सूरज बड़जात्या बहती गंगा में हाथ नहीं धोते, बोले- मैं देखा-देखी 'पुष्पा' नहीं बना सकता
क्या है खबर?
निर्देशक सूरज बड़जात्या किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं। वह अपनी शुद्ध पारिवारिक फिल्मों के लिए जाने जाते हैं।
बड़जात्या का अपना एक खास दर्शक वर्ग है, जिसे उनकी फिल्मों का बेसब्री से इंतजार रहता है।
बड़जात्या ने वेब सीरीज 'बड़ा नाम करेगा' से OTT पर अपनी शुरुआत की है।
हाल ही में उन्होंने बदलते दौर में पर्दे पर पारिवारिक फिल्मों के भविष्य पर खुलकर बात की।
जोर
मौजूदा समय से परिवार से जुड़ी कहानियां कहना जरूरी- बड़जात्या
NBT से बड़जात्या बोले, "देखिए, वक्त तो बदला है। आज मैं 'हम आपके हैं कौन' बनाने के बारे में मैं सोच भी नहीं सकता, क्योंकि आज परिवार वैसे नहीं रहे, लेकिन फैमिली जॉनर सिर्फ संयुक्त परिवार तक सीमित नहीं है। आपस में बोलचाल होनी चाहिए, दिल मिलने चाहिए, लेकिन आज मैं देखता हूं, कई परिवारों में बाप-बेटे में बोलचाल नहीं है। भाई-बहन में बोलचाल नहीं है। सब अपने में व्यस्त हैं, इसलिए परिवार से जुड़ी अच्छी कहानियां कहना जरूरी है।"
पसंद
बड़जात्या की पसंद 'पुष्पा'
बातचीत में बड़जात्या ने 'पुष्पा' की भी तारीफ की।
उन्होंने कहा, "वक्त तो बदलेगा, लेकिन भारत में परिवार को लेकर जो मूल्य हैं, वो कहीं नहीं जाएंगे। आप फिल्म 'पुष्पा' भी देखें तो वो इतनी बढ़िया पारिवारिक फिल्म है। ये मां-बेटे, पति-पत्नी के रिश्ते की कहानी है तो कहीं कुछ बदला नहीं है। हां, हमें लोग बोलते हैं कि ये नहीं चलता है, वो नहीं चलता है, लेकिन मैंने हमेशा धारा के विपरीत काम किया है।"
सुझाव
हिंदी फिल्मकारों को बड़जात्या की सलाह
जब सूरज से पूछा गया कि क्या हिंदी फिल्मकार अपनी जड़ों को भूल गए हैं तो वह बोले, "हमें हिंदी सिनेमा में वापस आम आदमी की कहानियां सुनानी पड़ेंगी। जैसे, भूख, प्यार, सम्मान। हम लोग गलती क्या करते हैं कि हमें लगता है कि मुंबई, दिल्ली जैसे महानगर ही पूरा भारत है। हमें बाहर निकलकर भारत को देखना चाहिए। भारत बहुत अलग है, मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु से। जरा बांद्रा, अंधेरी से आगे घाटकोपर की तरफ जाइए, तब आपको भारत दिखेगा।"
दो टूक
"जो बस की बात है, वो बनाओ"
बड़जात्या ने बातचीत में यह भी कहा कि बॉलीवुड में मार्केटिंग को ज्यादा तवज्जो मिल रही है और रचनात्मकता पर जोर कम दिया जा रहा है।
वह बोले, "हम भी बिजनेस पर बैठते हैं तो यही सलाह मिलती है कि अभी एक्शन चल रहा है तो एक्शन बनाना पड़ेगा, लेकिन आपको सोचना पड़ेगा कि सूरज क्या तुम्हें एक्शन बनाना आता है? तुम 'पुष्पा' जैसा कुछ बना पाओगे? अगर नहीं, तो तुम वो बनाओ, जो तुम्हें आता है।"
जानकारी
बड़जात्या की फिल्में
बड़जात्या 'मैंने प्यार किया' से लेकर 'हम आपके हैं कौन', 'हम साथ साथ हैं', 'विवाह', 'प्रेम रतन धन पायो' और 'ऊंचाई' जैसी पारिवारिक फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं। इन सभी फिल्मों में उनके संस्कारी सिनेमा की झलक दिख चुकी है।