क्या आप जानते हैं? नशे की लत ने तबाह कर दी थी पीयूष मिश्रा की जिंदगी
हरफनमौला कलाकार पीयूष मिश्रा बॉलीवुड में किसी परिचय के मोहतजा नहीं हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी पीयूष ना सिर्फ अपने अभिनय, बल्कि अपने गायन और लेखन के लिए भी मशूहर हैं। दर्शकों की बड़ी जमात उनकी कायल है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय पीयूष को शराब की ऐसी लत लगी थी कि उन्होंने अपनी मौत को करीब से देख लिया था। आइए आज पीयूष के 59वें जन्मदिन पर आपको उनके इस दौर के बारे में बताते हैं।
पीयूष की ढाल बनकर खड़ी रहीं पत्नी
पीयूष ने एक इंटरव्यू में बताया था, "मैंने अपनी पत्नी प्रिया को दुनियाभर के दुख दिए, लेकिन उनका प्यार कभी खत्म नहीं हुआ। मुझे शराब की लत थी। मेरी पत्नी ने क्या कुछ नहीं सहा? वह हमेशा मेरे साथ खड़ी रहीं।" उन्होंने कहा, "मैं शराब में डूबा रहता था। इससे बुरा कुछ नहीं था, क्योंकि इसने सबकुछ बर्बाद कर दिया। मुझे ना पत्नी की चिंता थी और ना ही बच्चों की। ताज्जुब होता है कि मैं जिंदा बच कैसे गया?"
न्यूजबाइट्स प्लस (दिलचस्प बात)
पीयूष ने प्रिया को उनके घर से अगवा कर शादी की थी। उस समय पीयूष कुछ नहीं करते थे। इसके बावजूद प्रिया ने उनके साथ जिंदगीभर साथ निभाने का वादा किया। शादी के कई सालों बाद तक प्रिया ही घर का खर्च उठाया करती थीं।
सताने लगा था मौत का डर
पीयूष ने कहा, "नशा मुझ पर इस कदर हावी हो गया कि मुझे मौत का डर सताने लगा था। मैं मजबूर और लाचार था। मैंने 80 के दशक में पहली बार बीयर पी थी। एल्कोहॉल के ज्यादा सेवन से मुझे एक खतरनाक बीमारी हो गई थी, जिसे डॉक्टरी भाषा में A303 कहा जाता है।" उन्होंने कहा, "मैं दिनभर शराब नहीं पीता था, लेकिन रात को इसके बिना मेरा गुजारा नहीं था। मैं चाहकर भी खुद को रोक नहीं पाता था।"
कैसे छूटी नशे की लत?
पीयूष ने कहा, "डॉक्टरों ने यह कहकर हाथ खडे़ कर दिए कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। 2005 में मुझे शराब छुड़वाने के लिए एक संगठन के बारे में पता चला, जिसमें एक प्रोग्राम था, जिसका नाम था 12 स्टेपिंग। अगर मैं इस संगठन से ना जुड़ा होता तो मैं 2009-2010 तक मर जाता।" पीयूष का मानना है कि अगर उनकी शराब की लत छूटी है तो शायद कोई ताकत है, जो उनसे कुछ और कराना चाहती थी।
...जब ब्रेन स्ट्रोक का किया सामना
पीयूष ने बताया, "2009 में फिल्म 'गुलाल' की रिलीज के बाद मुझे ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। डॉक्टरों ने कहा कि मैं ना कभी बोल पाऊंगा, ना चल पाऊंगा और ना ही ढंग से बैठ पाऊंगा। फिर मेरे दोस्त और फिल्ममेकर विशाल भारद्वाज ने मुझे 'प्राणिक हीलिंग' प्रणाली के बारे में बताया और मैं पूरी तरह से ठीक हो गया।" उन्होंने कहा, "कोई पावर तो है, जो दुनिया को चला रही है। आज मैं अपना हर काम खुद कर सकता हूं।"
अभिनय से लेकर लेखन, हर फील्ड में दिखाया अपना जौहर
पीयूष ने कई नाटक लिखे, उन पर अभिनय किया और उनका लेखन व निर्देशन भी किया। यहां तक कि संगीत भी दिया। हिंदी फिल्मों जैसे, 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'गुलाल', 'लाहौर', 'टशन', 'आजा नचले', आदि के तमाम गीत लिखे। 'मकबूल', 'गुलाल', 'तेरे बिन लादेन', 'लफंगे परिंदे', 'दैट गर्ल इन येलो बूट्स', 'रॉकस्टार', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'तमाशा', 'पिंक', 'संजू' जैसी फिल्मों में उन्होंने अभिनय किया। पीयूष ने 'गजनी', 'लाहौर', 'अग्निपथ', 'द लेजेंड ऑफ भगत सिंह' जैसी फिल्मों के लिए डायलॉग भी लिखे।