
रंगा-बिल्ला पर वेब सीरीज, फांसी के 2 घंटे बाद भी चलती रही थीं दरिंदे की सांसें
क्या है खबर?
इस साल फरवरी में खबर आई थी कि सोनाली बेंद्रे और अली फजल एक वेब सीरीज के लिए साथ आ रहे है। बताया जा रहा था कि ये एक क्राइम सीरीज होगी, लेकिन इससे जुड़ी बाकी जानकारियां सामने नहीं आई थीं।
अब खबर है कि उनकी यह सीरीज 1978 में गीता और संजय की वीभत्स हत्या और रेप मामले को फिर से जीवंत करेगी। इसके जरिए दिल्ली का सबसे खौफनाक अपराध दर्शकों के बीच आएगा।
किरदार
सोनाली और अली बनेंगे जांच अधिकारी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस सीरीज की शूटिंग दिल्ली में शुरू हो चुकी है। प्रोडक्शन से जुड़े सूत्र के हवाले से कहा गया है कि निर्माताओं की टीम पिछले कई महीनों से इस विषय पर रिसर्च कर रही थी।
सोनाली और अली दोनों ही इस सीरीज में जांच अधिकारियों की भूमिका निभाएंगे। दिल्ली में सीरीज की शूटिंग अप्रैल के अंत तक जारी रहेगी।
इस साल के अंत तक यह सीरीज दर्शकों के बीच आ सकती है।
वेब सीरीज
'ब्लैक वारंट' में दिख चुकी रंगा-बिल्ला केस की झलक
यह पहली बार है, जब रंगा-बिल्ला केस पर एक पूरी वेब सीरीज बनाई जा रही है।
हालांकि, इससे पहले 'ब्लैक वारंट' के कुछ एपिसोड में इसकी छोटी सी झलक जरूर देखने को मिली है। बताया जाता है कि यह एक स्टैंड अलोन वेब सीरीज होगी, जो इसी एक केस की घटनाओं को गहराई से दिखाएगी।
दिल्ली में शूटिंग के बाद सीरीज की शूटिंग उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर होगी और फिर अंत में मुंबई में आखिरी शेड्यूल शूट होगा।
मामला
रंगा-बिल्ला केस के बारे में जानिए
रंगा-बिल्ला का ये मामला असल में 16 साल की गीता और उनके 14 साल के भाई संजय चोपड़ा के अपहरण का है।
साल 1978 में 2 कुख्यात अपराधियों कुलजीत सिंह उर्फ रंगा कुश और जसबीर सिंह उर्फ बिल्ला ने भाई-बहन गीता और संजय का दिल्ली में अपहरण किया था।
दोनों ने गीता का पहले रेप किया और फिर बाद में मिलकर भाई-बहन की बेरहमी से हत्या कर दी। इस खबर के आते ही पूरा देश सदमे में आ गया था।
फांसी
फांसी के बाद भी चलती रही रंगा की सांसें
31 जनवरी 1982 को जब रंगा-बिल्ला को फांसी दी गई तो रंगा की सांसें फांसी के बाद भी करीब 2 घंटे तक चलती रहीं।
यह तिहाड़ जेल के इतिहास की एक दुर्लभ घटना थी, जिसने जेल प्रशासन को भी स्तब्ध कर दिया।
डॉक्टरों के मुताबिक, उसकी मौत धीरे-धीरे हुई, जो उसके शरीर की अनोखी प्रतिक्रिया थी। ये भी कहा गया कि फांसी के वक्त रंगा ने सांस रोक ली थी, जिसके कारण फांसी के बाद उसकी धड़कन चल रही थी।