जन्मदिन विशेष: इन प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं गुलजार
हिंदी सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ गीतकारों की बात करें तो गुलजार का नाम शीर्ष के नामों में शुमार होता है। 1963 में बिमल रॉय की फिल्म 'बंदिनी' से उन्होंने बतौर गीतकार अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद तो हिंदी संगीत जगत उनकी नज्मों से गुलजार हो गया। उनके लिखे गहरे बोल हर किसी का दिल छूते हैं। 18 अगस्त को गीतकार गुलजार 89 वर्ष के हो गए। एक नजर उनको हासिल प्रतिष्ठित पुरस्कारों पर डालते हैं।
ऑस्कर
गुलजार दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित फिल्म पुरस्कार माने जाने वाले ऑस्कर पुरस्कार जीत चुके हैं। 2009 में आई फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेयर' ने उन्हें ऑस्कर दिलाया था। फिल्म के गाने 'जय हो' के लिए उन्हें और एआर रहमान को ऑस्कर मिला था। जहां रहमान को यह पुरस्कार उनके बेहतरीन संगीत के लिए दिया गया था, वहीं गुलजार को इसके बोल के लिए यह पुरस्कार मिला था। उस साल इस फिल्म ने 8 श्रेणियों में ऑस्कर जीता था।
ग्रैमी
'जय हो' के लिए गुलजार ने ग्रैमी पुरस्कार भी जीता था। उन्होंने यह पुरस्कार संगीतकार एआर रहमान और गायिका तनवी शाह के साथ संयुक्त रूप से जीता था। ग्रैमी दुनियाभर में संगीत जगत का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है। यही वजह है कि ग्रैमी पुरस्कार पर संगीत प्रशंसकों की हमेशा नजर रहती है। अब तक 14 भारतीयों को ग्रैमी पुरस्कार मिल चुका है। इनमें रवि शंकर, जाकिर हुसैन जैसे नाम भी शामिल हैं।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
गुलजार 4 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं। सबसे पहले उन्हें 1972 की फिल्म 'कोशिश' के लिए सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। 1976 में 'मौसम' के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था। 1988 में उन्होंने फिल्म 'इजाजत' के गाने 'मेरा कुछ सामान' और 1991 में फिल्म 'लेकिन...' के गाने 'यारा सीली सीली' के बोल के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।
दादा साहेब फाल्के
2014 में गुलजार को हिंदी सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माने जाने वाले दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सिनेमा जगत में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार का विशेष महत्व है। हर साल यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा में उत्तम योगदान के लिए किसी एक कलाकार को दिया जाता है। बता दें कि दादा साहेब फाल्के भारत में सिनेमा के जनक माने जाते हैं। उन्होंने 1913 में फिल्म 'राजा हरिशचंद्र' बनाई थी।
गुलजार सफल गीतकार के साथ ही लेखक और निर्देशक भी
हिंदी सिनेमा में गुलजार और उनके योगदान को बेहद सम्मान के साथ देखा जाता है। हर पीढ़ी के लोग उनके लिखे गीतों का आनंद लेते हैं। 'तुझसे नाराज नहीं जिंदगी', 'आने वाला पल', 'दिल ढूंढता है' जैसे हजारों खूबसूरत गीत लिखे हैं। सिर्फ गीत ही नहीं, उन्होंने बॉलीवुड की कई मशहूर फिल्मों की पटकथा और संवाद भी लिखे हैं। इसके साथ ही वह कई फिल्मों का निर्देशन भी कर चुके हैं।