टाइम मैगजीन की पिछले 10 दशकों की 100 बेहतरीन फिल्मों में केवल ये भारतीय फिल्म शामिल
क्या है खबर?
जब भी भारतीय सिनेमा के महान फिल्मकारों की बात होती है तो सत्यजीत रे का नाम जरूर जहन में आता है। उनकी फिल्म और निर्देशन की जितनी तारीफ की जाए कम है।
वह फिर चर्चा में हैं और वो भी अपनी उसी पहली फिल्म 'पाथेर पंचाली' के लिए, जिसने भारतीय सिनेमा को एक अलग स्तर तक पहुंचाया।
दरअसल, टाइम मैगजीन द्वारा जारी पिछले 100 वर्षों की 100 बेहतरीन फिल्मों की सूची में इसी एकमात्र भारतीय फिल्म को जगह मिली है।
उपलब्धि
FIPRESCI बता चुका अब तक की सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्म
'पाथेर पांचाली' आज भी कई मौकों पर याद की जाती है। इस फिल्म की एक बार फिर चर्चा बढ़ गई है।
टाइम्स पत्रिका ने पिछले 10 दशक यानी 100 वर्षों की 100 बेहतरीन फिल्मों की ताजा सूची जारी की। इसमें 'पाथेर पंचाली' एकमात्र भारतीय फिल्म है।
यही नहीं इसे इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फिल्म क्रिटिक्स (FIPRESCI) ने अब तक की सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्म भी घोषित किया जा चुका है।
टाइम्स को यह सूची तैयार करने में पूरे 50 साल लगे हैं।
फिल्में
टॉप 10 में और कौन-कौन हैं शामिल?
इस सूची में 1920 के दशक से साल 2010 तक रिलीज हुईं फिल्में शामिल हैं। 1950 के दशक की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में 'पाथेर पंचाली' चौथे स्थान पर है।
पहले स्थान पर 'द बैंड वैगन' है, दूसरे में 'ऑन द वाटरफ्रंट' है, तीसरे में 'सेवन समुराई' और पांचवें स्थान पर 'नाइट्स ऑफ कैबिरिया' है। छठे में 'वर्टिगो', सातवें में '400 ब्लोज', आठवें में 'इमिटेशन ऑफ लाइफ' नौवें में 'रिओ ब्रेवो' और 10वां स्थान फिल्म 'सम लाइक इट हॉट' को मिला है।
पदार्पण
सत्यजीत ने 'पाथेर पंचाली' से निर्देशन की दुनिया में रखा था कदम
'पाथेर पांचाली' बंगाली सिनेमा की नाट्य फिल्म है। इसका लेखन और निर्देशन सत्यजीत ने किया था. यह इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है, जिसे बिभूतिभूषण बंधोपाध्याय ने लिखा था।
सत्यजीत ने इसी फिल्म के जरिए निर्देशन की दुनिया में कदम रखा था। यह एक ऐसे पुजारी की कहानी है, जो भविष्य में खुद को नाटककार और कवि के रूप में देखता है।
इस फिल्म को बनने में करीब 3 साल का समय लगा था।
सम्मान
कई पुरस्कार अपने नाम कर चुकी है फिल्म
'पाथेर पांचाली' का मतलब होता है, 'पथगीत' या 'एक छोटे रास्ते का गीत। इसे वैंकूवर फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ फिल्म समेत 5 पुरस्कार मिले थे।
हालांकि, पहले भी यह फिल्म कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी छाप छोड़ चुकी थी। कान्स सहित गोल्डन ग्लोब जैसे कई बड़े पुरस्कार इसे पहले ही मिल चुके थे।
यह सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीत चुकी है। इस फिल्म को अक्सर अब तक बनी महानतम फिल्मों की सूची में शामिल किया जाता है।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
सत्यजीत के बारे में अगर कहा जाए कि उन्होने घुटनों पर चल रहे भारतीय सिनेमा को चलना सिखाया तो गलत नहीं होगा। हालांकि, उन्होंने ज्यादा बंगाली फिल्में बनाई थीं। सत्यजीत ने 'शतरंज के खिलाड़ी' जैसी हिंदी फिल्म बनाई, जो हिंदी सिनेमा की यादगार फिल्म है।