महान निर्देशक सत्यजीत रे की पांच बेहतरीन फिल्मों पर एक नजर
दिवंगत सत्यजीत रे अपने जमाने के महान फिल्म निर्देशक रहे हैं। भारतीय सिनेमा जगत में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। ऑस्कर अवॉर्ड विजेता सत्यजीत को फिल्म जगत में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। उनका जन्म 2 मई, 1921 को पश्चिम बंगाल के कोलकात में हुआ था। सत्यजीत का निधन 23 अप्रैल, 1992 को हुआ था। आज उनकी 29वीं पुण्यतिथि है, इस मौके पर जानिए उनकी पांच बेहतरीन फिल्मों के बारे में।
आगुंतक
यह सत्यजीत की आखरी फीचर फिल्म थी। इस फिल्म में अभिनेता उत्पल दत्त को अहम भूमिका में देखा गया था। फिल्म की स्क्रिप्ट, डायलॉग और सीन्स को लोगों ने बहुत पसंद किया था। इस फिल्म में अभिनय के लिए उत्पल को काफी सराहना मिली थी। इस फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था। यह सत्यजीत की शार्ट फिल्म 'अतिथि' पर आधारित थी। 1991 में आई इस फिल्म की रिलीज के बाद 1992 में सत्यजीत का निधन हो गया था।
चारूलता
सत्यजीत की इस फिल्म को अपने जमाने के आगे की फिल्म माना जाता है। इसमें महिला के व्यभिचार और अकेलेपन को बहुत सहजता से फिल्माया गया है। फिल्म में महिला के अकेलेपन को पर्दे पर उकेरा गया है। इस फिल्म में एक महिला अपने मेंटर से प्रेम में पड़ जाती हैं और वह मेंटर उनके पति का चचेरा भाई होता है। 1964 में रिलीज हुई यह फिल्म रवींद्रनाथ टैगोर के उपन्यास नास्तनिरह पर आधारित है।
महानगर
सत्यजीत की यह फिल्म 1963 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म की कहानी एक घरेलू महिला के इदगिर्द घूमती है, जो अपने परिवार के रुढ़ीवादी विचारों से लडती हैं और नौकरी करती हैं। फिल्म में माधबी मुखर्जी को मुख्य भूमिका में देखा गया है। फिल्म में आधुनिक समय में महिलाओं के उभरते प्रतिनिधित्व को फिल्माया गया है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे शहरों में ऑफिस में काम करने के बाद महिलाएं घर के काम सहजता से करती हैं।
पाथेर पांचाली
1955 में आई फिल्म 'पाथेर पांचाली' कोलकाता के सिनेमाघर में करीब 13 सप्ताह तक हाउसफुल प्रदर्शित की गई थी। सत्यजीत ने बांग्ला साहित्यकार विभूति भूषण बंधोपाध्याय के उपन्यास 'विलडंगसरोमन' पर आधारित फिल्म 'पाथेर पांचाली' बनाया था। सत्यजीत की यह पहली फिल्म थी। कहा जाता है कि फिल्म को बनाने के लिए सत्यजीत ने अपनी पत्नी के गहने तक बेच दिए थे। यह फिल्म बचपन, गांव का सुविधाओं के बिना जीवन और बेहतर जीवन की उम्मीद को दर्शाती है।
शतरंज के खिलाड़ी
'शतरंज के खिलाड़ी' सत्यजीत की हिन्दी भाषा में बनाई एकमात्र फिल्म थी। फिल्म की कहानी अवध के आखिरी मुगल शासक वाजिद अली शाह और उनके पतन पर आधारित है। इस फिल्म में उनके मंत्रियों की कहानी को फिल्माया गया है, जो शतरंज खेलने के आदि होते हैं। यह फिल्म 1977 में रिलीज हुई थी। इसमें अहम भूमिका में अमजद खान, संजीव कुमार, शबाना आजमी और सईद जाफरी जैसे दिग्गज कलाकार नजर आए थे। फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था।