'जजमेंटल है क्या' में कंगना के पागलपन से हो जाएगा प्यार, पढ़ें फिल्म का रिव्यु
कहते हैं ना, बिना पूरा सच जाने किसी को भी जज करना 'हानिकारक' हो सकता है। किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले हर पहलू को जान लेना हमेशा जरूरी होता है। ऐसे में इस शुक्रवार एक और बॉलीवुड फिल्म 'जजमेंटल है क्या' रिलीज़ हो गई है जिसमें कई जगहों पर आप 'जजमेंटल' हो सकते हैं। लेकिन जैसा हमने कहा, बिना हर चीज को जाने जजमेंटल ना बनें! तो आइये, जानते हैं कि यह फिल्म कैसी है।
साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म है 'जजमेंटल है क्या'
'जजमेंटल है क्या' एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म है। इसकी कहानी मुख्यत: केशव (राजकुमार राव) और बॉबी बाटलीवाला ग्रेवाल (कंगना रनौत) पर आधारित है। केशव और उसकी पत्नी, बॉबी के घर मुंबई में किराए पर रहने आते हैं। इस दौरान एक मर्डर होता है जिसके बाद शुरू होता है असली गेम। मर्डर एक हादसा था या फिर इसे जानबूझकर अंजाम दिया गया, इस बात की तह तक जाने के लिए फिल्म के अंतिम शॉट तक आपको कुर्सी पर बंधे रहना होगा!
मानसिक बीमारी से पीड़ित है कंगना का किरदार
फिल्म में कंगना एक डबिंग आर्टिस्ट के किरदार में हैं जो एक्यूट सॉइकोसिस (acute psychosis) नाम की मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं। कंगना के माता-पिता की मृत्यु बचपन में एक हादसे में हो गई थी। फिल्म के किरदार में कंगना का कोई भी दोस्त नहीं है। वह अपनी ही दुनिया में जीती है। मुंहफट कंगना बिना सोचे जो करना है कर जाती है। लेकिन केशव (राजकुमार) से मिलने के बाद उसकी जिंदगी में कई ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं।
एंडिंग हो सकती थी बेहतर
फिल्म की कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है आप इससे जुड़ते चले जाते हैं। आपको जानने में उत्सुकता बढ़ती जाएगी कि अब क्या होने वाला है। मनमौजी कंगना अगले पल क्या कर जाएं, कहां पहुंच जाएं, आप अंदाजा तक नहीं लगा पाएंगे। इंटरवल के पहले तक फिल्म काफी मनोरंजक है। सेंकेंड हॉफ में कहानी थोड़ी ज्यादा घसीटी हुई दिखेगी। वहीं, इसका क्लाइमेक्स सीन थोड़ा जल्दी आ सकता था और बेहतर भी हो सकता था।
कंगना ने जिया बॉबी का किरदार
ये तो हुई कहानी की बात। अब आते हैं स्टार्स के परफॉर्मेंस पर। कंगना ने अपने किरदार के साथ पूरा जजमेंट किया है। एक लड़की जो मानसिक बीमारी से जूझ रही है, लेकिन फिर भी उसका दिमाग सही दिशा में दौड़ रहा है। कंगना ने बॉबी का किरदार निभाया नहीं बल्कि उसे पूरी तरह से जिया है। फिल्म के दौरान कई बार ऐसे मौके आएंगे जहां कंगना के शॉट पर आपको सीट से खड़े होकर सीटी मारने का मन करेगा।
राजकुमार के सीन्स फिल्म में कम
वहीं, राजकुमार ने फिल्म में ही दो अलग-अलग किरदार निभाए हैं। एक केशव और दूसरा श्रवण, दोनों में ही वह फिट हुए हैं। कंगना के मुकाबले वह स्क्रीन पर कम दिखे हैं, लेकिन जब भी वह आते हैं उनका अभिनय चरम पर दिखता है। चूंकि फिल्म कंगना के लिहाज से है ऐसे में राजकुमार के सीन्स कम ही हैं। लेकिन राजकुमार, कंगना को जबरदस्त टक्कर देते दिखेंगे। 'क्वीन' की इस जोड़ी को दोबारा देखना पैसा वसूल है।
फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट बढ़िया
कंगना-राजकुमार के साथ-साथ फिल्म की पूरी सपोर्टिंग कास्ट ने उम्दा काम किया है। बॉबी के बॉयफ्रेंड वरुण के किरदार में हुसैन दलाल ने प्रभावशाली काम किया है। जिम्मी शेरगिल छोटे से किरदार में भी बखूबी जंचे हैं। राजकुमार की पहली पत्नी के किरदार में अमायरा दस्तूर, बोल्ड, ब्यूटीफुल और इंप्रेसिव हैं। इसके अलावा सतीश कौशिक और ब्रजेश काला फिल्म में अपने किरदारों से छाप छोड़ने में सफल रहे हैं। वहीं, अमृता पुरी हमेशा की तरह स्वीट दिखी हैं।
जबरदस्त है फिल्म की कहानी
किसी भी फिल्म का अभिनय तभी कमाल होता है जब उसकी कहानी बेमिसाल हो। कनिका ढिल्लो ने भी 'जजमेंटल है क्या' को बखूबी लिखा है। फिल्म के डायलॉग्स भी कमाल हैं। इसमें आपको कई तरह के टंग ट्विस्टर भी सुनने को मिलने वाले हैं।
फिल्म का डायरेक्शन कमाल
डायरेक्टर प्रकाश कोवेलामडी ने बढ़िया कहानी और उम्दा सितारों के साथ बढ़िया कोशिश की है। जबरदस्त कहानी को उन्होंने सही तरह से सही सितारों के माध्यम से एक्सीक्यूट कर दर्शकों तक पहुंचाया है। फिल्म की पंचलाइन भी सही है, जोक्स और इमोशन्स भी बखूबी दर्शकों तक पहुंचेंगे। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी के साथ-साथ एडिटिंग भी कमाल तरीके से की गई है। वहीं, प्रकाश ने म्यूजिक का भी सही इस्तेमाल किया है।
देखनी चाहिए फिल्म!
फिल्म में कंगना का एक डायलॉग 'पेट से आवाज आ रही है', आपको कई बार सुनने को मिलेगा। आपने आज तक तो यही सुना होगा कि दिल से आवाज आ रही है। ऐसे में यह कुछ अलग है। वैसे ही अगर आप अब नॉर्मल बॉलीवुड फिल्मों से बोर हो चुके हैं और कुछ अलग देखना चाहते हैं तो 'जजमेंटल है क्या' जरूर देखें। हमने फिल्म को पांच में से साढ़े तीन स्टार दिए हैं।