरक्षित माना जाता है। इसमें स्लीपर या AC क्लास की व्यवस्था होने से यह सफर आरामदायक भी होता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में ट्रेन का सफर आरामदायक तो है पर सुरक्षित नहीं। इसका कारण दुर्घटना नहीं, बल्कि अपराध हैं। देश में साल 2017 से 2019 के बीच ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों पर 674 लोगों की हत्या हो चुकी है। केंद्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के डाटा में यह खुलासा हुआ है।
साल 2017 में हुई सबसे अधिक लोगों की हत्या
NCRB के डाटा के अनुसार देश में 1 जनवरी, 2017 से 31 दिसंबर, 2019 के बीच विभिन्न रेलवे स्टेशन और ट्रेनों में कुल 674 लोगों को मौत के घाट उतारा गया है। इनमें से 2017 में सबसे अधिक 230 लोगों की हत्या की गई। इसी तरह 2018 में यह संख्या घटकर 217 पर आ गई थी, लेकिन 2019 में इसमें फिर से इजाफा हो गया और कुल 227 लोगों की हत्या कर दी गई।
प्रत्येक तीन दिन में हुई दो लोगों की हत्या
NCRB के डाटा के अनुसार तीन साल में 674 लोगों की हत्या के हिसाब से रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में इस अवधि में प्रत्येक तीन दिन में दो लोगों की हत्या की गई है। यह भारतीय रेलवे की सबसे भयावह स्थिति बयां करती है।
हरियाणा में हुई सबसे अधिक हत्या
साल 2017 से 2019 के बीच ट्रेनों और रेलवे स्टेशन परिधि में सबसे अधिक हत्या हरियाणा राज्य में हुई है। इस अवधि में यहां कुल 98 लोगों की हत्या हुई। इसके बाद सबसे अधिक हत्या पश्चिम बंगाल में 95 और बिहार में 92 लोगों की हुई है। इसी तरह इस अवधि में उत्तर प्रदेश में 49, कर्नाटक में 48, असम में 46, महाराष्ट्र में 35, गुजरात में 32 और पंजाब में 31 लोगों की हत्या की गई है।
यह राज्य रहे सबसे अधिक सुरक्षित
देश के अन्य राज्यों में जहां ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों पर हत्या जैसी वारदातें सामने आई है, वहीं केरल और जम्मू-कश्मीर में इस अवधि में हत्या का एक भी मामला सामने नहीं आया है। इसी तरह उत्तराखंड, त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश में हत्या की एक-एक और छत्तीसगढ़ में छह वारदात सामने आई है। मध्य प्रदेश और ओडिशा में 20-20, आंध्र प्रदेश 28, झारखंड 21, तमिलनाडु 18, तेलंगाना 15, दिल्ली 14 और राजस्थान में 13 लोगों की हत्या हुई है।
मौत के मुंह से निकलकर आए 282 लोग
NCRB के डाटा के अनुसार साल 2017 से 2019 के बीच ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों पर हत्या के प्रयास की 282 वारदातें सामने आई थी। हालांकि, वारदात में शामिल लोगों को समय पर उपचार मिलने से वह मौत से जंग जीतने में कामयाब हो गए। हत्या के प्रयास की सबसे अधिक 114 वारदात साल 2017 में हुई थी। साल 2018 और 2019 में इस तरह की 84-84 वारदात सामने आई थी। सभी में घायलों की जिंदगी बच गई थी।
किस राज्य में कितनी हुई हत्या के प्रयास की वारदात?
NCRB के डाटा के अनुसार इस अवधि में हत्या के प्रयास की सबसे अधिक 54 वारदातें महाराष्ट्र में सामने आई थी। इसी तरह बिहार में 42, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 24-24, तमिलनाडु में 20, ओडिशा में 15, झारखंड और आंध्र प्रदेश में 14-14, मध्य प्रदेश 13, हरियाणा में 12, गुजरात और कर्नाटक में 10-10, राजस्थान में सात, तेलंगाना और पंजाब में चार-चार और दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ में तीन-तीन वारदात हुई है।
ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों पर होती है मजबूत सुरक्षा
ट्रेनों और रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा की जिम्मेदारी के लिए रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) की नियुक्ति की गई है। रेवले की संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी RPF पर है और यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी GRP की है। यात्रा के दौरान सभी ट्रेनों में पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं और स्टेशनों पर भी काफी संख्या में जवान तैनात रहते हैं। इसके बाद भी हत्या और हत्या के प्रयास जैसी वारदात होना कई सवाल खड़े करता है।
किए जाते हैं बेहतर सुरक्षा के प्रयास
राजस्थान के अलवर रेलवे स्टेशन पर GRP थाने के कैलाश चंद मीना ने न्यूजबाइट्स हिन्दी को बताया कि स्टेशनों पर पर्याप्त मात्रा में सिपाही तैनात किए जाते हैं और ट्रेनों में भी नियमित जांच की जाती है, लेकिन रेलवे स्टेशन के चप्पे-चप्पे और ट्रेनों की सभी बोगियों में जवानों की तैनाती मुमकिन नहीं है। यही कारण है कि आपसी विवाद के बाद वारदातें हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि वारदातों को रोकने के प्रयास हमेशा जारी रहते हैं।