कौन हैं बंटी वालिया, जिन पर 119 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में CBI ने कसा शिकंजा?
बॉलीवुड फिल्म निर्माता जसप्रीत सिंह वालिया उर्फ बंटी वालिया कानूनी पचड़े में फंस गए हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने कथित बैंक धोखाधड़ी के मामले में फिल्म निर्माता के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अधिकारियों के मुताबिक, वालिया पर IDBI बैंक को 119 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा है। अब इस मामले में वालिया जांच के घेरे में आ गए हैं। आइए जानते हैं वालिया कौन हैं और यह पूरा मामला क्या है।
क्या है मामला?
बैंक ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि जून 2008 में वालिया सहित अन्य की व्यक्तिगत गारंटी पर 2 लोन दिए गए थे। उनकी कंपनी जीएस एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड (GSEPL) को 23.5 लाख अमरीकी डालर (तब 10 करोड़ रुपये के बराबर) का विदेशी मुद्रा ऋण (FCL) और 4.95 करोड़ रुपये का सावधि ऋण (RTL) स्वीकृत हुआ था। बैंक के अनुसार, यह लोन 2008 में संजय दत्त और बिपाशा बसु की फिल्म 'लम्हा' के निर्माण के लिए दिया गया था।
कौन हैं बंटी वालिया?
हिमाचल प्रदेश के सनावर के रहने वाले वालिया जाने-पहचाने निर्माता और खेल उद्यमी हैं। उन्होंने 1998 में फिल्म 'प्यार किया तो डरना क्या' के साथ एक फिल्म निर्माता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने 'लम्हा', 'हैलो ब्रदर', 'एक अजनबी' जैसी फिल्मों का निर्माण किया है। वह कबड्डी टीम जयपुर पिंक पैंथर्स के COO और जीएस वर्ल्डवाइड एंटरटेनमेंट के चेयरमैन हैं। जयपुर पिंक पैंथर्स को वालिया की स्पोर्ट्स मैनेजमेंट फर्म GS स्पोर्ट्स संभालती है।
विवाद से फिल्म रिलीज में हुई देरी
शेड्यूल के अनुसार, फिल्म 2009 में रिलीज होनी थी, लेकिन मार्च 2009 में प्रमोटर्स और एग्जीबिटर्स के बीच विवाद होने से इसमें देरी हो गई। इसके बाद सितंबर में यह खाता भी गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) में बदल गया। जून 2010 में GSEPL, PVR और बैंक के बीच त्रिपक्षीय समझौता करने के बाद फिल्म को रिलीज करने के लिए PVR को डिस्ट्रीब्यूटर बनाकर यह तय किया गया कि PVR पोस्ट-प्रोडक्शन के लिए 8 करोड़ रुपये देगा, लेकिन वह इसमें विफल रहा।
बैंक ने लगाया हेरफेर का आरोप
बैंक ने आरोप लगाया है कि PVR अपना वादा नहीं पूरा कर सका और ऐसे में उन्हें लगभग 83.89 लाख रुपये का घाटा हुआ क्योंकि कंपनी 7.41 करोड़ की कमाई ही कर पाई थी जबकि फिल्म के प्रमोशन और डिस्ट्रिब्यूशन पर 8.25 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। बैंक ने यह भी आरोप लगाया कि फॉरेंसिक ऑडिट पता चला है कि कंपनी ने धोखाधड़ी कर बैंक के फंड को डायवर्ट कराया और अकाउंट में हेरफेर की है।