#NewsBytesExplainer: क्या होता है मीट-क्यूट कॉन्सेप्ट, रोमांटिक फिल्मों में होता है जिसका इस्तेमाल?
क्या है खबर?
बॉलीवुड को पसंद करने वाले दर्शकों के दिलों में रोमांटिक फिल्मों के लिए खास जगह है।
हिंदी सिनेमा में दिखाए जाने वाले हर प्रेमी की कहानी अलग होती है, जिसमें एक अलग ही तरह का सुकून होता है।
इन कहानियों को फिल्मों के संगीत से लेकर डायलॉग तक खास बनाता है, लेकिन इनके अलावा एक और चीज होती है जिससे कहानी और किरदारों में जान डाली जाती है। यह मीट-क्यूट सीन होते हैं।
आज हम इसी के बारे में जानेंगे।
मीट-क्यूट
क्या होता है मीट-क्यूट?
दुनियाभर की रोमांटिक फिल्मों में सबसे ज्यादा अगर कोई चीज मायने रखती है तो वह उसके किरदारों की पहली मुलाकात होती है।
यह इसलिए खास होती है क्योंकि दर्शक इसे देखने के बाद ही फिल्म से जुड़ते हैं।
निर्माता-निर्देशक इस पहली मुलाकात को कुछ इस तरह से यादगार बनाना चाहते हैं कि दर्शक उनकी कहानी से एक खास जुड़ाव महसूस करें।
फिल्म में कलाकारों के बीच होने वाली इस पहली मुलाकात को ही मीट-क्यूट कहा जाता है।
परिभाषा
क्या होता है मीट-क्यूट का मतलब?
स्टूडियो बाइंडर इस कॉन्सेप्ट को इस तरह से परिभाषित करता है- मीट-क्यूट रोमांटिक फिल्मों का एक सीन है, जिसमें दो प्रेमियों की पहली बार मुलाकात होती है। इस तरह के सीन को या तो हास्यपूर्ण तरह से बुना जाता है या फिर रोमांटिक। इस तरह के सीन को ज्यादातर फिल्मों में प्रेमियों के बीच अजीब तरह की गलतफहमियां, हंसी-मजाक या पहली नजर में देखते ही प्यार होने वाले परिदृश्य में लिखा और फिल्माया जाता है।
शुरुआत
कैसे पड़ा इस कॉन्सेप्ट का नाम?
अब सवाल उठता है कि आखिर मीट-क्यूट को मीट-क्यूट क्यों कहा जाता है और इसकी शुरुआत कब हुई थी?
बता दें, इस कॉन्सेप्ट की शुरुआत साल 1938 की हॉलीवुड रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'ब्लूबीर्ड्स एढ़त्थ वाइफ' से हुई है, जो अर्न्स्ट लुबित्स द्वारा निर्देशित थी।
फिल्म में क्लॉडेट कोलबर्ट और गैरी कूपर के किरदार खरीदारी करते हुए मिलते हैं। इस मुलाकात (मीट) में दोनों के बीच प्यारी (क्यूट) बातचीत होती है। इस तरह से इस कॉन्सेप्ट का नाम मीट-क्यूट पड़ा।
प्रकार
कितने प्रकार का होता है मीट-क्यूट?
मीट-क्यूट 4 प्रकार के होते हैं, जिनमें सबसे पहला 'पुल-पुल' होते है।
'पुल-पुल' का मतलब समझने की कोशिश करें तो जैसा की इसके नाम से पता चलता है, यह उस स्थिति को दर्शाता है, जिसमें दोनों कलाकार एक-दूसरे की ओर खिंचाव महसूस करते हैं।
वे एक-दूसरे के साथ सहज महसूस करते हैं और समय बिताने के लिए तैयार होते हैं।
इसके दौरान उनके बीच कोई झगड़ा नहीं होता है। दोनों के बीच तालमेल की शुरुआत आराम से होती है।
प्रकार
क्या होता है 'पुश-पुश'?
मीट-क्यूट के 'पुश-पुश' प्रकार की बात करें तो इसमें दो पात्रों को एक साथ रहने की बजाय अलग होना बेहतर लगता है। दरअसल, दोनों एक-दूसरे के लिए गुस्सा महसूस करते हैं।
शुरुआत में वे कहानी की जोड़ी एक-दूसरे की जानी दुश्मन लगती है।
उदाहरण के तौर पर आप शाहिद कपूर और करीना कपूर की फिल्म 'जब वी मेट' में उनके किरदार आदित्य और गीत के किरदारों को लेकर सकते हैं।
प्रकार
क्या होता है 'पुश-पुल'?
'पुश-पुल' मीट-क्यूट का तीसरा प्रकार है।
'पुश-पुल' में एक किरदार जहां तुरंत प्यार में पड़ सकता है और दूसरा पहले की भावनाओं से बेखबर हो सकता है। अगर उसे पता भी होता है तो उसकी भावनाओं में दिलचस्पी नहीं लेता है।
ऐसे में दोनों के बीच संघर्ष देखने को मिलता है, जिसके दम पर फिल्म की कहानी बुनी जाती है।
फिल्म 'शोले' में धर्मेंद्र और हेमा मालिनी के बीच फिल्माए गए सीन को इसका अच्छा उदाहरण माना जा सकता है।
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क्या होता है 'न्यूटरल-नर्वस'?
'न्यूटरल-नर्वस' मीट-क्यूट का आखिरी और चौथा प्रकार होता है।
इसमें एक व्यक्ति को अपने प्रेमी से मिलने के दौरान घबराहट होती है। वह जब भी उसके आसपास होता है तो घबराया हुआ महसूस करता है।
हालांकि, दूसरे व्यक्ति को इसका कोई भी अंदाजा नहीं होता। अगर होता भी है तो वह यह नहीं जानता है कि उससे क्या कहना चाहिए, जिससे उनकी भावनाओं को ठेस न पहुंचे।
इसका इस्तेमाल अक्सर किशोरों के बीच रोमांस दिखाने के लिए किया जाता है।